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आखिर पानी मिलाकर क्यों पीते है बीयर या शराब, जानिए इसकी असल वजह

भारत में शराब बड़ी मात्रा में बिकती है, इसका उपयोग भारत के करोड़ों लोग करते हैं, भारत के राजस्व का एक बड़ा हिस्सा शराब कंपनियाँ ही एकत्र करती हैं, और यहाँ शराब में पानी मिलाने का चलन बहुत अधिक है, हम भारतीय शराब में कुछ ना कुछ मिलकर हमेशा पीते हैं, फिर वो चाहे पानी हो या सोडा. तो क्या हम यह कह सकते है कि आदमी को ख़ाली शराब हज़म नहीं होती.

आपको बता दें कि भारत में कई अलग-अलग कंपनियां इसे तैयार करने के लिए मोलासेस या शीरे का इस्तेमाल करती हैं। इस शीरे का इस्तेमाल आमतौर पर रम बनाने के लिए किया जाता है. क्योंकि भारत में फिलहाल इस पर कोई कानूनी प्रतिबंध नहीं है, इसलिए भारतीय कंपनिय व्हिस्की ब्रांड माल्ट के साथ मोलसेस का भी इस्तेमाल करती हैं. बता दें कि यह गन्ने से चीनी तैयार करते समय बनने वाला गहरे रंग का बाइप्रोडक्ट है, किण्वन की प्रक्रिया से गुजरने के बाद इस मोलासेस को डिस्टिल करके अल्कोहल बनाया जाता है.

इस तरह जब कोई भारतीय बिना कोई तरल मिलाए सीधे शुद्ध व्हिस्की पीता है, तो वह हमारे गले में नीचे जाने लगती है, यानी उसकी कड़वाहट को पानी मिला कर संतुलित किया जा सकता है। इसी प्रकार अगर कोई देसी की जगह विदेशी ब्रांड की शराब बिना कुछ मिलाये पीता है तो वह गले में उतरना आसान होता है.

इसी तरह शराब में पानी मिलाने का एक कारण भारतीयों का खान-पान भी माना जाता है। भारत में शराब को हमेशा चटपटे चखने के साथ ही पिया जाता है। वहीं तीखेपन संतुलित करने के लिए पीने के पानी की भी जरूरत होती है, इसलिए पानी मिलना एक तरह की बात है। पानी मिली शराब एक पप्रकार से पानी का काम करता है, और खाने के तीखेपन को बहुत अच्छे से संतुलित करता है।

इसके अलावा लोगों का मानना ​​है कि भारतीय शराब ज्यादा नशीला होता है और ज्यादा पीने के लिए उसमें पानी या सोडा मिलाकर पीने लायक बना लेते हैं।इसके अलावा अगर किसी को महज़ 30ml या 60ml शराब पीनी है तो वह बिना पानी मिलाये ही इसे पी सकता है.

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