मध्य प्रदेश

जिला पंचायत चुनावो की हुई घोषणा, भाजपा को मिली “शिकस्त”

रीवा । BJP के प्रत्याशियों को भारी शिकस्त मिली हैं, बाहुबल, धनबल, प्रशासनिक मशीनरी का इतना दुरुपयोग करने के पश्चात भी विधानसभा अध्यक्ष अपने पुत्र को नही जीता सके, विधायक पंचूलाल प्रजापति अपनी धर्मपत्नी पूर्व विधायक पन्ना बाई को नही जीता सके, भाजपा संगठन के तो 3 जिला उपाध्यक्ष ढेर हो गए !
मोर्चा के महामंत्री एवं उपाध्यक्षों को भी मिली शिकस्त !!!

परिवारवादीयो को जनता ने नाकारा

परिवारवाद को लेकर चर्चाओं में घिरी भाजपा ने अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्ढा की गाइडलाइन से उलट जिला पंचायत चुनाव में भाजपा के विधायकों के परिजनों को अपने प्रत्याशी के तौर पर समर्थन का ऐलान कर दिया, इसके बाद से राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं ने जोर पकड़ लिया, चर्चा यह रही कि जिला भाजपा ने नेता पुत्रों, रिश्तेदारों को अपना समर्थित प्रत्याशी बनाया जिससे भाजपा के कार्यकर्ताओ में ही रोष भभक उठा। इसकी बकायदा एक सूची भी जारी की गई।
सूची रीवा जिला भाजपा अध्यक्ष के लैटर हेड से जारी हुई थी,जिसमे भाजपा जिलाध्यक्ष जो की स्वयं पूर्व मंडी अध्यक्ष राम सिंह पटेल के पुत्र हैं और जिनके वरिष्ठों के साथ अशिष्ट, जातिवादी रवैये को लेकर कार्यकर्ताओ में रोष व्याप्त हैं ,उन्होंने अपने ख़ासम ख़ास लोगों को भी समर्थन दिलवाया किन्तु जनता ने उन्हें भी धूल चटा दी !

भाजपा का इन्हें मिला था समर्थन
जिला अध्यक्ष ने जो सूची जारी की थी उसमें जिला पंचायत वार्ड क्रमांक 3 से ई जीना, वार्ड क्रमांक 4 से मिथिला देवी, वार्ड क्रमांक 5 से रेखा सिंह, वार्ड क्रमांक 12 से प्रणव सिंह, वार्ड क्रमांक 13 से निशा साकेत, वार्ड क्रमांक 15 से विश्वंभरनाथ पटेल, वार्ड क्रमांक 21 से जय प्रकाश सिंह, वार्ड क्रमांक 24 से पन्नाबाई प्रजापति, वार्ड क्रमांक 26 से हीरालाल पटेल, वार्ड क्रमांक 27 से राहुल गौतम, वार्ड क्रमांक 29 से सुभद्रा देवी साकेत, वार्ड क्रमांक 30 से पुष्पा पटेल, वार्ड क्रमांक 31 से रामकली कोल और वार्ड क्रमांक 32 से उर्मिला सिंह गोंड के नाम शामिल हैं। जिनमे से सिर्फ 2 प्रत्याशी जीत दर्ज कर पाए !

bjp jel

भाजपा संगठन में दबी ज़ुबान में लोग भाजपा जिलाध्यक्ष के बारे में कह रहे कि शायद वे संगठन के लिए अशुभंकर साबित हुए हैं,जहां उनके गुरु प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा को उनके समर्थक शुभंकर कहते हैं, वहीं रीवा जिलाध्यक्ष अजय bjp पटेल के कार्यकाल भाजपा को त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में इतनी बड़ी शिकस्त मिली हैं,
भाजपा जिलाध्यक्ष की नियुक्ति कोरोना के संक्रमण काल मे हुई,तब से कभी उन्हें चुनाव का सामना नही करना पड़ा,कोरोना काल मे भी इन्होंने कार्यालय में विश्राम कर जन-जन की सेवा की, पंचायत चुनावों के रुझान से ये साबित हो रहा कि अजय पटेल अपनी ही टीम के लोगो को विजयश्री दिलाने में असफल साबित हुए हैं और उनके भाजपा अध्यक्षी कार्यकाल में सर्वाधिक निष्काषन हुए हैं, भाजपा के लिए वे “अशुभंकर” हैं,उन्होंने विभिन्न समाजों के बीच अपनी अविश्वसनीय छवि बनाई हैं,यहाँ तक कि उन्होंने अपने साथ चलने वालों, और एक वरिष्ठ नेता पूर्व महापौर के साथ दगा कर दिया,अब देखना ये हैं कि
नगरीय निकाय चुनावो में पार्टी की क्या स्थिति रहती हैं,जो की नगरीय निकाय चुनावो में भी उनके द्वारा अपने जाति के प्रत्याशी दीपक पटेल की मदद करने का आरोप हैं,और महापौर प्रत्याशी विरोधी प्रचार एवं पार्टी विरोधी गतिविधि में उनकी भूमिका संदिग्ध हैं !

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