स्कूल शिक्षा विभाग में घोटला: प्रायमरी और मिडिल स्कलों को कम्पोजिट ग्रांट के मिले थे करोड़ों, फर्जी बाउचर से बीआरसी, हेडमास्टर हजम कर गए
रीवा: डीईओ कार्यालय का अनुदान घोटाला अभी भूला नहीं था कि प्रायमरी और मिडिल स्कूल में एकीकृत शाला निधि घोटाले की सुगबुगाहट शुरू हो गई है। यहां स्कूलों को मिले करीब 100 करोड़ से अधिक की राशि पर हेडमास्टर और BRCC ने मिलकर हाथ साफ कर दिया . स्कूलों पर राशि खर्च नहीं और वित्तीय वर्ष बजट लैप्स होने का डर दिखाकर फर्जी . बाउचर से करोड़ों रुपए का बंदरबांट हो गया स्कूलों और छात्रों पर राशि खर्च तक नहीं हुई , मिली जानकारी के अनुसार राज्य शिक्षा केन्द्र प्रायमरी और मिडिल स्कूलों की छात्र संख्या के हिसाब से एकीकत शाला निधि के ने इस राशि का बंदरबाट कर डाला, वित्तीय वर्ष 2021-22 मार्च में खत्म होने वाला था । इसके पहले यह राशि लैप्स हो जाती । बीआरसीसी ने हेडमास्टरों से फर्जी बिल बाउचर लेकर राशि क बंदरबांट कर डाला । हद तो यह है कि रीवा के करीब 70 फीसदी हेडमास्टरों को राशि बीआरसीसी के खाते में आने तक की जानकारी नहीं थी । बीआसीसी फर्जी बिल बाउचर से ही सारी राशि आहरित करते गए । रीवा में यह घोटाला करीब 100 करोड़ से भी अधिक का माना जा रहा है । स्कूल शिक्षा विभाग से जुड़े सूत्रों की मानें तो स्कूलों को एक रुपए की सामग्री नहीं मिली लेकिन लाखों रुपए का बिल पास करा लिया गया । मामले की यदि जांच हो तो सारा सच सामने आ जाएगा ।
पहले यह थी व्यवस्था
पहले राज्य शिक्षा केन्द्र SMC के खाते में राशि भेजता था । हेडमास्टर और अध्यक्ष का ज्वाइंट खाता होता था । दोनों के संयुक्त हस्ताक्षर से ही राशि आहरित की जाती थी । अब सिस्टम बदल कर बीआरसीसी के खाते में राशि भेजी जाने लगी । बीआरसीसी ने समान न खरीदकर फर्जी बिल बाउचर से राशि का आहरण कर लिया गया । रीवा में करीब 5 हजार प्रायमरी और मिडिल स्कूलें हैं जिला में प्रायमरी और मिडिल स्कूलों की संख्या अधिक है । इन सभी स्कूलों में स्कूलों की पुताई , साफ सफाई की व्यवस्था के लिए राशि जारी की गई थी । यह राशि करोड़ों रुपए में थी । | राशि का हेडमास्टरों को पता तक नहीं था । ते एसएमसी एकाउंट बंद होने से हेडमास्टरों को . बीआरसीसी के पास राशि होने की भनक तक नहीं थी । जिन्हें जानकारी थी . उन्होंने कमीशन लेकर बिल वाटचर दिया और राशि आहरित करा ली । जिन्हें जानकारी नहीं थी लगा उनके नाम से फजा निल बाउचर बनाकर व्यवस्था के नाम से आई राशि का आहरण कर लिया गया ।
कुछ इस तरह आई थी राशि |
छात्र संख्या 10 से 30 तक 10 हजार |
31 से 100 तक 25 हजार |
101 से 250 तक 50 हजार |
251 से 1000 तक 1001 से अधिक 75 हजार 1 लाख |
20 स्कूलों में कुछ नहीं हुआ काम
राशि आहरण और फर्जीवाड़े का अंदाजा स्कूलों की हालत देखकर ही लगाया जा सकता है । लॉकडाउन के कारण स्कूलों का संचालन नहीं हुआ । ऐसे में इन स्कूलों को जो राशि दी गई , उसका उपयोग साफ सफाई और पुताई पर किया जा सकता था । पढ़ाई के नाम पर कक्षाओं का संचालन तक नहीं हुआ । ऐसे चाकडस्टर और कार्यालयीन कार्यों के लिए चीजों की जरूरत । और खरीदी का प्रश्न ही नहीं उठता । ऐसे में | स्कूलों की हालत देखकर फर्जीवाड़े का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है । इतना ही नहीं । यदि खरीदी सामग्री और बिल बाउचर का मिलान किया जाए तो भी इसका खुलासा संभव है ।
फर्जीवाड़े में शामिल हैं सब
इस फर्जीवाड़े में सिर्फ बीआरसीसी और हेडमास्टर को ही दोषी नहीं ठहराया जा सकता । इस फर्जीवाड़े में ऊपर से लेकर नीचे तक के | अधिकारी , कर्मचारी शामिल हैं । यही वजह है कि मार्च महीने में अंतिम समय पर हेडमास्टरों पर बिल लगाने का दबाव बनाया गया था । | हेडमास्टरों को कारवाई तक किए जाने का डर दिखाया गया था । कार्रवाई के डर से हेडमास्टरों ने फर्जी बिल बाउचर बीआरसीसी को उपलब्ध कराया था । कइयों ने सिर्फ हस्ताक्षर कर स्वीकृति दी थी , शेष कार्य ऊपर के अधिकारियों , कर्मचारियों ने किया था ।