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Rewa News : जल संसाधन विभाग: महज 23.70 करोड़ की हो सकी वसूली

रीवा। प्रदेश में सबसे अधिक जलकर की वसूली गंगा कछार रीवा में बकाया है। जल संसाधन विभाग को 959 करोड़ रुपए वसूलने हैं। प्रदेश में दूसरे नंबर पर नर्मदापुरम है। यहां से 236.65 करोड़ रुपए की वसूली बकाया है। इसको लेकर कई बार मुख्यालय की ओर से अधिकारियों को नोटिस भी जारी हुए पर गति नहीं बढ़ी। रूटीन की वसूली समय पर नहीं हो पाने से पूर्व के बकाया पर काम नहीं हो पा रहा है।

गंगा कछार में एक अप्रेल 2023 की स्थिति में पूर्व की 542.55 करोड़ रुपए की राजस्व वसूली बकाया है। कई वर्षों से पेंडेंसी लगातार बढ़ती ही जा रही। नए प्रोजेक्ट का भी इस साल टैक्स वसूलने का कार्य शुरू हुआ है। इसके लिए 416.53 करोड़ रुपए की चालू वित्तीय वर्ष में वसूली की मांग है। इस तरह से कुल 959.09 करोड़ रुपए बकाया है।

पावर प्लांट से सबसे ज्यादा राजस्व

गंगा कछार को पावर प्लांटों से अधिक राजस्व मिलता है। इन प्लांटों को जल संसाधन विभाग पानी देता है। इसके एवज में जलकर वसूलता है। पावर प्लांट से 5.14 करोड़, एनटीपीसी से 9.08 करोड़, उद्योगों से 42.49 लाख, कृषि प्रयोजन से 13 लाख की वसूली पिछले लक्ष्य में हुई।

किसानों पर 43 करोड़ बकाया

रीवा संभाग में किसानों को नहरों से पानी देने के बदले वसूले जाने वाले जलकर में भी 30.66 लाख पिछले वित्तीय वर्ष तक बकाया है। अब नए सिरे से 12.67 करोड़ और हो गया है। ऐसे में करीब 43.33 करोड़ रुपए का लक्ष्य इस साल गंगा कछार के चीफ इंजीनियर के पास है।

प्रदेश के कछारों में ऐसा है बकाया

कछार बकाया

गंगा कछार रीवा 959.09

जलसंसाधन नर्मदापुरम 236.65

यमुना कछार ग्वालियर 215.46

चंबल-बेतवा कछार भोपाल 159.49

वैन गंगा कछार सिवनी 103.15

राज नहर सिंध दतिया 99.87

जलसंसाधन उज्जैन 59.38

घसान केन कछार सागर 50.59

नर्मदा-ताप्ती कछार इंदौर 47.04

एसएसपीएमयू इंदौर 03.59

(नोट: उक्त राशि करोड़ रुपए में है। )

नए के साथ पुरानी वसूली का दबाव

नए वित्तीय वर्ष में गंगा कछार को 265.34 करोड़ का लक्ष्य इस साल के अंत तक का दिया गा है। कहा है कि साथ ही पुराने बकाया की भी वसूली का प्रयास करें। अफसरों पर लगातार दबाव बनाए जाने की वजह से पिछले वर्ष की वसूली की स्थिति कुछ सुधरी थी। बीते वित्तीय वर्ष में मार्च 2022 तक का टारगेट 22.11 करोड़ मिला था। इसमें 23.70 करोड़ की वसूली हुई है। मतलब करीब डेढ़ करोड़ रुपए पुराने बकाया की वसूली हुई है। कोरोना काल की वजह से उस समय टारगेट भी कम मिला था।

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