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Good News: खेतों में चलेंगे अब गोबर से बनने से टैक्टर, डीजल वर्जन बराबर दमदार, किसानों को होगा फायदा

आज के इस वक्त में खेती करने काफी महंगा सौदा है। खासतौर से उन किसानों के लिए जिनकी पूरी आर्थिकी स्थिति ही खेती-किसानी पर निर्भर है। ऐसे किसानों के लिए ऐसे लिक्विफाइट मिथेन से चलने वाले ट्रैक्टर उम्मीद की बड़ी किरण बनते नजर आ रहे हैं। लिक्विफाइट मिथेन गाय-भैस के गोबर से उत्पादित होती है। जिन ट्रैक्टरों को इस गैस से चलाया गया है वो क्रायोजेनिक टैंक फिट लगे हैं जो गैस को लिक्विड फार्म में परिवर्तित कर देता है। इन ट्रैक्टर को बनाने वाली कंपनी ने दावा किया है कि यह डीजल वर्जन के बराबर ही दमदार हैं।

ट्रैक्टर बनाने वाली जानी मानी कंपनी न्यू हॉलैंड ने खेती में जुताई बुआई के खर्च को कम करने की दिशा में बड़ा आविष्कार किया है। कंपनी द्वारा ऐसे ट्रैक्टर का निर्माण किया गया है जो लिक्विफाइड मिथेन से चलता है। यह गैस गोबर से उत्पादित होती है। कुल मिलाकर देखा जाए तो किसानों को इस ट्रैक्टर के संचालन के लिए महंगे डीजल पर निर्भरता कम होगी।

कंपनी का दावा है कि गोबर गैस रूपी प्राकृतिक ईंधन पर चलने वाले ये ट्रैक्टर डीजल से चलने वाले ट्रैक्‍टरों के बराबर ही पावरफुल हैं। इनसे न केवल कार्बन एमिशन को घटाने में मदद मिलेगी साथ ही किसानों की आर्थिक आमदनी बढ़ने औऱ रोजगार के नए अवसर सृजित भी होंगे।

ट्रैक्टर बनाने वाली कंपनी की माने तो भारत के ग्रामीण परिवेश में बड़ी संख्या में पशुओं का पालन किया जाता है। ऐसे में इन क्षेत्रों में गाय-भैस के गोबर की आसानी से उपलब्धता रहती है। गाय-भैस के गोबर से आसानी से मिथेन गैस का उत्पादन किया जा सकता है।कंपनी की तकनीकी टीम के मुताबिक सर्कुलर इकनॉमिक मॉडल पर काम करता है। इस ट्रैक्टर की क्षमता 270 हॉर्स पावर की है।

यह डीजल से चलने वाले ट्रैक्टरों जितना दमदार है। न्यू हॉलैंड ने इन ट्रैक्टर्स को ब्रिटिश कंपनी बेनामैन के साथ पार्टनरशिप में बनाया है। गौर करने वाली बात है कि लिक्विफाइड मिथेन इस्‍तेमाल करने वाले ट्रैक्‍टर की मशीन को ब्रिटिश कंपनी बेनामैन ने विकसित किया है। वह कई सालों से बायोमिथेन प्रोडक्‍शन पर शोध कर रही थी।

इस ट्रैक्टर में जो मशीनरी काम करती है उसमें गाय-भैंसों के गोबर को ईंधन में बदल दिया जाता है। इस ईंधन को फ्यूजिटिव मिथेन कहते हैं। इसे खेत में ही बायोमिथेन स्‍टोरेज यूनिट में रखते हैं। इन ट्रैक्‍टरों में क्रायोजेनिक टैंक फिट है। ये टैंक शून्‍य से नीचे 162 डिग्री सेंटिग्रेड पर मिथेन को लिक्विड फॉर्म में रखते हैं। इससे ट्रैक्‍टर को डीजल जितना ही पावर मिलता है। बस, उत्‍सर्जन कम होता है।

ट्रैक्टर के कई टेस्‍ट में पाया गया है कि यह सिर्फ एक साल में कार्बन डाइ ऑक्‍साइड उत्‍सर्जन को 2,500 टन से घटा 500 टन पर ले आता है। बेनामैन के सह-संस्‍थापक क्रिस मैन कहते हैं कि यह वास्तविकता में दुनिया के पहले टी-7 लिक्विड-फ्यूल्‍ड ट्रैक्‍टर हैं। ये ट्रैक्‍टर कृषि क्षेत्र में क्रांति जाने की क्षमता रखते हैं। इससे न केवल किसानों की खेती में लगने वाली लागत कम होगी। साथ ही ग्रामीण परिवेश में उनकी आर्थिकी स्थिति भी मजबूत होगी। कंपनी इस तकनीक के विस्तार पर विचार कर रही है।

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