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MP News: जल में भी जातिवाद, तालाब के पानी का चार समाज के लोगों ने किया बंटवारा, कुआ के लिए भी बनाया ये सिस्टम

The water of the pond was divided among four communities: प्राकृति भले भी अपने किसी भी देन पर कोई भेदभाव नहीं करती, सभी को समान रूप से हर चीज देती है। पानी, हवा, प्रकाश इत्यादि ऐसी प्राकृति प्रदत्त चीजें हैं जिसमें हर प्राणी का सामान अधिकार है। लेकिन मनुष्य इनमें भी अपना आधिपत्य जमाने के लिए बंटवारा कर लेता है। हैरानी तो तब होती है जब जरूरतर नहीं बल्कि जाति के अनुरूप इसे बांटा जा रहा है। जी, हां ऐसा ही एक मामला सामने आया है मध्यप्रदेश के दमोह जिले से।

समाज के लोगों ने तालाब के घाटों का किया बंटवारा
दरअसल दमोह जिला मुख्यालय (Damoh District Headquarters) से महज 8 किमी की दूरी पर एक स्थान है हिनौती पिपरिया (Hinauti Pipariya) यहां का हिनौती गांव की जहां दस्तावेजों के मुताबिक करीब 2 हजार लोगों की आबादी है। बांव से ही सटा हुए एक निस्तारी तालाब, जिसका रकबा करीब ढाई हेक्टेयर है। जिसमें गांव के लोग निस्तार करते हैं। प्रकृति ने भले ही बिना किसी भेदभाव में इसे प्रदान किया है, लेकिन इस गांव के लोग भेदभाव पर ऐसे उतारू हो गए हैं कि, इस गांव में रहने वाले चार समाज के लोगों ने एक ही तालाब के चार घाटों को आपस में बांट लिया।

सालों से चली आ रही परंपरा
घाटों को बांटने तक तो कुछ समझ में भी आता है कि सामाजिक व्यवस्था बनाये रखने और विवाद से बचने के लिए ऐसा किया होगा, लेकिन हैरानी तब होती है जब पता चलता है कि ये बंटवारा छुआछूत को लेकर किया गया है। हालांकि इस गांव में कुछ लोग ऐसे भी हैं जो इस कुप्रथा के खिलाफ हैं, लेकिन ऐसे लोगों की संख्या बहुत कम है। जबकि छुआछूत मानने वालों की तादात ज्यादा है। बतादें कि यह व्यवस्था आज की नहीं है। सालों से यह इसी तरह से चलता आ रहा है। अच्छी बात यह है कि सभी इस व्यवस्था का पालन भी करते हैं, कोई भी एक-दूसरे के घट पर नहीं जाता है। यहां के एक 80 साल के बुजुर्ग बताते हैं कि सालों से चली आ रही इस परंपरा (legacy) से किसी को आपत्ति भी नहीं है।

कुए के पानी के लिए अपनी बारी का इंतजार
दरअसल इस तालाब का उपयोग ग्रामीण नहाने-धोने के लिए करते हैं। जबकि पीने के पानी के लिए कुए पर आश्रित हैं। गांव से ही करीब 600 मीटर दूर पर एक कुआ है। जहां से ग्रामीण पीने का पानी लाते हैं। वहां पर यह व्यवस्था बनाई है कि पहले पहुंचने वाले समाज के लोग पहले पानी भरते हैं उसके बाद उसके बाद दूसरे समाज के लोग कुए से पानी भरते हैं।

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