क्राइमराष्ट्रीय

कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला साई प्रसाद कंपनी के चेयर मैन को सुनाई 250 साल की सजा और 6.50 लाख का जुर्माना, जानिए क्या था दोष

आपने अदालत को दोषियों को 1 साल, 2 साल, 5 साल, 10 साल, 15 साल या 20 साल की सजा देते देखा होगा, लेकिन क्या आपने 250 साल की सजा सुनते हुए देखा है, जी हाँ ऐसा ही एक मामला मध्य प्रदेश के सीहोर में देखने को मिला, जहां सीहोर कोर्ट ने शुक्रवार को साई प्रसाद कंपनी के खिलाफ निदेशकों को धोखा देने के आरोप में बड़ा फैसला सुनाया, जहां अदालत ने कंपनी के चेयरमैन को 250 साल कैद की सजा सुनाई. सीहोर के इतिहास में अब तक किसी को इतनी लंबी सजा नहीं हुई है, वही सीहोर कोर्ट ने आरोपी चेयरमैन पर ₹650000 का जुर्माना भी लगाया है.

पाँच साल में पैसा होगा डबल

खबरों के मुताबिक 17 नवंबर 2009 से 13 मार्च 2016 तक दीप सिंह वर्मा, राजेश उर्फ ​​चेत नारायण परमार, लखन लाल वर्मा, बालासाहेब भापकर, जितेंद्र कुमार वर्मा ने आपस में मिलीभगत कर खुद को साईं प्रसन्द कंपनी का चेयरमैन, डायरेक्टर, एजेंट व सीएमडी बताया. उन्होंने सीहोर के आसपास के इलाके में जाकर लोगों से कंपनी में पैसा लगाने को कहा और कहा कि 5 साल में आपका पैसा डबल हो जाएगा. लेकिन 5 साल पूरे होने के बाद जब लोग कंपनी के दफ्तर पहुंचे तो वहां ताला लगा पाया. इसके बाद निवेशकों ने आरोपियों से संपर्क किया तो उन्होंने कहा कि उनके पैसे मिल जाएंगे लेकिन फिर भी पैसे नहीं लौटाए. इसके बाद सभी निवेशक थाने पहुंचे और उनके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई.

धारा 420 के मामले में प्रकरण किया गया दर्ज

इसके बाद सीहोर पुलिस ने निवेशकों की शिकायत पर आरोपी जितेंद्र कुमार,दीप सिंह, लखन लाल वर्मा राजेश उर्फ चेत नारायण परमार, के खिलाफ 420 सहित अन्य कई धाराएं लगाई गई और कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया गया. इसके बाद 28 गवाहों की गवाही कराई गई और 325 दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया।

अदालत ने सभी तर्कों और सबूतों से सहमत होकर आरोपी गण दीप सिंह वर्मा,लखन लाल वर्मा,जितेंद्र कुमार, राजेश को धारा 420 सहपाठी धारा 120 ब को पांच- पाँच साल की सजा और 50-50 हज़ार रुपये का जुर्माना लगाया, वहीं आरोपी बालासाहब भापकर, निवासी साईं दरबार बंगलों, चिंचवड़ पुणे को धारा 420/120बी में 5-5 वर्ष की सजा एवं 50-50 हज़ार रुपये का जुर्माना, धारा 409 भदंवी में 10 वर्ष की सजा और जुर्माना, एवं धारा 6, निपेक्षकों के हितों का संरक्षण अधिनियम के तहत 10 वर्ष के सश्रम कारावास सहित 5 लाख रुपये के जुर्माने के साथ कुल 250 वर्ष की सजा सुनायी गई और 6 लाख 50 हज़ार रुपये का कुल जुर्माना लगाया गया.

Related Articles

Back to top button