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MP Assembly Election 2023: मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हार सकते है इस बार का चुनाव, इस पद को सभालने वाले हमेशा हारे है चुनाव! जानिए पूरा मामला

MP Assembly Election 2023: कुछ दिनों में मध्यप्रदेश में विधानसभा का चुनाव होने वाला है ऐसे में प्रदेश के भीतर किस्सों और कहानियों का दौर शुरू हो चुका है। प्रदेश के अंदर ऐसी कई तरह की मिथक है, जिसको लेकर आए दिन चर्चाएं बनी रहती है.इसका प्रभाव नेताओं के मानसिक स्तर पर भी पड़ रहा है चुनाव आते ही मध्य प्रदेश के राजस्व और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय एक अलग तरह की मिथक हर तरफ फैल रही है।


वैसे तो प्रदेश के अंदर महिलाओं और बच्चों के बेहतर जीवन और उनके उन्नत विकास के लिए पोषण की आवश्यकताओं को पर्याप्त करने के लिए महिला एवं बाल विकास मंत्रालय काम करता है। मंत्रियों और नेताओं के बीच में भी एक अलग तरह का मिथक है कि जिस किसी के पास भी इस मंत्रालय का कार्यभार होगा वह आने वाले चुनावों में हार का सामना कर सकता है।


बता दें कि इस मंत्रालय की जिम्मेदारी महिला नेताओं को ही सौंपी गई है किंतु कुछ आंकड़े बेहद चौंकाने वाले हैं जो कि यह बताते हैं कि जिस किसी के पास भी मंत्रालय की जिम्मेदारी रही उसने अपनी कुर्सी गंवानी पड़ गई। वहीं इस बार इस मंत्रालय मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के पास है। इसलिए दबी आवाज में इस मिथक की चाल और चर्चाएं हो रही है। कांग्रेस और संघ के सर्वे में इस बार बीजेपी की स्थिति काफी खराब रही ऐसे में क्या सीएम इस बार अपनी कुर्सी गवा सकते हैं। इस बात को लेकर मध्य प्रदेश की राजनीतिक गलियारों में काफी जोरों शोरों से चर्चा चल रही है।



वर्ष 2003 में महिला एवं बाल विकास मंत्री रहे कुसुम महेंद्रले वर्ष 2008 में महज 48 वोटों से हारी थी वहीं साल 2007 में महिला एवं बाल विकास मंत्री रंजना बघेल 2008 में मनावर से अपना विधानसभा चुनाव में असफल रही। 2013 की महिला एवं बाल विकास मंत्री की रहेगी माया सिंह ने भी दो हजार अट्ठारह में चुनाव के दौरान हार का सामना करना पड़ा ठीक इसी तरह ललिता यादव भी महिला एवं बाल विकास मंत्री बनने के पश्चात चुनाव हारी थी।


इसी तरह की बैठक पूर्व में मंत्री रहे अर्चना चिटनिस और इमरती देवी पर भी देखने को मिला था। यह चर्चाएं लगातार बनी रही क्योंकि सुधार इस विभाग के मुखिया मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान हैं ऐसे में इस विभाग के का शिकार हुए भी हो सकते हैं या नहीं यह तो आने वाले समय में ही पता चलेगा।


बता दें कि इस मिथक को कांग्रेस के कद्दावर और विपक्षी नेता रही स्वर्गीय जमुना देवी ने पूरी तरह तोड़ दिया था। महिला एवं बाल विकास मंत्री भी रहे और उसके पश्चात चुनाव भेजी थी जमुना देवी की गिनती प्रदेश के उन कद्दावर नेताओं में होती थी जिन्होंने प्रदेश की राजनीति में अहम भूमिका निभाई।

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