क्राइम

मानवता हुई शर्मसार 5 साल की उम्र में पिता ने किया रेप, भाई ने किया शोषण, शिकायत की तो मां ने रोका

मैं उस वक्त पहली कक्षा में थी और नानी बाहर गई हुई थी जिस वजह से पापा नहीं घर में मुझे अकेला देखकर मुझे दबोच लिया। उन्होंने मेरे कपड़े उतार कर अश्लील हरकतें करना शुरू कर दी। मैं दर्द से काफी चीख रही थी पापा प्लीज मुझे छोड़ दो बहुत दर्द हो रहा है। किंतु उन्हें हैवानियत की सारी हदें पार करते हुए मुझे बेड पर पटक दिया। लाख जबरदस्ती की जितना हो सका मैंने अपने बचाव में हाथ पैर चलाने की कोशिश की उसके बाद में बेहोश हो गई और जब मुझे होश आया तो मैं उस वक्त हॉस्पिटल में थी और हर अंग पर मेरे जख्म थे।

लेकिन अब मैं 20 साल की हूं खौफनाक मंजर मैं आज तक भूल नहीं पाए। मैं जब भी कभी अकेले किसी आदमी को देखती हूं तो उसको देखकर कांपने लगती हो। जम्मू से मेरे अपने ही पापा ने नहीं छोड़ा तुम्हें दूसरों पर कैसे भरोसा कर सकती हूं।
देखते ही देखते हैं मेरे देश की एक नामी यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाली शालिनी जो बच्चों की तरह बिलख बिलख कर रो रही थी। शालिनी की ही तरह देश में हर तीसरी रेप पीड़िता के पीछे उनके अपने ही परिजन शामिल है।
इनमें से कई बच्चियां लोक लाज और अपने परिवार के दबाव के चलते किसी भी तरह का विरोध नहीं कर पाते और अगर विरोध कर दिया तो घरवाले ही उनकी आवाज को दबा देते हैं। असल में यह कोई कहीं सुनाई बातें नहीं होती अगर सरकारी आंकड़े देखे जाए तो बहुत कम ही इस तरह के मामले सामने आप आते हैं।
दिल्ली की बेहद रिहायशी इलाके में लंबे-लंबे सिसकियां ले रही और टूटते हुए शब्द और गालों को भी रोते हुए आंसू को देखकर 20 साल के सामने जब बात करती है तो ऐसा लगता है कि कोई छे या 7 साल की बच्ची बात कर रही हो।
शालिनी ने बताया कि मुझे वर्ष याद है ना ही अपनी याद है कि बड़ी बहन उस वक्त छठी कक्षा में थी और मैं पहली कक्षा में थी। मेरी छुट्टी बड़ी बहन से 2 घंटे पहले हो जाया करती थी। मां और नानी जॉब किया करते थे जब मैं घर लौटती थी तो पड़ोस की आंटी मेरा दरवाजा खोल देती थी।
उस दिन स्कूल से आने के बाद मैंने चावल दाल खाया था उसके बाद पापा कमरे में आए मैं थोड़ा डर गई। उनको देखकर मैं बहुत डर गई क्योंकि वह मम्मी को काफी पीटते थे। इसके बाद पापा मेरे कई बार उन्होंने मुझे गले लगाया और गले लगाते लगाते उन्होंने मेरे शरीर को गलत तरीके से छोटा शुरू कर दिया कहने लगे कि अब तुम्हारी मां को मैं कभी नहीं मारूंगा।
इसके बाद भी मुझे बहुत ही अश्लील तरीके छू रहे थे। उस वक्त मैं कुछ समझ नहीं पाई कुछ देर बाद जब उन्होंने मेरे कपड़े उतारने का प्रयास किया। तो मैं बेहद डर गई मैं अपने पापा के सामने गिर गिरा रही थी जोर-जोर से रो रही थी किंतु वह नहीं रुके उन्होंने वॉशरूम की टंकी खोल दी टीवी की आवाज बहुत तेज कर दिया टीवी पर शायद गाने बज रहे थे उस शोर में मेरे चीखे पूरी तरह दब गई। वह मुझे लगातार बेड पर उठा उठा कर पटक रहे थे, शायद उस दिन पापा मुझे मार देने की योजना में थे इसके पश्चात क्या हुआ मुझे नहीं पता बस मुझे इतना मालूम है कि जब मेरी आंख खुली तो उस वक्त मैं हॉस्पिटल में थी। वहां मम्मी नानी और कुछ पुलिस वाले मौजूद थे पुलिस मुझसे तमाम तरह के सवाल कर रही थी किंतु मैं सिर्फ और सिर्फ रो रही थी।
उस दिन के बाद से मैंने अपना खेलना बंद कर दिया हर वक्त गुमसुम बैठी रहती थी मेरा पढ़ने में भी बिल्कुल मन नहीं लगता इसकी वजह से मैं क्लास फोर्थ में असफल हूं आज भी मैं जब फोन में गाने सुनती हूं कहीं से पानी गिरने की आवाज आती है तो मैं सहम सी जाती हु।
शालिनी कुछ वक्त कहां रुकती है खुद को संभालने का प्रयास करती है लंबी सांसे भरते हुए कहती है कि उस दिन के बाद मैंने कभी उनका चेहरा नहीं देखा वह जंगली इंसान है मैं उससे घृणा करती हूं अफसोस है कि मैं उसे सजा नहीं दिला पाए।
शालिनी ने बताया कि वह आदमी ही पेशे से एक अध्यापक था मां को पढ़ाता था दोनों में प्यार हो गया और दोनों ने इसके बाद शादी रचा कुछ वर्षों बाद पता चला कि वह पहले से ही शादीशुदा था तब तक मेरी बड़ी बहन पैदा हो गई थी और मैं गर्भ में थी।
इसके बाद दोनों के बीच का रिश्ता खराब होते चला गया। मैं आज नहीं मुझे पेट में ही मार देने की योजना बना रहा था पर मां उससे अलग रहने का निश्चय कर चुकी थी। उन्होंने उस आदमी से तलाक ले लिया और मुझे आज भी समझ नहीं आता कि मां ने उस दरिंदे को जेल क्यों नहीं भिजवा दिया।
जो मेरे साथ हुआ मैं बिल्कुल नहीं चाहती यह किसी और बच्चे के साथ हो। मैंने डायरी के पन्नों पर अपने गुस्से निकालने की प्रयास भी किए कई डायरिया मैंने अपने गुस्से से भर डाली फिर लगा मेरे शब्द मुझे एक बार फिर उस दुनिया में ले जाते हैं जहां से मैं भागना चाहती हूं।
डायरी वगैरह नहीं लिखती कॉलेज के असाइनमेंट लिखती हूं ताकि मैं कुछ बन सकूं अपने लिए कुछ कर सकूं और ऐसे लोगों को कम से कम कानून के सहारे उनके किए की सजा दिला सकूं।

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