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बसपा सुप्रीमो मायावती ने ईव्हीएम से होने वाले चुनाव की पारदर्शिता एवं निष्पक्षता पर उठाये सवाल

Questions on transparency and impartiality of EVM: रीवा। उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री सुश्री मायावती ने ईव्हीएम से होने वाले चुनाव की पारदर्शिता एवं निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब तक वैलेट से चुनाव होते थे तब बीएसपी के एमपी, एमएलए काफी संख्या में बनते थे, परंतु जब से चुनाव ईव्हीएम से होने लगे हैं तबसे बसपा का ग्राफ गिरा है किन्तु इससे मनोबल नहीं गिरना चाहिये और बसपा उम्मीदवार के पक्ष में बढ़ चढ़कर मतदान करना चाहिए।

बसपा सुप्रीमो सुश्री मायावती ने रीवा के एसएएफ ग्राउण्ड में पार्टी उम्मीदवारों के पक्ष में आयोजित जनसभा को संबोधित किया। पार्टी अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री को सुनने के लिये संसदीय क्षेत्र रीवा के आठों विधानसभा क्षेत्र से पर्याप्त संख्या में भीड़ पहुंची थी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस एवं भाजपा पर आरक्षण का कोटा पूरा न करने का आरोप लगाते हुए कहा कि आरक्षण की सुविधा बसपा के संघर्ष के चलते मयस्सर हुई है। अभी भी म.प्र. के प्रायवेट सेक्टर में आरक्षण की व्यवस्था लागू नहीं है।

अधिनायकवादी महानायिका ने नहीं लिया प्रत्याशियों का नाम

बहुजन हिताय और बहुजन सुखाय की मुनादी पीटने वाली बसपा सुप्रीमो जिन्हें उनके अनुयायी सामाजिक परिवर्तन की महानायिका की उपमा देते हैं, का अधिनायकवादी रूप एक बार पुनः मंच पर देखने को मिला। संसदीय क्षेत्र रीवा की आठों विधानसभा सीटों के बसपा प्रत्याशी पीछे बैठे थे और उनके आगे इकलौता सिंहासन बसपा सुप्रीमो का था। माना कि बसपा की परम्परा में यह शामिल हो गया है किन्तु हैरानगी इस बात की है कि बसपा अध्यक्ष आईं तो पार्टी के उम्मीदवारों के समर्थन में चुनावी सभा को संबोधित करने के लिए किन्तु उन्होंने अपनी जुबान से किसी भी उम्मीदवार का मंच से नाम तक नहीं लिया । बहरहाल संभागीय मुख्यालय में आयोजित बसपा की चुनावी सभा में उमड़ी भीड़ ने यह बताने की कोशिश की है कि बसपा को हल्के से न लिया जाये । त्योंथर से बसपा प्रत्याशी देवेन्द्र सिंह, सेमरिया से पंकज सिंह, देवतालाब से अमरनाथ, सिरमौर से वी.डी. पाण्डेय सहित अन्य बसपा उम्मदवारों के समर्थक भरपूर संख्या में सम्मिलित हुये थे।

मौजूदा केन्द्र व प्रदेश की भाजपा तथा तत्कालीन कांग्रेस सरकारों पर पूंजीपतियों एवं धन्नासेठों का पक्षधर बताते हुए कहा कि महिला बिल में 33 प्रतिशत आरक्षण की बात कही गई है किन्तु उसमें एससी, एसटी, ओबीसी के लिये पृथक से कोई व्यवस्था नहीं दी गई है। सरकार की नीतियों को जातिवादी, पूंजीवादी एवं संकीर्ण मानसिकता वाली ठहराते हुए बसपा सुप्रीमों ने कहा कि बल्कि यूं कहें कि उन्होंने लिखा भाषण पढ़ते हुए कहा की देश में व्यापक भ्रष्टाचार है जिससे म.प्र. की भी अछूता नहीं है। भाजपा और कांग्रेस पूंजीपतियों एवं धन्नासेठों के धनबल से चुनाव लड़ती हैं जबकि बसपा कार्यकर्ताओं के बल पर चुनाव लड़ती है।

सुश्री मायावती चुनावी सभा को संबोधित तो म.प्र. के रीवा शहर में कर रही थीं किन्तु उन्होंने गुणगान उत्तरप्रदेश की तत्कालीन बसपा सरकार का किया।उन्होंने कांग्रेस और भाजपा पर जमकर हमला बोला जबकि केन्द्र में रही तत्कालीन वी. पी. सिंह की सरकार की तारीफ करते हुए कहा कि लंबे समय तक केन्द्र और प्रदेश में रहने वाली कांग्रेस तथा उसके बाद भाजपा की सरकारों ने सर्वसमाज खासकर दलित, आदिवासी, ओबीसी, मुस्लिम व अन्य अल्पसंख्यक, गरीब, मजदूर, किसान, युवा एवं महिलाओं के हित में स्वमेव कुछ नहीं किया।

थोड़ा-बहुत जो भी लाभ संभव हुआ है वह बसपा के संघर्ष का नतीजा है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस और भाजपा सरकारों की गलत नीतियों के कारण दलितों, आदिवासियों, अन्य पिछड़ा वर्ग, गरीबों, मजदूरों, अल्पसंख्यकों सहित सर्वसमाज के लोगों का उत्थान व उत्कर्ष नहीं हो पाया है । पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि बसपा घोषणा पत्र जारी नहीं करती है क्योंकि वह काम करने पर विश्वास करती है । उत्तरप्रदेश में उन्होंने जो कहा था वह करके दिखाया। सुश्री मायावती ने कहा कि बसपा का गोंडवाना गणतंत्र पार्टी से गठबंधन है, शेष किसी से उनका गठबंधन नहीं है।

इसलिए लोग किसी भी बहकावे में न आएं। उन्होंने कहा कि यदि डॉ. अंबेडकर तथा कांशीराम के सपनों को साकार करना है तो बसपा की सरकार बनाना हो। दीर्घकालिक देश में शासन करने वाली कांग्रेस ने यदि दलित, आदिवासी, ओबीसी, अल्पसंख्यक, समाज का ध्यान रखा होता तो बहुजन समाज पार्टी के गठन की आवश्यकता ही न पड़ती। उन्होंने कहा कि अभी हमारा समाज पूरी तरह से तैयार नहीं हुआ है जब यह पूरी तरह से तैयार हो जायेगा तब कोई भी अन्य दल सत्ता में नहीं आयेगा ।

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