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Weather Patterns: बदलता रहा मौसम का मिजाज, कभी बारिश कभी धूप तो कभी छाई काली घाटाएं

रीवा। पिछले कई दिनों से आसमान में छाए बादल बरस पड़े। बुधवार की रात से प्रांरभ हुआ बारिश का सिलसिला गुरूवार को भी जारी है। सुबह से दोपहर तक बारिश में क्रम रूक रुक कर जारी रहा है। पूरे दिन मौसम का मिजाज बदलता रहा। कभी बारिश तो कभी धूप तो कुछ देर में काली घाटाएं छाने से अंधेरा छाया गया। है। बारिश के बाद ठंडक बढ़ गई है। मौसम विभाग के अनुसार अभी 2 दिसम्बर तक स्थिति ऐसी ही रहेगी। दो दिसंम्बर के बाद मौसम साफ हो जाएगा।

बता दें कि बारिश ने कई स्थानों पर किसानों को नुकसान पहुंचाया है तो कई हिस्सों पर जहां पहले से फसलें बोई जा चुकी हैं या फिर खेतों को पानी का इंतजार था वहां के लिए राहत है। बीते कई दिनों से मौसम में कभी बादल घिर रहे थे तो कभी आसमान साफ दिखाई देने लगा था। बुधवार को भी सुबह से मौसम में बदलाव के संकेत थे लेकिन दोपहर तक में मौसम खुल गया। इस कारण किसानों ने भी यह माना कि अब बारिश नहीं होगी। इसी के चलते खेतों या फिर खलिहानों में पड़े धान का ठीक से रखरखाव नहीं कर पाए।

रात्रि में अचानक मौसम फिर बदला और बारिश हो गई। कुछ क्षेत्रों में तेज बारिश हुई है। कई जगह तो बंूदाबांदी या फिर हल्की बारिश है लेकिन जहां तेज बारिश हुई वहां कई किसानों को नुकसान पहुंचा है। जिले के कई गांवों के किसानों ने जानकारी दी है कि धान भीग गई है और जल्दी मौसम नहीं खुलेगा तो वह ठीक से सूख नहीं पाएगी और नुकसान हो जाएगा। वहीं जिन स्थानों पर किसानों ने धान को पालीथिन या अन्य तरह से ढंक कर रखा था उसे आंशिक रूप से नुकसान पहुंचा है।

जिले के कई हिस्सों में चना, मसूर, अलसी, मटर, सरसो आदि की बोनी हो चुकी है। इन्हें बारिश के पानी से फायदा होगा है। वही धान की कटाई में देरी होने की वजह से कई जगह खेत सूख गए हैं और पानी की सिंचाई के बाद ही वह जोताई के लायक होंगे। उन्हें पानी मिलने से राहत महसूस की जा रही है। कई गांवों के किसानों ने बताया कि पलेवा के लायक बारिश नहीं हुई है। रीवा और मऊगंज जिलों में सबसे अधिक बारिश नईगढ़ी में 10 मिलीमीटर हुई है। हुजूर तहसील में 9.6 मिमी और मऊगंज में 7.2 मिमी बारिश दर्ज की गई है।

पिछले वर्ष भी 30 नवंबर को हुई थी बारिश

बेमौसम बारिश पिछले वर्ष भी हुई थी। बीते साल 30 नवंबर को जिले के कई क्षेत्रों में बारिश हुई थी। कुछ तहसीलों में तेज बारिश हुई लेकिन अधिकांश जगह बारिश नहीं हुई थी। पिछले वर्ष 30 नवंबर को त्योंथर में सबसे अधिक बारिश हुई थी, यहां पर 20 मिमी वर्षा दर्ज की गई थी। हुजूर तहसील में 5.2 मिमी, रायपुर कर्चुलियान में 2 मिमी एवं मनगवां में तीन मिमी बारिश हुई थी। जिले की अन्य तहसीलों में केवल बूंदाबांदी हुई थी।

जिले में 4.9 मिमी दर्ज की गई वर्षा

रीवा और मऊगंज जिले में 4.9 मिलीमीटिर वर्षा दर्ज की गई है। जिसमें हुजूर तहसील में 9.6 मिमी, रायपुर कर्चुलियान में 4.2, गुढ़ में 5.2 मिमी, सिरमौर में एक मिमी, त्योंथर में 5 मिमी, मऊगंज में 7.2 मिमी, हनुमना में 4 मिमी, सेमरिया में एक मिमी, मनगवां में मनगवां में 5 मिमी, जवा में 2 मिमी और नईगढ़ी में सबसे अधिक 10 मिमी वर्षा दर्ज की गई है। जिले की औसत वर्षा 1044.6 मिमी है, जिसमें अब तक 753.2 मिलीमीटर बारिश ही दर्ज हो सकी है।

पिछ़ेगी रबी की बोनी

बताया जा रहा है रबी की बोनी के लिए जिन खेतों में पलेवा होने के बाद वह जुताई और बोनी के लिए तैयार हो रहे थे अब बारिश के बाद पिछड़ जाएंगे। पिछले कई दिनों से आसमान में बादल छाए रहने के कारण इस बार पलेवा वाले खेतों में सूखने में काफी समय लग रहा है। ऐसे में बारिश ने किसानों की समस्या और बढ़ा दी है।

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