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केंद्र सरकार की नजर है अब आपके बैंक खाते पर, बनाई जा रही है विशेष योजना

केंद्र सरकार टैक्स के जरिए अपनी तिजोरी भरने के लिए कई नए तरीकों पर विशेष रूप से काम कर रही है। इसके लिए लिए केंद्र कई महत्वकांक्षी योजनाओं को अमली जामा पहनाने में जुटी हुई है। केंद्र सरकार ने अपनी इस योजना को लेकर विशेष नोटिफिकेशन भी जारी किया है। जिसमें कई तरह के निर्देश जारी किए गए हैं।

केंद्र सरकार लोगों की आमदनी पर नजर रखने और उसके जरिए टैक्स वसूलने की रणनीति बना रही है। इसके लिए इनकम टैक्स विभाग अब आपके बचत खाते पर मिलने वाले ब्याज पर भी नजर रखेगा। बैंक, वित्तीय संस्थाओं या फिर डाकघर में आपके द्वारा की गई जमा धनराशि पर मिलने वाले ब्याज के पाई-पाई का हिसाब रखेगा इनकम टैक्स विभाग। केंद्र सरकार के निर्देश पर इनकम टैक्स विभाग ने एक अधिसूचना जारी की है। जारी की गई अधिसूचना में बैंक, वित्तीय संस्थाओं और डाकघरों से कहा गया है कि वे जनधन को छोड़कर हर खाते पर दिए जा रहे ब्याज की पूरी-पूरी जानकारी उपलब्ध कराएं।

हालांकि इससे पहले तक प्रति व्यक्ति के लिए प्रति वित्तीय वर्ष में 5000 रुपये या फिर उससे अधिक के ब्याज की जानकारी उपलब्ध करानी होती थी, लेकिन पांच जनवरी से इसे हटा दिया गया है। इस सीमा तो समाप्त करते हुए नई सीमा तय की गई है। जिसके मुताबिक अब शून्य या उससे ज्यादा दिए गए ब्याज की जानकारी उपलब्ध करानी होगी। यानि हर बैंक खाते की जानकारी अब इनकम टैक्स विभाग को दी जानी आवश्यक होगी।

जारी नोटिफिकेशन के मायने है कि केंद्र सरकार को इससे टैक्स के दायरे को बढ़ाने में खासी सहूलियत होगी। जारी नोटिफिकेशन के मुताबिक अब हर तरह के बैंक अकाउंट पर दिए जा रहे ब्याज की समस्त जानकारी आयकर विभाग के अधिकारियों को देनी पड़ेगी। यह नियम प्रत्येक फाइनेंशियल इयर में लागू होगी। यानि की बैंक को एक फाइनेंसियल में किसी बैंक अकाउंट पर कितना ब्याज दिया गया इसकी जानकारी सरकार को देनी पड़ेगी। सूत्रों की माने तो केंद्र द्वारा ऐसा किए जाने का मुख्य मकसद आयकर की चोरी पर लगाम लगाया जा सकेगा। हालांकि अभी तक ब्याज की धनराशि पर आयकर की छूट की व्यवस्था पर कोई बड़ा बदलाव नहीं किया गया है।

आयकर कानून के सेक्शन 80 के तहत 60 वर्ष के कम आयु के लोगों के सेविंग एकाउंट से मिलने वाले 10 हजार रुपये तक की ब्याज पर छूट मिलती है। वहीं 60 साल की उम्र से ज्यादा के लोगों को आय के विभिन्न स्त्रोतों से मिलने वाली 50 हजार रुपये तक के ब्याज पर आयकर से छूट मिलती है। हालांकि इसमें बांड या फिर डिबेंचर से होने वाले ब्याज से मिलने वाली आय़ को इसमें शामिल नहीं किया जाता है। केंद्र के इस नए प्रावधान से नए तरह के बदलाव की उम्मीद लगाई जा रही है। इसके तरह टैक्स विभाग को किसी करदाता द्वारा पाए गए ब्याज की कुल रकम की आसानी से जानकारी मिल जाएगी। साथ ही टैक्स चोरी जैसे मामलों पर रोक लगाने में मदद मिलेगी।

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