मध्य प्रदेश

कोरोना ने छिना बच्चों से स्कूल का माहौल, 23 हजार बच्चों ने नहीं देखा है स्कूल

विंध्य भास्कर/डेस्क रिपोर्टर: भोपाल के लगभग 23 हजार बच्चे ऐसे हैं जिनकी उम्र तीन साल है और कोरोना संक्रमण के कारण अब तक उन्होंने अपने स्कूल का मुंह भी नहीं देखा और टीचर्स से भी ऑनलाइन ही जुड़े। हमने तो सिर्फ भोपाल की बात की है अगर प्रदेश भर की बात करे तो ये संख्या बहुत बड़ी होगी। टीचर्स और मनोचिकित्सक का कहना है कि बच्चा जब पहली बार स्कूल जाता है तो स्कूल का माहौल और दूसरे बच्चों से बहुत कुछ सीखता है। अनुशासन में रहना, समय से काम करना और दोस्तों से चीजें शेयर करने जैसी तमाम बातों को स्कूल में रहकर की ठीक ढंग से सीख पाता है। ऐसे में जिन बच्चों को शुरुआत से ही स्कूल का माहौल नहीं मिला है, उनमें सोचने-समझने की क्षमता कम पर भी बुरा असर पड़ा है।

  • 99,638 बच्चों का जन्म शहर में 2016-17 और 2017-18 में हुआ
  • 2016-17 में 49026 और 17-18 में 50612 बच्चों का जन्म हुआ
  • 23,000 बच्चों ने 2020-21 में सरकारी व प्राइवेट स्कूलों में लिया एडमिशन

ऑनलाइन में दिक्कत

  • स्क्रीन से पढ़ना मुश्किल होता है, बच्चे ज्यादा समय तक एक जगह नहीं बैठते।
  • ऑनलाइन पढ़ाई में केवल बुक्स को फॉलो करते हैं। बच्चों को स्कूल का माहौल नहीं दिया जा सकता।
  • बच्चे का मूल्यांकन संभव नहीं है। बच्चों को दिया जाने वाला होमवर्क चैक करने में दिक्कत होती है।
  • टीचर ज्यादा ध्यान नहीं दे पाते। बच्चे भी पढ़ाई को गंभीरता से नहीं लेते।
  • स्क्रीन टाइम बढ़ने से बच्चों को आंखों से जुड़ी समस्याएं भी होती हैं।

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