“विंध्य” का “पर्यावरण” सरकार की नाकामियों का भेंट चढ़ा; Rewa Division में फोरलेन निर्माण के लिए काटे गये थे 6696 वृक्ष, अब पौधों के लिया तरसा रहा नेशनल हाइवे
सुरेंद्र तिवारी / विंध्य भास्कर। 17वीं शताब्दी में मोहम्मद गोरी ने रीवा-हनुमना एवं मनगवां-चाकघाट सड़क के किनारे फलदार वृक्ष लगवाएं थे। सैकड़ों साल पुराने लगभग 6696 वृक्षों को रीवा-हनुमना एवं मनगवां-चाकघाट फोरलेन सड़क निर्माण के दौरान कंपनी ने काटवा डाले हैं। इनमें आम, शीसम, नीम, पीपल के विशाल पेड़ शामिल हैं। जल जंगल जमीन बचाओ मोर्चा के संयोजक शिव सिंह ने बताया कि रीवा जिले सहित विध्य क्षेत्र में काटे गए वृक्षों के बदले उसी प्रजाति के 10 गुना वृक्ष न लगाए जाने एवं काटे गए वृक्षों की लकड़ी में हुए व्यापक भ्रष्टाचार की शिकायत सन 2016 से लगातार विधिवत प्राप्त दस्तावेजों के
सरकार के साथ भ्रष्टाचार में संलिप्त जांच एजेंसियां
गई इसके बाद भी प्रदेश की शिवराज सरकार
हीरा खनन से व्यवसायिक लाभ लेने छतरपुर जिले के बक्सवाहा वन परिक्षेत्र में ढाई लाख इमारती एवं औषधीय पौधों का कत्लेआम करने जा रही जबकि हीरे से प्राप्त माननीय सुप्रीम कोर्ट भी यह कह चुकी है कि वन भूमि पोखर पठार कर्तव्य है वृक्ष ऑक्सीजन के घर हैं यदि इनकी कटाई रोकी नहीं गई तो पर्यावरण के साथ – साथ व्यापक जल संकट से पड़ेगा आज पर्यावरणविद भी गभीर चिता व्यक्त कर रहे हैं तो आइए एक वृक्ष 10 पुत्र समान के नारे को साकार करते हुए प्रत्येक परिवार वर्ष में 10 वृक्ष अवश्य लगाएं ।
विंध्या एक्सप्रेस-वे और दिलीप बिल्डिकॉन से समय पर पौधे लगवाने का भी आदेश दिया गया, लेकिन इन्होने आदेश का पालन नही किया।
रीवा से हनुमना तक 3582 पेड़ काटे, लेकिन नए लगाए नहीं
नेशनल हाइवे के फोरलेन सड़क निर्माण के दौरान काटे गए पेड़ों के बदले नए सिरे से पौधे नहीं लगाए गये। नेशनल हाइवे सात में रीवा से हनुमना तक और 27 में मनगवां से चाकघाट तक के लिए सड़क निर्माण कार्य वर्ष 2012 में प्रारंभ कराया गया था। दोनों सड़कों के किनारे करीब दो सौ वर्ष से भी पुराने फलदार एवं छायादार पेड़ लगे हुए थे। सड़क को फोरलेन बनाने के लिए उसे चौड़ा किया गया जिसके चलते दोनों ओर लगाए गए पेड़ों को निर्माण कराने वाली कंपनी ने काट डाला। उसके बदले में अभी तक पेड़ नहीं लगाए गए हैं।
दस गुना पौधे लगाने का था आदेश
सड़क निर्माण करने वाली कंपनी को पेड़ काटने के बदले दस गुना पौधे लगाने के लिए कलेक्टर ने वर्ष2012 में आदेश जारी किया था। पेड़ काटने की अनुमति के साथ ही यह भी
कहा गया था कि हर वर्ष कितनी संख्या में पेड़ लगाना है। रीवा से हनुमना के बीच 3582 पेड़ काटे गए थे और मनगवां से चाकघाट के मध्य 2000 से अधिक। इसमें आम, महुआ, अमरूद, इमली, कैथा, जामुन, करंज, ऊमर, पीपल, बरगद, यूके लिप्टस, बबूल, बेल, नीम, मेगुर, कदम, सिरसा, गुरार, किजी, कचनार, सेमरा, नीलगिरी, गुलमोहर, शीशम, सागौन, पलाश सहित अन्य पेड़ काटे गए थे। इनके बदले छायादार, फलदार, इमारती लकड़ी वाले पौधे लगाए जाने के लिए कहा था।
विकास कार्यों के उद्देश्य के लिए पर्यावरण मंत्रालय ने साल 2014 से साल 2019 के दौरान 1.09 करोड़ पेड़ काटने की परमिशन दी।
आज दुनिया के अंदर पर्यावरण और प्राणी एक दूसरे पर आश्रित हैं पर्यावरण संरक्षण का मतलब है अपने चारों ओर के वातावरण को संरक्षित कर जोवन के अनुकूल बनाएं रखना प्रत्येक वर्ष सरकार 5 जून को पर्यावरण संरक्षण दिवस मनाने में अकूत धन राशि खर्च करती है और इसके बाद आर्थिक लाभ के लिए पर्यावरण को स्वयं प्रभावित करने का काम करती आज देखा जाए तो भौतिक एवं प्राकृतिक पर्यावरण में वायु जल खाद्य पदार्थ भूमि ध्वनि ऊष्मा प्रकाश नदी पर्वत खनिज पदार्थ विकिरण आदि शामिल हैं जहां सरकार की लापरवाही व नाकामियों के चलते सभी क्षेत्र खतरनाक रूप ले चुके हैं आज मध्य प्रदेश का विध्य इलाका जो कभी भौतिक एवं प्राकृतिक पर्यावरण के क्षेत्र में अमीर था आज सरकार की नाकामियों की भेंट चढ़ चुका है ।
सड़कीकरण दौरान हजारों वृक्षों का कत्लेआम
रीवा सहित समूच विध्य में विगत 15 वर्षों में नेशनल हाईवे एवं अन्य सड़क मार्ग निर्माण दौरान हजारों आम नीम पीपल महुआ शीशम सहित 2 दर्जन से अधिक प्रजाति के फलदार इमारती एवं औषधीय सैकड़ों वर्ष पुराने वृक्षा का कत्लेआम किया गयाा, प्राप्त दस्तावेजों के अनुसार रीवा से हनुमाना, मनगवां से चाकघाट, रीवा से सतना रीवा से सिरमौर आदि से जानकारी प्राप्त हुई है वृक्षों के काटे जाने की जानकारी प्रदान नहीं की गई कुल मिलाकर अकेले रीवा जिले में ने में लगभग 11 हजार वृक्ष काटे गए शासन के मुताबिक संबंधित क्षेत्र के तहसीलदार के माध्यम से नीलामी कराकर भू राजस्व के विहित मद में प्राप्त धनराशि जमा कराना था जो आदेश मुताबिक जमा नहीं कराई गई कुल मिलाकर काटे गए हजारों वृक्षों के बदले लाखों वृक्ष लगाने थे इसी तरह समूचे विंध्य इलाके का आकलन किया जाए । रीवा से सतना रीवा से सीधी रीवा से शहडोल रीवा से मैहर हाईवे मार्ग जहा हजारों वृक्षों का कल्लेआम किया गया सभी मार्ग बिना वृक्षों के वीरान पड़े हैं यदि काटी गई लकड़ी एवं जो 10 गुना वृक्ष लगाने थे उसका आकलन किया जाए तो कुल मिलाकर अरबों का भ्रष्टाचार किया गया है ।
पर्यावरण संकट का व्यापक असर
विंध्य के पर्यावरण पर एक नजर डालें तो आज एक चौथाई जमीन वृक्षों के काटे जाने से बंजर हो चुकी है यदि इसी रफ्तार से वन वृक्षों का दोहन हुआ तो अधिकतम आबादी का जीवन संकट में पड़ जाएगा बेमौसम बारिश भूकंप चक्रवात सुनामी अन्य प्रकोप पर्यावरण संकट का ही नतीजा है इस संकट के लिए सरकार की गलत नीतियां एवं राजनीतिक उद्देश्य जिम्मेदार हैं नतीजन आज पर्यावरण संकट के कारण मानव जीव जंतुओं पर व्यापक असर पड़ रहा है ।
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