World Population: तीन महीने में चीन को पछाड़ देगा भारत, यूएन की रिपोर्ट में किया गया दावा
संयुक्त राष्ट्र के जनसंख्या डिवीजन को लेकर हाल में एक रिपोर्ट जारी की है। यूएन द्वारा जारी की गई इस रिपोर्ट के मुताबित अगले तीन महीनों में भारत चीन को पछाड़कर दुनिया का सबसे आबादी वाला देश बन सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक इससे दोनों देशों पर कई महत्वपूर्ण सामाजिक और आर्थिक प्रभाव की संभावना है। रटगर्स यूनिवर्सिटी में साउथ एशियन हिस्ट्री की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. ऑड्रे ट्रस्चके ने न्यूज एजेंसी को बताया, कि “ज्यादातर लोग सोचते हैं कि भारत की अर्थव्यवस्था में अब भी काफी संभावनाएं हैं क्योंकि ये एक युवा देश है।”
रिपोर्ट के मुताबिक भारत में काफी तेजी से बढ़ रहे 1.41 बिलियन लोगों में से, हर 4 में से लगभग एक 15 वर्ष से कम आयु का है और लगभग आधे 25 वर्ष से कम उम्र के हैं। अगर इनका तुलनात्मक अध्ययन किया जाए तो चीन की जनसंख्या लगभग 1.45 बिलियन है, लेकिन यह 25 वर्ष से कम आयु के लोग जनसंख्या का केवल एक चौथाई हिस्सा बनाते हैं।
अपनी रिपोर्ट में ट्रस्चके ने कहा, “भारतीय उपमहाद्वीप ने हमेशा एक मजबूत मानव आबादी का समर्थन करता आ रहा है। भारत की तुलना भी लंबे समय से विश्व की सबसे अधिक आबादी वाले देश चीन से की जाती रही है और उन्होंने लंबे समय तक एक दूसरे के साथ बिजनेस भी किया है।” वर्ष 1950 के बाद से भारत और चीन ने दुनिया की जनसंख्या वृद्धि का अनुमानित 35% हिस्सा लिया है। चीन एक वैश्विक औद्योगिक शक्ति के रूप में उभर रहा है। संयुक्त रूप से दो जनसंख्या अधिकेंद्र दुनिया के लगभग आठ बिलियन लोगों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।
चीन ने भविष्य के इस सबसे बड़े खतरे को पहले भी भांप लिया था। यही कारण है कि उसने 1980 में वन चाइल्ड पॉलिसी को लॉन्च किया था। इस योजना के कारण चीन की आबादी में भारी कमी देखने को मिली। वहीं हाल के वर्षों में चीन ने महिलाओं को अधिकतम तीन बच्चे पैदा करने की अनुमति दी। पर औसत जन्म दर अभी भी 1.2 ही है। आने वाले वर्षों में चीन की आबादी चरम पर होगी और फिर इसके गिरावट का अनुमान है।
रिपोर्ट की माने तो चीन में जनसंख्या वृद्धि फ्लैटलाइनिंग है और सस्ते श्रम की आपूर्ति सूट का पालन कर सकती है। इस देश के कुछ हिस्सों में भारी बेरोजगारी के बावजूद कुशल शारीरिक श्रम की कमी अधिक स्पष्ट होती जा रही है। दूसरी ओर, भारत और इसकी एक अरब से अधिक लोगों की बढ़ती आबादी कुछ सुस्ती उठा सकती है, लेकिन इसकी विकास दर भी गिर रही है। भारत का औद्योगिक बुनियादी ढांचा चीन की तरह मजबूत नहीं है और अधिकांश जनसंख्या वृद्धि इसके गरीब क्षेत्रों में केंद्रित है।
ऐसे में दोनों ही देशों को लेकर काफी समानताएं हैं। जो इनके हर वर्ग के लोगों को पर्याप्त सुविधाएं नहीं उपलब्ध करा पा रही है। हालांकि भारत की उभरती युवा आबादी को लेकर कई देशों में यहां के व्यापार की संभावनाओं पर काफी उत्सुकता देखी जा रही है।