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Rajendra Shukla: कॉलेज में बने थे छात्रसंघ अध्यक्ष और अब बनेंगे मध्य प्रदेश के उपमुख्यमंत्री

मध्य प्रदेश के प्रमुख नेताओं में से एक राजेंद्र शुक्ला (Rajendra Shukla ) का जन्म 1964 में रीवा में हुआ। उनके पिता भैयालाल शुक्ल एक ठेकेदार हैं। उन्होंने सरकारी स्कूल से पढ़ाई की और सिविल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की। बचपन से ही लीडरशिप क्वालिटी होने के कारण वे 1986 में इंजीनियरिंग कॉलेज छात्र संघ के अध्यक्ष बने। उन्होंने 2003 में विधानसभा चुनाव लड़कर राजनीति में कदम रखा।

राजेंद्र शुक्ला, जो संभालेंगे मध्य प्रदेश की डिप्टी सीएम की कमान
राजेंद्र शुक्ला, जो संभालेंगे मध्य प्रदेश की डिप्टी सीएम की कमान

राजेंद्र शुक्ला
मध्य प्रदेश के प्रमुख नेताओं में से एक राजेंद्र शुक्ला का जन्म 1964 में रीवा में हुआ। उनके पिता भैयालाल शुक्ल एक ठेकेदार हैं। उन्होंने सरकारी स्कूल से पढ़ाई की और सिविल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की। बचपन से ही लीडरशिप क्वालिटी होने के कारण वे 1986 में इंजीनियरिंग कॉलेज छात्र संघ के अध्यक्ष बने। उन्होंने 2003 में विधानसभा चुनाव लड़कर राजनीति में कदम रखा। उन्होंने 2008 और 2013 के मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में फिर से अपनी जीत दोहराई।

एक विधायक के रूप में अपने कार्यकाल में, उन्होंने वानिकी, जैव विविधता/जैव प्रौद्योगिकी, खनिज संसाधन और कानून और विधायी मामलों सहित विभिन्न मंत्रालयों के अंतर्गत काम किया। उन्होंने 2013 में शिवराज सिंह चौहान सरकार के तहत कैबिनेट मंत्री के रूप में भी कार्यभार संभाला।

कैसा है राजनीतिक सफर
2013 में वह मध्य प्रदेश की 14वीं विधानसभा के लिए चुने गए। उन्होंने उद्योग नीति और निवेश संवर्धन पर कैबिनेट मंत्रालय संभाला। वह मध्य प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास निगम के अध्यक्ष भी रहे।
2008 में वह रीवा निर्वाचन क्षेत्र से दूसरी बार मध्य प्रदेश विधानसभा के लिए चुने गए। वह मध्य प्रदेश राज्य सरकार में ऊर्जा और खनिज संसाधन मंत्री भी बने।
2003 में राजेंद्र शुक्ल पहली बार मध्य प्रदेश विधानसभा के लिए चुने गए। उन्हें आवास एवं पर्यावरण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के रूप में मंत्रिपरिषद में शामिल किया गया था।
भारतीय जनता पार्टी के नेता राजेंद्र शुक्ला ने 1992 के युवा सम्मेलन के आयोजन में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्हें रीवा इंजीनियरिंग कॉलेज का अध्यक्ष भी चुना गया था। बता दें कि सतना जिले के मुकुंदपुर में विश्व की पहली व्हाइट टाइगर सफारी की स्थापना के पीछे उनका बड़ा हाथ रहा।

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