बारूद के ढेर पर Rewa का Minerva Hospital: पेट्रोल पंप बगल में कैसे मिली अस्पताल बनाने की अनुमति, एनओसी देने वाले विभागों पर सवाल
हरदा और पेटलावाद जैसी विस्फोटक घटना के इंतजार में; भयंकर तबाही का खुला आमंत्रण है Minerva Hospital
REWA NEWS: प्रशासनिक तंत्र को हादसों से सबक न लेने की आदत है। आग लगने के बाद कुआं खोदना प्रशासन की स्वभाविकता बन चुका है। प्रदेश के हरदा जिले में मंगलवार को पटाखा फैक्ट्री में हुई आगजनी की घटना ने कई परिवारों को गहरा घाव दिया है। पटखा फैक्ट्री में हुये विस्फोट से न सिर्फ धरती कांपी है वरन् घटित हृदयविदारक व भयानक घटना ने राज्य सरकार के साथ-साथ समूची जनता को भी झकझोर दिया है। हरदा जिले में पटाखा फैक्ट्री में हुये विस्फोट की लपटों की आंच पूरे प्रदेश में पहुंची है। रीवा भी उस आंच से अछूता नहीं है। जिला प्रशासन एवं पुलिस प्रशासन अलर्ट मोड पर है।
पेट्रोल पंप बगल कैसे मिली अस्पताल बनाने की अनुमति, एनओसी देने वाले विभागों पर सवाल
रीवा संभागीय मुख्यालय में बैठे सभी संभाग तथा जिलास्तर के मुख्य प्रशासनिक अधिकारियों के लिये ध्यान देने योग्य बात है कि रीवा बारूद के ढेर पर है, एक छोटी सी भूल या लापरवाही शहर के एक बड़े भाग को भीषण तबाही में तब्दील कर सकती है। ईश्वर न करे कि कोई ऐसी घटना हो वर्ना राख और खाक के अलावा कुछ नहीं मिलेगा। यहां जिक्र Minerva Hospital का हो रहा है जो पुराने बस स्टैण्ड क्षेत्र में पेट्रोल पम्प से चंद कदम की दूरी पर स्थित है।
Minerva Hospital खोलने के लिये जिले के स्वास्थ्य विभाग एवं नगर निगम ने आंख मूंदकर अनुमति और एनओसी देने का काम किया है। यदि कहीं अस्पताल के अंदर या बाहर धोखे से भी लापरवाही की चिंगारी उठती है और पेट्रोल पम्प को अपनी चपेट में ले लेती है तो उसके खतरनाक एवं भयानक परिणाम का पूर्वानुमान स्वमेव लगाया जा सकता है?Minerva Hospital एवं पेट्रोल पम्प की वस्तुस्थिति से कोई भी अधिकारी अनजान नहीं है। पुराने बस स्टैण्ड के सामने से गुजरने वाले हाइवे से जो भी अधिकारी आते-जाते होंगे, निश्चय ही उनकी निगाह पेट्रोल पम्प से सटे मिनर्वा हास्पिटल की गगनचुंबी इमारत पर पड़ती होगी। मुमकिन है कि उनको उस खतरे का आभास भी होता होगा जिसका अंदेशा खबर के माध्यम से समाचार पत्र द्वारा कई बार व्यक्त किया जा चुका है। मगर दुर्भाग्यवश पूरा तंत्र कुंभकर्णी नींद के आगोश में है। जब तक घटना नहीं होगी, हाहाकार नहीं मचेगा, तब तक तंत्र जागने वाला नहीं है।
प्रशासनिक कार्यवाही कि सक्रियता देखकर लग रहा है विस्फोट की घटना हरदा जिले में नहीं बल्कि रीवा जिले में हुई है
शहर के अंदर पटाखा के कारोबारियों के यहां दबिश का दौर शुरू है। तंत्र की सक्रियता देखकर लग रहा है मानो पटाखा फैक्ट्री में विस्फोट की घटना हरदा जिले में नहीं बल्कि रीवा जिले में हुई है? पटाखा दुकानों एवं गोदामों में छापामार कार्रवाई चल रही है तथा गैर लाइसेंसी कारोबारियों से आतिशी सामग्री जब्त कर उनके विरूद्ध प्रकरण दर्ज किया जा रहा है। सबको पता है कि शहर के गुड़हाई बाजार सहित कई स्थानों में गैर लाइसेंसी पटाखों की दुकानें संचालित होती हैं।
बहुतेरों ने मैदानी में पटाखों के गोदाम बना रखे हैं। गुड़हाई बाजार एवं उसके आसपास के क्षेत्र में पटाखों का आतिशी कारोबार वैध-अवैध रूप से होता है। रीवा शहर के अलावा आसपास के कस्बों में पटाखों का निर्माण एवं खासा व्यापार होता है। प्रायः इलाके रिहायशी हैं जहां पटाखों की दुकाने सजी हुई हैं। आबादी वाले क्षेत्रों में वैध-अवैध पटाखों का व्यापार जमाने से हो रहा है। यहाँ का प्रशासनिक तंत्र और पुलिस तब तक हरकत में नहीं आते हैं जब तक हरदा एवं पेटलावाद जैसे भीषण कांड नहीं होते हैं? जिला और पुलिस प्रशासन को यहां भी विध्वंसक हादसे का इंतजार है, अगर ऐसा नहीं है तो जिस तरह की सक्रियता इन दो दिन से दिख रही है वह पूर्व से क्यों नहीं बरती जाती है।
दिन-रात छापामार कार्रवाई की जाकर पटाखा सामग्री जब्त की जा रही है, यह कार्यवाही पहले भी तो हो सकती थी। सनद रहे कि वर्ष 2015 में झाबुआ के पेटलावाद में विस्फोट की एक घटना हुई थी जिसके बाद रीवा शहर में कुछ इसी तरह जिला एवं पुलिस प्रशासन हरकत में आया था। फिलहाल शासन-प्रशासन का पूर्ण फोकस पटाखा कारोबार पर है जबकि आबादी वाले क्षेत्रों में ही भीषण तबाही को खुला न्यौता देने वाले कई कारण और भी मौजूद हैं। प्रशासनिक ओहदेदार उस ओर निगाह डालने से डरते हैं क्योंकि उन्हें मालूम है कि यदि वे कोई एक्शन लेने का साहस करते हैं तो उसका पॉलीटिकल रिएक्शन रिटर्न के तौर पर मिलेगा ?
पटाखा एवं विस्फोटक दुकानों में की गयी जांच
कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी श्रीमती प्रतिभा पाल के निर्देश पर जिले में राजस्व एवं पुलिस अधिकारियों के संयुक्त दल द्वारा आतिशबाजी, पटाखा व विस्फोटक व्यापारियों के दुकानों एवं भण्डारों का निरीक्षण कर सुरक्षा मानकों के पालन किये जाने की जांच की गयी। अनुविभागीय अधिकारी गुढ़ द्वारा पटाखा दुकानों का निरीक्षण किया गया। इसी प्रकार अनुविभागीय अधिकारी जवा द्वारा डभौरा में पटाखा आज व्यापारी के यहां पटाखा स्टॉक का निरीक्षण किया गया। जबकि एसडीएम सिरमौर द्वारा बैकुण्ठपुर में लायसेंसधारी दुकान का निरीक्षण किया गया।
पेटलाबाद में विस्फोट घटना की जांच होने के बाद भी 8 साल से कार्यवाही प्रचलन में
गौरतलब है कि पटाखा फैक्ट्री हरदा की घटना अति भयावह है। दर्जन भर मौते हो गयीं तथा करीब डेढ सैकड़ा लोग गंभीर हो गये। काल कवलित होने वाले बेचारे मजदूर वर्ग के ही लोग अधिक हैं। भूकंप जैसी स्थिति विस्फोट से हो गयी थी। लगभग 40 किमी. तक धरती कांप उठी थी। घटना के बाद सरकार ने जांच के आदेश दे दिये और समस्त जिला कलेक्टर से रिपोर्ट मांग ली गयी कि उनके यहां संचालित पटाखा फैक्ट्री का संचालन लाइसेंस की शर्तों के अनुसार हो रहा है या नहीं? घटना के बाद यह सब होना ही था। वर्ष 2015 में जब झाबुआ जिले के पेटलाबाद में विस्फोट की घटना हुई थी तब भी जांच के आदेश हुये थे। जांच आयोग का गठन किया गया था। हाईकोर्ट जबलपुर के सेवानिवृत्त न्यायाधीश से जांच करायी गयी थी। दिसम्बर 2015 में जांच प्रतिवेदन मुख्य सचिव कार्यालय मप्र शासन भोपाल को प्राप्त हो गया था। उसके बाद से प्रकरण गृह विभाग के पास है। अप्रैल 2016 में प्रकरण गृह विभाग को भेज दिया गया था। आज 8 साल में भी कार्यवाही प्रचलन में दर्शायी जा रही है।