क्राइमराष्ट्रीय

सोशल मीडिया पर अश्लील कंटेंट फैलाने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने टिप्पणी की

आजकल सोशल मीडिया पर अभिव्यक्ति की आजादी का फायदा उठाकर कई युवा इसका गलत इस्तेमाल करते हैं. जिसकी वजह से लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचता है. इसी के संदर्भ में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक अहम टिप्पणी की. हाई कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा है कि अभिव्यक्ति की आजादी नागरिकों को गैर जिम्मेदाराना बयान और आपत्तिजनक भाषा के इस्तेमाल का लाइसेंस देती है. आपको बता दें इलाहाबाद हाई कोर्ट का कहना है कि, “आजकल सोशल मीडिया विचारों के आदान प्रदान का एक वैश्विक मंच बन गया है… आज, सोशल मीडिया और इंटरनेट जीवन के महत्वपूर्ण उपकरण बन गए हैं, जिसके माध्यम से लोग स्वतंत्रता के अपने अधिकार का उपयोग कर सकते हैं, लेकिन यहां विशेष जवाबदेही वाला अधिकार है.”

बताया जा रहा है कि यह टिप्पणी इलाहाबाद हाई कोर्ट में जस्टिस शेखर सुमन यादव द्वारा की गई है. दरअसल, झांसी निवासी नंदिनी सचान की याचिका को खारिज कर दिया गया है. नंदिनी सचान पर अश्लील कंटेंट फैलाने का आरोप लगाया गया है. आपको बता दें की मामले के संबंध में नवादा थाने में नंदिनी के खिलाफ सूचना प्रौद्योगिकी (IT) अधिनियम की धारा 67 के तहत प्राथमिकी (FIR) भी दर्ज है.

फिलहाल आरोपी का यह कहना है कि उसे झूठे आरोप में फंसाया जा रहा है, उसने आरोप लगाते हुए कहा कि प्राथमिकी एक प्रतिवाद के रूप में दर्ज कराई गई है. साथ ही उसने अपने पक्ष में कहा कि उसने एक व्यक्ति के मैरिज प्रपोजल को रिजेक्ट कर दिया था जिसकी वजह से उस पर झूठे आरोप लगाया जा रहा है.

इस मामले पर नंदनी की याचिका को खारिज करते हुए हाईकोर्ट का कहना यह है कि सोशल मीडिया ने अभिव्यक्ति की आजादी का दायरा बढ़ा दिया है, परंतु यह बिना जिम्मेदारी के बोलने की आजादी का इस्तेमाल का अधिकार नहीं देता है अरुणा ने यह भी कहा कि FIR को देखते हुए लगता है कि मामला बहुत ही संगीन है.

Related Articles

Back to top button