मध्य प्रदेश शिक्षाकर्मी भर्ती घोटोला; 14 लोगों को न्यायालय ने सुनाई सजा, 26 साल बाद आया फैसला

REWA NEWS। मध्य प्रदेश के रीवा जिले के बहुचर्चित शिक्षाकर्मी भर्ती घोटाले में  प्रथम अपर सत्र न्यायालय लोकायुक्त द्वारा 14 व्यक्तियों को दोषी पाया है, जबकि 1 व्यक्ति बरी कर दिया गया है। दोषी पाए गए व्यक्तियों को दो से तीन साल तक की सजा एवं जुर्माना से दण्डित किया गया है। यह मामला 1998 का जवा जनपद पंचायत से जुड़ा है। बाद में आरोपियों को जमानत पर रिहा कर दिया गया।

  • स्वीकृत पद से 60 लोगों को अधिक दे दी थी नियुक्तियां
  • इस प्रकरण की पैरवी शासकीय सहायक लोक अभियोजक आलोक श्रीवास्तव ने की

एडीपीओ आलोक श्रीवास्तव ने बताया कि राजीव गांधी शिक्षा मिशन और स्कूल शिक्षा विभाग में जवा जनपद पंचायत अन्तर्गत 170 पद निकाले गए थे। जिसमें निर्धारित चयन प्रक्रिया एवं राज्य शासन के मापदण्डों का उल्लंघन करते हुए अपात्र लोगों की नियुक्ति जनपद पंचायत की चयन समिति द्वारा कर दी गई थी। उस दौरान चयन समिति के अध्यक्ष तत्कालीन जनपद सीईओ बाबूलाल तिवारी थे, जिनका बाद में निधन हो गया।

लोकायुक्त ने की थी जांच भर्ती घोटाले में अनियमितता को लेकर लोकायुक्त में शिकायत हुई थी जिसके बाद छापामार कार्रवाई कर बड़े पैमाने पर जनपद पंचायत जवा से दस्तावेज जब्त किए थे। लोकायुक्त ने 22 सितम्बर 1998 को प्रकरण दर्ज किया था। इस मामले में 45 साक्षियों और 240 दस्तावेज विशेष न्यायालय में पेश किए गए थे।

लोकायुक्त ने भादंवि की धारा 120बी, 467, 468, 471 के तहत सीईओ समेत 19 व्यक्तियों के विरुद्ध प्रकरण दर्ज किया था जिनमें जवा विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी, विशेषज्ञ निरीक्षक एवं जनपद पंचायत के पदाधिकारी, चयन समिति के सदस्य एवं विधायक प्रतिनिधि शामिल हैं। इनमें चार आरोपियों की विचारण के दौरान मृत्यु हो गई। जिनमें सीईओ बाबूलाल तिवारी, नन्दगोपाल तिवारी, सुखलाल और रामशरण शुक्ला हैं। शुक्रवार को कुल 15 व्यक्तियों को कोर्ट में पेश किया गया था जिनमें से रामानंद पांडेय दोषमुक्त किए गए हैं।

इन 14 को हुई है सजा
प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश मुकेश मलिक की अदालत ने जिन आरोपियों को सजा सुनाई है उनमें सुब्बनलाल श्रीवास्तव तत्कालीन बीईओ, शम्भूनाथ शुक्ला शिक्षाविद, बलराम तिवारी, आशा मिश्रा, शिक्षा समिति के अध्यक्ष रमाशंकर मिश्रा, महेन्द्र प्रताप सिंह, रामनरेश तिवारी, रामसिया वर्मा, गुलाम अहमद, कामता प्रसाद, नीता देवी, विनोद के अलावा तत्कालीन सिरमौर विधायक रामलखन शर्मा के प्रतिनिधि संजीव शर्मा और तत्कालीन त्योंथर विधायक स्व.रामलखन पटेल के प्रतिनिधि शिवपाल सिंह शामिल हैं। इनमें से अलग-अलग धाराओं में न्यूनतम दो वर्ष और 3000 हजार जुर्माना तथा अधिकतम 3 वर्ष और 5 हजार जुर्माना से दण्डित किया गया है। बाद में आरोपियों को जमानत पर रिहा कर दिया गया।