क्राइम

ssc scam west bengal : मंत्री की बेटी के लिए हुआ था पूरा ‘खेल’

पश्चिम बंगाल में स्कूल सेवा आयोग (SSC) के तहत श‍िक्षा विभाग में ग्रुप सी और डी की भर्तियों में हुए घोटाले को लेकर राज्‍य सरकार में मंत्री पार्थ चटर्जी (Partha Chatterjee) को ईडी (ED) ने ग‍िरफ्तार कर लिया है। ईडी की टीम ने पार्थ चटर्जी की नजदीकी अर्पिता मुखर्जी (Arpita mukherjee) के घर से अब तक 21 करोड़ रुपए कैश बरामद किये हैं। 22 जुलाई को हुई कार्रवाई में पार्थ से रातभर पूछताछ की गई जिसके बाद उन्‍हें और अर्पिता को 23 जुलाई को ग‍िरफ्तार कर लिया गया। ईडी ने ये कार्रवाई घोटाले को लेकर ही की। इस स्‍कैम की जांच सीबीआई को सौंपी गई है। ईडी घोटाले में पैसों की लेनदेन को लेकर जांच कर रही है। लेकिन SSC Scam है क्‍या और इसका राज कैसे खुला?

11 घंटे की छापेमारी के बाद बरामदगी
अर्पिता मुखर्जी के फ्लैट पर 11 घंटे की छापेमारी के बाद दो बैग बरामद किए। इस बैग में रुपये ठूंसठूंसकर भरे थे। ईडी ने गिनने के लिए बैग से रुपये पलटे तो सारे 2000 और 500 रुपये के नोटों की गड्डियां थीं, इतना ही नहीं ये नोट एकदम नए और करारे थे। पहले राज्य के वाणिज्य और उद्योग मंत्री चटर्जी से पूछताछ की गई और उनके दक्षिण कोलकाता स्थित घर की तलाशी ली गई। वर्तमान शिक्षा मंत्री परेश अधिकारी के परिसर की भी तलाशी ली गई।

यह भी पढ़ें ED Raid Bengal : 2 हजार और 500 के नोटों का मिला खजाना, गिनने के लिए बुलाए गए बैंक अधिकारी, लगाई गईं मशीनें

क्‍या है पश्चिम बंगाल का एसएससी घोटाला?
पहले समझते हैं क‍ि आख‍िर ये पूरा मामला है क्‍या। राज्‍य के माध्यमिक श‍िक्षा बोर्ड के तहत श‍िक्षण और गैर श‍िक्षण पदों पर नियुक्‍तियों के लिए स्‍कूल सेवा आयोग ने (WBSSC) वर्ष 2016 में परीक्षा आयोजित की। पर‍िणाम आया 27 नवंबर 2017 को। पर‍िणाम लिस्‍ट में एक परीक्षार्थी बबीता सरकार का भी नाम टॉप 20 में था और उन्‍हें 77 नंबर मिले थे। लेकिन बाद में आयोग ने सूची रद्द कर दी। इसके बाद जब दूसरी सूची आई तो उसमें बबीता का नाम वेटिंग लिस्‍ट में चला गया। लेकिन उनसे 16 नंबर कम (61 नंबर) पाने वालीं शिक्षा राज्य मंत्री परेश अधिकारी की बेटी का नाम सबसे ऊपर आ गया। घोटाले की परत यहीं से खुलनी शुरू हुई। बबिता के पिता हाई कोर्ट चले गये। उन्‍होंने दावा किया कि भर्ती परीक्षा में अधिकारी की बेटी के मुकाबले ज्यादा अंक लाने के बावजूद उसे नौकरी नहीं दी गई। याचिकाकर्ता ने बताया क‍ि उसकी बेटी को 77 नंबर मिले थे। लेकिन उसकी बेटी का नाम मेरिट लिस्‍ट में आया ही नहीं जबकि उससे कम 61 अंक पाने वाली मंत्री की बेटी का नाम सबसे ऊपर रहा और उसे नौकरी मिल गई।

Related Articles

Back to top button