रीवा। रीवा जिले के 15 से ज्यादा यूट्यूब चैनलों पर प्रशासन शक्त कार्रवाई करने जा रहा है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक ये सभी चैनल सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 (आईटी एक्ट) और सूचना प्रसारण मंत्रालय, RNI के नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं।
जिले की 15 से ज्यादा यूट्यूबर पर जल्दी प्रशासन कार्रवाई कर उन्हें प्रतिबंध करने की तैयारी में है। इन यूट्यूब चैनलों पर सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 (आईटी एक्ट) एवं 2021 और सूचना प्रसारण मंत्रालय, आरएनआई के नियमों का पालन न करने का आरोप लगा है। प्रशासन का मानना है कि सूचना प्रसारण मंत्रालय में पंजीकृत होने के बाद ही न्यूज़ चैनल कार्य कर सकते हैं। उसके लिए नियम और गाइडलाइन बनी हुई है। लेकिन यहां कोई भी गाइडलाइन को पूर्ण न कर मनमानी तरीके से कार्य कर रहे साथ ही सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 (आईटी एक्ट) एवं 2021 के नियमों का भी पालन नहीं किया जा रहा है। वीडियो में किस तरह के दृश्य दिखाए जाने हैं और कौन से नहीं दिखाई जाने हैं या मापदंड नहीं तय कर पा रहे हैं।
सूचना प्रसारण मंत्रालय से पंजीकृत होने चाहिए न्यूज़ चैनल को
न्यूज़ चैनल को सूचना प्रसारण मंत्रालय के नियमानुसार पंजीकृत होना चाहिए, उसके लिए निर्धारित शुल्क भी जमा किया जाता है और फिर लाइसेंस दिए जाते हैं, जिसकी अलग-अलग फीस निर्धारित है। लेकिन यूट्यूब चैनल बिना लाइसेंस के ही चैनल चला रहे हैं जो कि नियम विरुद्ध है।
यूट्यूब में स्वयं अपनी बात कहने का अधिकार और अभिव्यक्त की आजादी है। लेकिन किसी पर आरोप लगाना और अश्लिलताएं दिखाना यह नियम विरुद्ध है, इस पर आईटी एक्ट के तहत कार्रवाई की जा सकती है।
News प्रसारण व प्रकाशन के लिए सूचना प्रसारण मंत्रालय एवं RNI से पंजीकृत हो संस्थान
न्यूज़ दिखाने का अधिकार केवल सूचना प्रसारण मंत्रालय से पंजीकृत एवं आरएनआई से पंजीकृत संस्थाओं को है। जिन संस्थाओं का पंजीयन सूचना प्रसारण मंत्रालय एवं आरएनआई से है वही संस्थान संपादक की नियुक्त व संवाददाताओं के अधिकार कार्ड जारी कर सकती है। जबकि यूट्यूब पर चैनल चलाने वालों को यह अधिकार नहीं दिए गए हैं।
रीवा में कुछ यूट्यूब चैनल पर रूपये मागने के लग चुके है आरोप
जिले के कई यूट्यूब चैनल पर खबर ना दिखाने को लेकर रूपए मागने के भी आरोप लगे हैं। हालही में एक निजी हास्पिटल में हुई एक युवक की मौत के बाद खबर ना दिखाने को लेकर ₹2 लाख तक की मांग की गई थी, इतना ही नहीं कई खाद्यान्न की दुकाने, अवैध दारू बेचने वालो को संरक्षण देने के नाम पर, कोरेक्स, गाजा बेचवाने के नाम पर संरक्षण देने के लिये रूपये की मांग की जाती रहती है जिसके समय-समय पर वीडियो-आडियो भी वायरस होते रहे हैं। इतना ही नहीं गांव-गांव में झोलाछाप डॉक्टरों से अवैध वसूली, बंगाली डॉक्टर से अवैध वसूली, मेडिकल स्टोर पर कोरेक्स के नाम पर वसूली की जाती रहती है।
पिछले साल 747 वेबसाइट, 94 चैनल बंद हुए
राज्यसभा में सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने बताया था कि देश विरोधी कंटेंट परोसने पर 2021-22 में करीब 94 YouTube चैनल और 19 सोशल मीडिया एकाउंट्स को बंद किया गया था। इसके साथ ही 747 URLs यानी वेबसाइटों को भी बंद किया गया है।
इन अकाउंट्स और चैनल्स का इस्तेमाल संवेदनशील और भारत की सुरक्षा, विदेश नीति और पब्लिक ऑर्डर से जुड़े मामलों में फेक न्यूज और सोशल मीडिया पर गलत जानकारी फैलान के लिए किया जा रहा था। ब्लॉक किए गए YouTube चैनल्स के पास कुल 260 करोड़ व्यूअरशिप थी।