REWA NEWS: रीजनल इंडस्ट्रियल कॉन्क्लेव रीवा में आयोजित किया गया जिसमें बड़े उद्योगपतियों ने हजारों करोड़ रुपए का इन्वेस्ट करने की घोषणा की जिसका स्थानीय लोगों द्वारा स्वागत भी किया गया लेकिन रीजनल इंडस्ट्रियल कॉन्क्लेव में निवेश की गई घोषणाओं पर पूरी तरह से क्रियान्वयन हो पाएगा इसमें संदेह है।
उक्त विचार कांग्रेस के प्रदेश महासचिव गुरमीत सिंह मंगू ने जारी विज्ञप्ति में रीवा में सम्पन्न हुए औद्योगिक निवेश मीट में प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए दी। उन्होंने आगे कहा 14 वर्ष पहले शिवराज सरकार दौरान इंडस्ट्रियल मीट में जिले के डभोरा में उद्योग लगाने का करार हुआ था किसानों की 1361 एकड़ जमीन भी कौड़ियों दाम में अधिगृहित की गई इसके बावजूद आज तक किसी उद्योग की स्थापना नहीं हो पाई।
निवेशकों ने सरकारी योजनाओं का लाभ लेते हुए जमीन की गारंटी पर हजारों करोड़ रुपए कर्ज भी ले लिया, किसान इसलिए अपने को ठगा महशूस कर रहा है कि उसके परिवार के लोग आज भी बेरोजगार घूम रहे है जबकि बैंक वाले इस बात को लेकर हैरान हैं कि सरकार की शिपारिस पर कर्ज तो दे दिया वसूली कैसे करे।
अब इस इवेंट की गारंटी क्या है?
कौन है डभौरा पावर प्लांट के नाम लोगो को ठगने का जिम्मेदार? कांग्रेस नेता ने आगे कहा कि यह एक बहुत बड़ी विडंबना है कि रीवा जिले में तीन औद्योगिक क्षेत्र स्थापित किए गए लेकिन सरकार द्वारा जितनी भी घोषणाएं की गई है उसमें 10 फीसदी भी पालन नहीं हो पाया है जिसका प्रत्यक्ष उदाहरण रीवा का औद्योगिक क्षेत्र है जहां पर उद्योग लगाने वालों में से आधे से ज्यादा लोग परेशान है और अपने उद्योग को नहीं बढ़ा पा रहे है। यही स्थिति गुढ़ में स्थापित किए जा रहे औद्योगिक क्षेत्र की है।
यहां सबसे दुखद पहलू यह है कि सरकार द्वारा जितनी घोषणाएं की जाती है उसका 5 फीसदी भी पालन नहीं होता केबल कागजी घोषणाएं ही रह जाती है जिससे उद्योगपति अपने को ठगा महसूस करते है साथ ही जनता की गाढ़ी कमाई का पैसा बंटाधार हो जाता है। मेरा सवाल यह है कि निजी क्षेत्र से सरकार हजारों करोड़ का कर्जा लेकर इस तरह के इवेंट कर जनता को दिग्भ्रमित लगातार कर रही है। अगर सरकार आम आदमी को फायदा दिलाना चाहती है तो सबसे पहले डभोरा के हजारों किसानों और बेरोजगारों के प्रति गंभीरता के साथ सोचना चाहिए जिनकी जमीनें भी छिन गई और आज वो दाने दाने के लिए मोहताज है।