Public Health Engineering Department News: लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग रीवा में हैण्डपम्प मेंटीनेंस के नाम पर लंबा खेल हो रहा है। मेंटीनेंस के बहाने शासन को चूना लगाने की परम्परा सी बन गई है। हैण्डपम्प मेंटीनेंस के कार्य में जमीन के ऊपर से कहीं ज्यादा गोलमाल जमीन के अंदर किया जाता है। कागजों में बिगड़े एवं खराब हैण्डपम्प सुधारे जाते हैं। मेंटीनेंस के काम में राइजर पाइप चोरी का बड़ा खेल होता है। पीएचई खंड रीवा का आलम यह है कि कार्यालय द्वारा ठेकेदारों को करोडों के अनियमित भुगतान की खैरात बांट दी गई। यह देखने तक की कोशिश नहीं की गई कि ठेकेदारों एवं सप्लायर्स द्वारा अनुबंधित शर्तों को पूरा किया गया है या नहीं? हैण्डपम्प मेंटीनेंस के नाम पर ठेकेदारों को विगत 3 वर्ष में 3 करोड़ 17 लाख 72 हजार 325 रुपये का अनियमित भुगतान कार्यालय कार्यपालन यंत्री रीवा द्वारा किया गया। तत्कालीन कार्यपालन यंत्री शरद सिंह के कार्यकाल का मामला है जिसकी आंच मौजूदा अधिकारी को भी प्रभावित करने में लगी हुई है। उावेखनीय है कि शिकवा-शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए कलेक्टर रीवा द्वारा जल जीवन मिशन सहित विभिन्न मदों के कार्यों के भुगतान के संबंध में जांच कराई गई थी। कलेक्टर रीवा द्वारा गठित 5 सदस्यीय टीम ने जांच में इस बात को उजागर किया है कि कार्यालय कार्यपालन यंत्री पीएचई रीवा द्वारा वर्ष 2020-21, 2021-22 एवं 2022-23 में कुल 3,17,72,325 रुपये का अनियमित भुगतान ठेकेदारों को किया गया।
नाफरमान सहायक यंत्री व उपयंत्री
हैण्डपम्प मेंटीनेंस निविदा अनुबंध की शर्त अनुसार सुधार कार्य के पश्चात् निविदाकार को संबंधित पंचायत के सरपंच, वार्ड पंच, विभागीय हैण्डपम्प मैकेनिक, स्कूल शिक्षक, ग्राम सेवक, पटवारी, पंचायत सचिव अथवा सुधारे गये हैण्डपम्प के निकट रहने वाले रहवासियों से पंचनामा (प्रमाण पत्र) प्राप्त कर प्रस्तुत करना होगा। निविदाकारों द्वारा प्रस्तुत देयकों को भुगतान के लिए प्रेषित किए जाने से पूर्व के सहायक यंत्री या उपयंत्री द्वारा अनिवार्यतः पंचनामों का परीक्षण करना चाहिए। उसके उपरांत ही देयक भुगतान के लिए कार्यपालन यंत्री की ओर प्रेषित होंगे। मगर रीवा में नाफरमान यत्रियों द्वारा अपने दायित्व का निर्वहन नहीं किया गया और न ही ठेकेदारों द्वारा अनुबंध की शर्तों का पालन किया गया। बावजूद उसके भी उन्हें भुगतान हो गया, जो घोर वित्तीय अनियमितता है।
प्रशासन को किया जा रहा गुमराह
गौरतलब है कि जल जीवन मिशन में 130 करोड़ 47 लाख 8 हजार 870 रुपये, सहित विभिन्न मदों में 136 करोड़ 28 लाख 10 हजार 425 रुपये के घोटाले का भंडाफोड कलेक्टर रीवा की जांच समिति कर चुकी है। जिसकी जांच रिपोर्ट प्रमुख सचिव तक पहुंच गई है। दीगर बात है कि प्रमुख सचिव स्तर से कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है। शायद संबंधितों को और लूटने-खाने की फिलहाल छूट दी गई हो? बहरहाल जो भी हो किन्तु कार्यपालन यंत्री कार्यालय के दो गण क्रमशः जयशंकर प्रसाद त्रिपाठी एवं राजीव श्रीवास्तव से अभी भी वित्तीय कार्य लिया जा रहा है जबकि प्रशासनिक अधिकारियों को सूचना है कि इनके स्थान पर अन्य नियमित कर्मचारियों से कार्य लिया जा रहा है। जयशंकर त्रिपाठी एवं राजीव श्रीवास्तव दैनिक वेतन भोगी कॉपिस्ट हैं, जिनके खिलाफ विधि विहित कठोर कार्यवाही के लिए जांच समिति ने लिखा है। करोड़ों के अनियमित भुगतान मामले में इन दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी द्वय की गर्दन फंसी हुई है।
जांच के राडार से बाहर दो एनजीओ
प्रारंभिक जांच में जल जीवन मिशन एवं अन्य मदों में 136 करोड़ से अधिक राशि की अनियमितता प्रमाणित हो चुकी है। शासन-प्रशासन को अब विधिवत् उच्चस्तरीय जांच कराना चाहिए। उजागर घोटाला तो महज बानगी है। विदित हो कि पूर्व में जल जीवन मिशन में हुए भ्रष्टाचार से संबंधित एक शिकायत संभागायुक्त रीवा से की गई थी। सितम्बर 2023 में प्रस्तुत शिकायत में सेंटर फॉर रिसर्च एण्ड डेवलपमेंट भोपाल एवं श्रीगणेश सांस्कृतिक एवं वेलफेयर सोसायटी भोपाल को प्राप्त हुए करोड़ों के अनियमित भुगतान की और ध्यानाकर्षण कराया गया था। शिकायत अनुसार उक्त एनजीओ द्वय के संचालक नवनीत एवं अन्य रीवा जिले से तालुक रखते हैं जिनको पीएचई विभाग मऊगंज अंतर्गत हनुमना एवं नईगढ़ी ब्लाक में जलजीवन मिशन का कार्य मिला था। खबर है कि कमिश्नर रीवा ने जांच के लिए प्रकरण कलेक्टर की ओर भेज दिया है किन्तु अभी तक एनजीओ द्वय जांच के राडार से बाहर हैं। दरअसल अभी तक जांच ही शुरू नहीं हो सकी है।