Rewa News; जल जीवन मिशन: पीएचई के जल जीवन मिशन योजना में हर स्तर पर शासकीय राशि का दुरुपयोग करने से अधिकारी पीछे नहीं रहे। ठेकेदारों के साथ ही फोटोकापी और टाइपिंग के नाम पर चहेते लोगों को उपकृत कर अधिकारियों ने शासन को लाखों रुपए की चपत लगाई है। जितनी राशि फोटोकापी और टाइपिंग के बिल बनाकर हजम किए गए, उतने रुपए में पीएचई विभाग चार दर्जन से अधिक फोटोकापी मशीन खरीद सकता था। यह घोटाला एक उच्च स्तरीय जांच से पकड़ में आया है। तत्कालीन कार्यपालनयंत्री शरद कुमार सिंह और अधीनस्थ उपयंत्री, सहायकयंत्री, आडीटर एवं लेखाधिकारी ने आंख मूंदकर फर्जी बिल पर हस्ताक्षर कर भुगतान कर दिया।
- जल जीवन मिशन: चहेते लोगों को उपकृत करने शासन को लगाई लाखों की चपत
- जितना फर्जी भुगतान फोटोकापी और टाइपिंग के नाम से हुआ, उतने में आ जाती चार दर्जन से अधिक मशीनें
जल जीवन मिशन के कार्यों की समीक्षा आज
लोक स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के सचिव पी नरहरि तथा जल जीवन मिशन के प्रबंध संचालक केवीएस चौधरी जल जीवन मिशन के कार्यों की समीक्षा करेंगे। समीक्षा बैठक 8 नवम्बर को सुबह 10 बजे से कलेक्ट्रेट के मोहन सभागार में आयोजित की गई है। बैठक में समूह नलजल योजनाओं की प्रगति पूर्ण नलजल योजनाओं के पंचायतों का हस्तांतरण जल कर की वसूली की समीक्षा की जाएगी। रीवा तथा मऊगंज जिले के सभी संबंधित अधिकारियों को बैठक में उपस्थित रहने के निर्देश दिए गए हैं।
वर्ष 2021 से 23 के बीच करीब 25 लाख रुपए की फोटो कॉपी और टाइपिंग पर व्यय किया गया। पीएचई में जांच कमेटी द्वारा हैंडपंप मेंटीनेंस के नाम पर 1 अरब 36 करोड़ और जेजेएम में दो सालों में कागज पर कराए गए कार्यों पर एक अरब 30 करोड़ का फर्जी भुगतान होना प्रमाणित किया जा चुका है। विभाग में करीब तीन सौ करोड़ के इस स्कैम पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। आईएएस सोनाली देव के नेतृत्व वाली पांच सदस्यीय टीम ने विस्तृत जांच प्रतिवेदन में रीवा संभाग में किसी एक योजना में अब तक हुए सबसे बड़े घोटाले का सनसनीखेज खुलासा किया था। जिसमे फोटो कापी और टाइपिंग स्कैम भी एक अहम है।
दो साल में रीवा, जबलपुर में हुई 16 लाख की फोटोकापी
बताया जाता है कि दो साल के दौरान फोटोकापी पर जेजेएम मद से करीब 16 लाख रुपए का भुगतान हुआ है। इसमें रीवा और जबलपुर की चार फर्मों का नाम जांच में पकड़ा गया है। बताया जाता है कि रीवा की फर्म सुनील कम्प्युटर एवं फोटो कापी सेंटर, हरिओम फोटोकापी, सत्यम कम्प्युटर हैं, जबकि जबलपुर की तनिशा फोटोकापी सेंटर है। इन फर्मों को जेजेएम से तकरीबन 16 लाख रुपए का फर्जी भुगतान किया गया है। इनके नाम से बिल को पीएचई में दैनिक बेतनभोगी कर्मचारी से जय शंकर त्रिपाठी से तैयार कराया गया। यही नही जय शंकर को स्थायी कर्मचारी होने के बाद भी जवा और सिरमौर ब्लॉक का प्रभारी आडीटर कार्य सौंपा गया था।
टाइपिंग के आठ बिलों पर साढ़े 6 लाख का भुगतान
पीएचई के अधिकारियों ने छोटे-छोटे मदों का देयक तैयार कर लाखों रुपए का खेल किया है। मसलन टाइपिंग कार्य पर साढ़े 6 लाख रुपए का फर्जी भुगतान किया गया। बताया जाता है कि ईई के सबसे विश्वास पात्र दैवेभो कॉपिस्ट जयशंकर त्रिपाठी ने इसके लिए आठ अलग अलग देयक तैयार कर बिना अनिवार्य प्रक्रिया अपनाए ही सारे बिलों को मनगढ़ंत नाम देकर भुगतान करवा लिया।