Madhya Pradesh Health Department News: जेपी अस्पताल स्थित मप्र स्वास्थ्य संचालनालय के दफ्तर में शुक्रवार दोपहर 2 बजे हंगामा मच गया। वजह कोलकाता हाई कोर्ट के आदेश पर 19.34 करोड़ की वसूली के लिए एक टीम यहां ऑफिस कुर्क करने पहुंची थी।
- स्वास्थ्य संचालनालय के दफ्तर में हंगामा 2013 में 50.70 लाख की दवाइयां खरीदी, पर नहीं किया भुगतान, कोलकाता हाई कोर्ट ने दिए थे कुर्की के आदेश 19 करोड़ वसूली के लिए ऑफिस कुर्क करने पहुंचे, महिला अफसर ने खदेड़ा
टीम कुर्की के लिए दफ्तर का सामान निकाल रही थी, तभी वहां पदस्थ महिला अधिकारी ने कार्रवाई का विरोध किया और टीम को बाहर निकाल दिया। उन पर हाई कोर्ट के वकील और टीम ने धक्का-मुक्की करने का आरोप लगाया है। यह है मामलाः साल 2013 में स्वास्थ्य विभाग ने 50.70 लाख की कीटनाशक दवाइयां खरीदी थीं।
स्वास्थ्य विभाग ने इसका भुगतान नहीं किया। इस मामले में कोलकाता हाई कोर्ट ने 19.34 करोड़ की वसूली के लिए मप्र स्वास्थ्य संचालनालय के दफ्तर कुकर्की करने का आदेश दिया था। इसी का पालन कराने के लिए कर्मचारी यहां पहुंचे थे।
कुर्की के लिए आई टीम ने कहा- अब कार्रवाई के लिए अतिरिक्त पुलिस बल मांगेंगे
स्वास्थ्य संचालक बोलीं- यहां निदेशक का कोई पद नहीं, दफ्तर कुर्क नहीं कर सकते
इस मामले में डायरेक्ट हेल्थ (ऑफिस स्टेबलिसमेंट) मल्लिका निगम नागर की ओर से कहा गया कि कुर्की करने आई टीम को हमने बताया कि यहां स्वास्थ्य निदेशक का कोई पद नहीं है। यह मामला इस दफ्तर से संबंधित नहीं है। हम अपना पक्ष कोर्ट में लिखित में दे देंगे। दवाई और कीटनाशक खरीदी का काम हेल्थ कॉर्पोरेशन द्वारा किया जाता है।
• एडिशनल डायरेक्टर वंदना खरे ने कहा कि कुर्की के लिए टीम बिना अनुमति दफ्तर के अंदर आई और सामान बाहर निकालने लगी। टीम को तत्काल बाहर निकलने को कहा तो विवाद की स्थिति बन गई। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि इस दौरान कंपनी के वकील और अन्य कर्मचारियों को बाहर कर दिया।
वकील ने कहा- हम तो कोर्ट के आदेश का पालन कर रहे थे, अफसर ने बुरा बर्ताव किया
कोलकाता हाई कोर्ट के एडवोकेट पूर्णाशीष भुइया ने बताया कि मप्र स्वास्थ्य विभाग को 2013 में नीटापोल इंडस्ट्री ने कीटनाशक दवाइयां सप्लाई की थीं। इसकी कीमत 50.70 लाख रु. थी। हालांकि, विभाग ने भुगतान नहीं किया। इसके बाद कंपनी ने पश्चिम बंगाल के फेसिलेशन काउंसिल में मामला दायर किया, जिसने आरबीआई के अनुसार ब्याज सहित राशि अदा करने का आदेश दिया।
• मप्र स्वास्थ्य विभाग ने फैसले के खिलाफ कोलकाता हाई कोर्ट में अपील की और फिर सुप्रीम कोर्ट तक मामला पहुंचा, जहां विभाग को हार का सामना करना पड़ा। कंपनी के वकील ने बताया कि कोर्ट के आदेश पर कुर्की के लिए गए थे। लेकिन अधिकारी ने अच्छे बर्ताव नहीं किया। अब आगे कार्रवाई के लिए अतिरिक्त पुलिस बल मांगेंगे।
तर्क- कीटनाशक अमानक निकला था
स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, 2012-13 में हुई इस कीटनाशक की जब मप्र सरकार ने लैब में टेस्टिंग कराई तो वह अमानक स्तर का पाया गया था। इसके चलते कंपनी का पेमेंट रोक दिया था। इसके खिलाफ कंपनी ने अधिकांश केस कोलकाता की हाई कोर्ट में लगा रखे थे। जिसे सुप्रीम कोर्ट तक फॉलो किया गया। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले में भुगतान के लिए कहा था। इसके बाद एक जीक्यूशन के लिए यह मामला मप्र में चला।