चाय को ‘टी’ कहने के पीछे है बेहद दिलचस्प कहानी, आइये बताते हैं कैसे हुई इस ड्रिंक की शुरुआत?
तकरीबन हर भारतीय के घर में अमूमन सुबह-शाम तो चाय बनती ही है। ज्यादातर घरों में तो सुबह की शुरुआत ही चाय से होती है। शहर हो या गांव में चाय हर नुक्कड़ पर मिलती है। अंग्रेजी में इसे ‘टी’ कहा जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसका नाम टी क्यों पड़ा? अगर नहीं जानते तो आइयो बताते हैं इससे जुड़ी कुछ बातें।
ऐसे हुई चाय की शुरुआत
रिपोट्र्स के अनुसार राजा शेन नुंग ने 2732 ईसा पूर्व में चाय की खोज की थी। एक जंगली पेड़ से पत्ते जब उबलते पानी के बर्तन में गए थे और कुछ ही समय में पानी का रंग और खुशबू दोनों बदल गया था। इसे राजा ने चा नाम दिया, इस चीनी अक्षर में चा का मतलब होता है खोजना। चाय की शुरुआत भले ही चाइना से हुई हो लेकिन अब ये हर जगह आसानी से मिल जाती है। हर कोई इसे अपने स्वाद के मुताबिक पीना पसंद करता है।
प्रचलन में आने में लगे कई साल
चीन में शुरुआती दिनों में, पत्तियों को पानी में उबाला कर एक कड़वा काढ़ा तैयार किया जाता था। चाय की पत्तियों का उपयोग एक औषधि के रूप में और दूसरा रिलेक्सिंग ड्रिंक के रूप में किया जाता था। इय चाय को पूरे चीनी में एक प्रचलित ड्रिंक बनने में करीब 3000 साल से ज्यादा का वक्त लगा।
इस तरह से बनी अमीरों की ड्रिंक
यूरोप में डच लोगों चाय तीने की शुरुआत की, 1610 में इसकी शिपिंग की जाती थी। 1650 के आसपास ब्रिटेन में भी इसे पीया जाने लगा। फिर धीरे-धीरे यह लोगों की पसंद का ड्रिंक बतनी चली गई। लेकिन सरकार ने इस पर काफी ज्यादा टैक्स लगा दिया, जिससे यह गरीबों से दूर होती चली गई और अमीरों की ड्रिंक बन गई।
चाय का नाम टी ऐसे पड़ा
धीरे-धीरे चाय की डिमांड बढ़ती चली गई। देश विदेश में इसकी मांग तेजी से बढ़ गई थी। जिसके बाद जहां-जहां चाय पहुंची उसे अलग-अलग नाम मिले। रिपोट्र्स की मानें तो जहां पर जमीन के रास्ते चाय पहुंची वहां इसे चाई नाम दिया गया और जहां पानी के रास्ते इसे पहुंचाया गया, वहां इसे टी नाम से पुकारा गया। हालांकि बाद में डिक्शनरी में भी इसे जोड़ते हुए टी का मतलब चाय बताया गया।
सोशल लाइफ का बन गया हिस्सा
ब्रिटिश में 19वीं सदी के दौरान चाय पीना सोशल लाइफ का हिस्सा बन गया था। हर कार्यक्रम के लिए अलग-अलग नाम भी दिए गए। जिसमें पारिवारिक चाय, टेनिस चाय, पिकनिक चाय और दोपहर की चाय शामिल हैं। बता दें कि चाय पार्टी एलिगेंस और प्रोसपेरिटी का प्रतीक थी।