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Rewa News : गुनाह वाले हाथों ने थामी किताब, शिक्षा से जुड़े 450 बंदी; 2 ने MSW और 10 ने स्नातक की परीक्षा पास की

रीवा. अपने हाथों हुए गुनाह की सजा भुगतने के साथ ही बंदी अब शिक्षा की धारा से जुड़ रहे हैं। जेल की चारदीवारी में रहते हुए करीब 450 बंदियों ने कई पाठ्यक्रमों में प्रवेश लिया। हाल ही में आए रिजल्ट में दो बंदी ने एमएसडब्ल्यू की परीक्षा प्रथम श्रेणी में पास की। जबकि, स्नातक में 10 बंदियों ने परीक्षा पास की है। हाइस्कूल की परीक्षा देने वाले 10 बंदी भी पास हो गए है।

केंद्रीय जेल रीवा में बंद कैदियों को शिक्षा से जोड़ने के लिए जेल प्रशासन द्वारा कई प्रयास किए जा रहे हैं। इसके परिणामस्वरूप काफी संख्या में बंदी अब शिक्षा से जुड़कर शिक्षित हो रहे हैं। जेल में बंद जीतेंद्र चंदेल पिता हीरालाल निवासी अनूपपुर व ज्ञानेंद्र शुक्ला पिता रामनिहोर शुक्ला निवासी शहडोल ने एमएसडब्ल्यू की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की है। दो बंदी महंतलाल पटेल व प्रदीप कुमार पाण्डेय अभी एमएसडब्ल्यू की पढ़ाई कर रहे है। वर्तमान में जेल के 450 बंदी विभिन्न संकायों में प्रवेश लेकर शिक्षा से जुड़े हुए हैं। उनकी नियमित कक्षाएं भी जेल के अंदर संचालित होती हैं।

कैदियों का इन विवि में प्रवेश

भोज, इग्नू सहित अन्य विवि के माध्यम से बंदियों का प्रवेश कराया जा रहा है। उनको किताबें सहित स्टेशनी उपलब्ध कराई जा रही है। डिप्लोमा पाठ्यक्रमों में पांच बंदियों ने प्रवेश लिया है। बंदी अनीश पाण्डेय ने एमबीए व सुनील महोबिया ने एमए में प्रवेश लिया है। परीक्षा पास करने वाले बंदियों को जेल में डिग्री प्रदान की गई है। जेल अधीक्षक एसके उपाध्याय के मार्गदर्शन मेें शिक्षक राजीव कुमार तिवारी व स्वदीप सिंह नियमित कक्षाएं लेकर बंदियों को शिक्षा से जोडऩे का प्रयास कर रहे हैं।

7 ने पास की हाईस्कूल परीक्षा, 30 का प्रवेश

कक्षा दसवीं में जेल के 12 बंदी शामिल हुए थे। इनमें सात बंदी उत्तीर्ण हुए हैं। इनमें अरुण कुमार द्विवेदी, लखन सिंह गोड़, रामखेलावन सिंह गोड़, रामदिनेश साकेत, जगधारी सिंह, राजाराम यादव, श्यामदास कुशवाहा शामिल है। इस वर्ष हाईस्कूल में 30 नए बंदियों ने प्रवेश लिया है, जिनकी पढ़ाई जेल प्रशासन द्वारा कराई जा रही है। स्नातक में 10 बंदियों ने परीक्षा पास की है। इनमें ज्ञानेन्द्र सिंह, उदयभान सिंह, राजन सिंह, राजेन्द्र प्रसाद, अक्षय वर्मा, विक्रम सिंह, अजय सिंह, प्रेम सिंह गोड़ शामिल हैं।

पढ़ना लिखना अभियान से जुड़े 104 बंदी

जेल के अंदर 60 निरक्षर बंदी हैं, जिनकी नियमित कक्षाएं चलाकर उनको साक्षर बनाने कक्षाएं ली जा रहीं। इसके अतिरिक्त 55 बंदियों की प्राथमिक कक्षा की पढ़ाई कराई जा रही है। जेल के 104 बंदी पढना लिखना कार्यक्रम से जुड़े हैं जिसके तहत उनको शिक्षित करने का प्रयास किया जा रहा है।

जेल के बंदियों का शिक्षा के प्रति झुकाव बढ़ रहा है। वे पढ़ाई में रुचि दिखा रहे हैं। 450 बंदी विभिन्न संकायों में शिक्षा से जुड़े हुए हैं। एमएसडब्लू की परीक्षा दो बंदियों ने प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की है।

एसके उपाध्याय, जेल अधीक्षक

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