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रीवा विधानसभा सीट को लेकर मुश्किल में भाजपा,राजेन्द्र शुक्ला की विजय रथ में बड़ा रोड़ा,जानिए क्या

रीवा। चुनावी साल में विंध्य भाजपा के लिए अहम है। विंध्य की 30 सीटों में 24 में पहली बार काब्जि भाजपा अपना वर्चस्व नहीं खोना चाहती है। यहीं कारण है कि चुनाव के पहले ही विंध्य में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमित शाह और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की बड़ी सभाए आयोजित हो रही है। ऐसे में विंध्य की भाजपा की सबसे सुरक्षित मानी जाने वाली रीवा विधानसभा है। अब इसी सीट को लेकर भाजपा मुश्किल में पड़ गई है। इसकी वजह विधान सभा से भाजपा का खीसकता जनाधार और कांग्रेस का बढ़ता वोटिंग प्रतिशत है। इस विधानसभा से राजेन्द्र शुक्ला लगातार चार पंचवर्षीय से विधायक है अब इन्हीं को नाम को लेकर भाजपा के हाईकमान की उलझन बढ़ रही है। वहीं विधायक राजेन्द्र शुक्ला की विजयरथ में मिशन 2023 में बड़ा रोड़ा है।

भाजपा खीसकतें वोट ने बढ़ाई चिंता, कांग्रेस को बढ़ा वोटिंग प्रतिशत

30 सालों से एक ही व्यक्ति रहा पार्टी का चहेरा

बता दें कि पिछले छह विधान सभा चुनाव में भाजपा का चहेरा राजेन्द्र शुक्ला रहे है। इनमें पहली बार उन्होंने रिकार्ड 56 हजार मतों से रीवा राजघराने के कांग्रेस के उम्मीदवार पुष्पराज सिंह को चुनाव हराया था। इसके बाद लगातार तीन चुनावों में भाजपा को विजय मिली ,लेकिन उसका वोटिंग प्रतिशत में गिरावट और जीत का अंतर गिरता गया। वर्ष 2018 के चुनाव में तो यह महज जहां दस हजार में सिमट गया है। इसके बाद 2022 में हुए नगरीय निकाय चुनाव में 10 हजार मतों से भाजपा को चुनाव हार गई है और 24 साल से शहर सरकार से भाजपा बेदखल हो गई है। यहां तक शहर के 45 वार्ड में सिर्फ 18 वार्ड में भाजपा प्रत्याशी चुनाव जीते है। इन चुनाव परिणामों ने भाजपा की नीद उड़ा दी है। ऐसे में हाईकमान के सामने रीवा विधान सभा सीट को लेकर काफी मुश्किल खड़ी हो गई है। ऐसे में टिकट रीवा विधान सभा सीट से प्रत्याशी के बदलाव की चर्चा व मांग तेज हो गई है।


राजेन्द्र शुक्ला को लोकसभा भेज सकती है पार्टी

रीवा विधानसभा सीट से खीचकतें जनाधार को बचाने भाजपा राजेन्द्र शुक्ला को लोकसभा या फिर पार्टी में ही बड़ी जबावदारी देने को लेकर भी चर्चा चल रही है। वहीं लोक सभा से लगातार दो बार सांसद रहे जर्नादन मिश्रा को लेकर साफ सुधरी छवि को लेकर उन्हें सेमरिया विधानसभा से चुनाव में उतार सकती है। ऐसा कर भाजपा जनता के बीच दोहरा संदेश देकर मिशन 2023 और 2024 दोनों को देखते हुए तैयारी कर रही है।


कांग्रेस का बढ़ा वोट प्रतिशत-

रीवा विधान सभा सीट में वर्ष 2003 में अचानक वोट प्रतिशत 35 प्रतिशत से घटकर 16 फीसदी में पहुंच गया है। इसके बाद लगातार वर्षो में कांग्रेस को मत प्रतिशत में लगातार वृद्धि हुई है। वर्ष 2008 में जहां कांग्रेस के 1 प्रतिशत मतदाता बढ़े है। वहीं 2013 के चुनाव में कांग्रेस का वोटिंग प्रतिशत 17.68 फीसदी रहा। इसके बाद वर्ष 2018 के चुनावों में कांग्रेस को वोटिंग प्रतिशत 20 फीसदी बढ़ गया है। इसके मुकाबले भाजपा को वर्ष2003 में जहंा 57 फीसदी वोटिंग शेयर था। वह वर्ष 2018 में 50 फीसदी में सिमट गया। इसके बाद वर्ष 2022 मेें नगरीय निकाय चुनाव में कांग्रेस पहली को वोटिंग प्रतिशत बढऩे से 24 साल बाद भाजपा को नगर निगम की महापौर की सीट गवानी पड़ी।

इसलिए भाजपा को सता रही चिंता

दरअसल शहरी क्षेत्र में भाजपा के मतों में सेध लगाने में सफल रही कांग्रेस रीवा विधान सभा की ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिति मजबूत है। यह देख मिशन 2023 में भाजपा के लिए रीवा विधान सभा सीट को लेकर बड़ी मुश्किल है। साथ ही वर्ष 2023 में विंध्य में आम आदमी की पार्टी ने भी दस्तक दे दी है। नगरीय निकाय चुनाव में शहरी क्षेत्र में पहलीबार ही आठ हजार मत हासिल कर लिए है। ऐसे में विधान सभा चुनाव में आप से सबसे अधिक नकुसान भाजपा को है। यहीं कारण है कि भाजपा अब रीवा विधानसभा सीट को लेकर काफी मुश्किल में है।


पिछले छह सालों में भाजपा और कांग्रेस का वोटिंग प्रतिशत

वर्ष

भाजपा प्रत्याशी को वोटिंग

प्रतिश कांग्रेस का वोटिंग प्रतिश

2003

57 फीसदी

16 फीसदी

2008

52 फीसदी

17 फीसदी

2013

51 फीसदी

17.68 फीसदी

2018

50 फीसदी

36 फीसदी








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