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World Tiger Day : Rewa के व्हाइट टाइगर के अंतिम वंशज विराट की छवि लेकर आकाश में गरज रहा भारत मिग-29

रीवा। देश की 1400 किलोमीटर की समुद्री सीमा की निगरानी करने वाले फाइटर जेट मिंग 29 का रीवा से गहरा नाता है। यह सुनकर आप चौक जाएंगे। दरअसल यह बात बहुत कम लोग ही जानते होंगे कि समुद्री सीमा में आईएनएस vikrant जिस व्हाइट टाइगर की छवि को लेकर अपने साथ उड़ता है वह विराट की छवि है। 8 अगस्त 1975 को विराट की मारने के बाद देश की नो सेना ने मिंग 29 जो कि आईएनएस विक्रांत से उड़ान भरते हैं उन पर विराट की तस्वीर लेकर उड़ते है।

बता दे कि दुनिया को व्हॉइट टाइगर देने वाला रीवा के महाराजा मार्तण्ड सिंह ने भारतीय नो सेना को मोहन के अंतिम वंशज विराट को सौपा था। इसके लिए उस समय देश की समुद्री सेना की शान आई एन एस vikrant की टीम रीवा आई थी। महाराजा पुष्पराज सिंह बताते है कि दुनिया को सबसे पहले जूदेव महाराजा मार्तंड सिंह ने सफेद शेर मोहन का परिचय कराया था। इसके बाद इसके वंशज को उन्होंने अलग अलग देशों को दिया था। इस मोहन का आखिरी वंशज विराट था।

मार्तण्ड सिंह के नाम से बनी है सफारी

दुनिया को सफेद शेर देने वाले जूदेव मार्तंड सिंह के नाम से दुनिया की पहली व्हाइट टाइगर सफारी बेला के मुकुन्द पुर में बनी हुई हैं। इसी स्थान में ही उन्होंने सफेद शेर को पकड़ा था। इतना ही नहीं इसे पकड़ने के बाद उन्होंने बाघ के शिकार को बंद कर उसे संरक्षित करने की दिशा में काम किया।

फेद बाघ को महाराजा मार्तंड सिंह ने 27 मई, 1951 को सीधी जिले के बरगाड़ी के लिए स्था-क्षेत क्षेत्र से पकड़ा था और बाद में जानवर को रीवा के गोविंदगढ़ पैलेस में लाया गया, जहाँ से वह अगले दिन भाग निकला और फिर रीवा से लगभग 27 किमी दूर मुकुंदपुर क्षेत्र में पाया गया। तब मोहन दो दशकों तक इस क्षेत्र में रहा और इसकी संतानें धीरे-धीरे दुनिया के अन्य हिस्सों में फैल गईं|

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