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भारतीय नौ सेना का फाइटर प्लेन “सी हैरियर” पहुंचा रीवा सैनिक स्कूल,जानिए इसका रीवा से रिश्ता
रीवा। दुश्मनों के बीस अधिक विमानों को गिराने वाला भारतीय नौ सेना को फाइटर प्लेन सी हैरियर बुधवार को रीवा सैनिक स्कूल पहुुंच गया है। अब यह सैनिक स्कूल परिसर में मौजूदा रहेगा। रीवा पहुंचे इस फाइटर प्लेन का रीवा से गहरा रिश्ता है। यही कारण है इसकी अगवानी लेने रीवा के महाराजा पुष्पराज सिंह स्वंय पहुंच गए है। बताया जा रहा है कि इस फाइटर प्लेन का फ़ॉकलैंड युद्ध और बाल्कन संघर्षों के दौरान उपयोग हुआ था। यहां तक कि ब्रिटिश टास्क फोर्स की सुरक्षा के लिए उपलब्ध एकमात्र फिक्स्ड.विंग लड़ाकू विमान था।
भारतीय नौ सैना में भारत की रक्षा कर रहे विमान सी हैरियर को को लेकर पूर्व मंत्री महाराजा पुष्पराज सिंह ने बताया कि उनकी लगातार कोशिश रही सी हैरियर विमान अपने यहां वापस आए भारतीय नौसेना का विमान व्हाइट टाइगर के लोगों के साथ खड़ा है। इसे सी हैरियर विमान कहते हैं भारत की सीमा रक्षाओं का लगभग क्षेत्र रक्षण सजीव रूप से बचाव किया तो वह सी हैरियर विमान जिसमें आपके रीवा का व्हाइट टाइगर का लोगो दिख रहा है जो वाइट टाइगर विराट है मोहन का अंतिम बच्चा विराट हमारे यहां लगभग 19 साल रहा और सन 75 में उनका भारतीय नौसेना को दिया गया आज वह नौसेना का रक्षण कर रहा है भारत का आरक्षण कर रहा है यह हमारे लिए बड़े गर्व की बात है।
फॉकलैंड युद्ध और बाल्कन संघर्षों में अहम थी भूमिका
सी हैरियर ने फ़ॉकलैंड युद्ध और बाल्कन संघर्षों में सेवा की य सभी अवसरों पर यह मुख्य रूप से संघर्ष क्षेत्र के भीतर तैनात विमान वाहक से संचालित होता था। फ़ॉकलैंड युद्ध में इसका उपयोग इसकी सबसे उच्च प्रोफ़ाइल और महत्वपूर्ण सफलता थी,जब यह ब्रिटिश टास्क फोर्स की सुरक्षा के लिए उपलब्ध एकमात्र फिक्स्ड.विंग लड़ाकू विमान था। संघर्ष के दौरान सी हैरियर ने दुश्मन के 20 विमानों को मार गिरायाय 2 सी हैरियर दुश्मन की ज़मीनी गोलीबारी में नष्ट हो गए। इनका उपयोग रॉयल एयर फोर्स द्वारा संचालित हैरियर की तरह ही जमीनी हमले करने के लिए भी किया जाता था ।
सी हैरियर को विदेशों में बिक्री के लिए भी किया था तैयार
अर्जेंटीना और ऑस्ट्रेलिया को विमान बेचने के प्रयास असफल होने के बाद भारत एकमात्र अन्य ऑपरेटर था। 3, 4, रॉयल नेवी के लिए एक दूसरा अद्यतन संस्करण में सी हैरियर एफए2 के रूप में बनाया गया था , जिसने अधिक शक्तिशाली इंजन के साथ.साथ इसकी हवा से हवा में मार करने की क्षमताओं और हथियारों की अनुकूलत था।