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Rewa News : स्कीम नंबर छह: नगर निगम के पास भूमि आएगी या भू-स्वामियों को हस्तांतरित होगी यह तय नहीं

रीवा. नगर सुधार न्यास बोर्ड द्वारा बनाई गई स्कीम नंबर छह वर्षों विवादों में उलझी रही है। मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद कैबिनेट ने भी ऐसी योजनाओं में डिनोटिफिकेशन की मंजूरी दे दी है। अब सरकार ने आगे की प्रक्रिया पूरी करने के लिए नगर निगम को जिम्मेदारी सौंपी है। नगर निगम ही इस भूमि के उपयोग को लेकर आगे की योजना बनाएगा। हालांकि, सरकार द्वारा भेजे गए निर्देशों में कई बिन्दु स्पष्ट न होने की वजह से नगर निगम प्रशासन के सामने असमंजस की स्थिति बन गई है। इसलिए महापौर ने पूरे मामले की बिन्दुवार जांच करने के लिए निर्देश दिए हैं, इसके बाद ही आगे की प्रक्रिया अपनाई जाएगी।

बीते साल ननि के प्रशासक रहे कलेक्टर ने भी प्रस्ताव भेजा था और रीवा प्रवास पर आए मुख्यमंत्री से विधायक ने मांग रखी थी। जिस पर उन्होंने मंच से कहा था कि इसका समाधान निकालेंगे।

कैबिनेट ने रीवा के स्कीम नंबर छह के लिए कोई विशेष नहीं, बल्कि नियम ही पास कर दिया है कि पूर्व की योजनाएं जिन पर किसी कारणवश कार्य प्रारंभ नहीं हुए, वहां पर डिनोटिफाइड करने की प्रक्रिया अपनाई जाएगी। इसी नियम में रीवा का स्कीम नंबर छह भी माना जा रहा है। हालांकि, एक तर्क यह भी है कि इस योजना पर कार्य प्रारंभ हो गया था और अधिग्रहण के बाद लोगों को मुआवजा भी वितरित हुआ था। कुछ मामले कोर्ट चले जाने से कार्य रुक गया।

कॉलोनी अवैध या अतिक्रमण

स्कीम नंबर छह में करीब पांच हजार से अधिक परिवार निवास करते हैं। स्कीम डिनोटिफिकेशन होने के बाद नगर निगम के सामने सवाल यह भी खड़ा होगा कि इसे अवैध कॉलोनी मानें या अतिक्रमण। क्योंकि सरकारी भूमि के हिस्से में करीब 11 एकड़ व 21 एकड़ निजी भूमि नगर निगम के नाम पर है। अधिकांश जगह अवैध कब्जा है। नगर निगम इस भूमि पर मकान बनाने वाले अतिक्रमणकारी माने जाएंगे। इसे लेकर भी विधिक रूप से अध्ययन शुरू किया गया है। योजना में बन चुके मकानों को अवैध कॉलोनी मानते हुए वैध किया जाएगा फिर अतिक्रमण के दायरे में मानकर कार्रवाई होगी, यह भी तय करने की जवाबदेही अब नगर निगम की हो गई है।

अब नगर निगम के सामने ये चुनौतियां आईं

  1. डिनोटिफिकेशन से अधिग्रहण समाप्त होगा तो भूमि किसे लौटाई जाए।
  2. भूमि लौटाने की शर्तेें क्या होना चाहिए।
  3. भूमि स्वामी को भूमि लौटाने से उनके और वर्तमान काबिजों के बीच विवाद की आशंका।
  4. कोर्ट में जो मामले चल रहे हैं उन पर क्या निर्णय हो।
  5. सड़क के लिए चिन्हित और निगम की भूमि पर बने मकानों पर निर्णय आदि।

ऐसे समझें स्कीम नंबर छह को

  1. 6 मार्च 1992 को 91.375 एकड़ भूमि स्कीम छह के लिए अधिग्रहित।
  2. बरा-समान की 33.03 एकड़ भूमि का हो चुका है नामांतरण।
  3. शासकीय भूमि 28.80 एकड़ में 11.68 एकड़ निगम के नाम।
  4. 17.52 एकड़ मप्र शासन व अन्य विभागों के नाम अब भी दर्ज।
  5. निजी भूमि 62.57 एकड़ में 21.35 एकड़ निगम के नाम हो पाई दर्ज।
  6. अधिग्रहित 6.78 एकड़ भूमि का मुआवजा भूमि स्वामियों को वितरित।
  7. 10.46 एकड़ भूमि के लिए विकास शुल्क लेकर समझौता भी किया गया।
  8. कलेक्टर ने 99 रजिस्ट्री कर दी थी निरस्त।
  9. वर्ष 2019 में 300 करोड़ के घोटाले का आरोप लगाकर निगम प्रशासन ने सीमांकन की मांगी थी अनुमति।
  10. अब योजना को डिनोटिफाइड करना है।


समायोजन के बाद निगम की हुई योजना

नगर सुधार न्यास बोर्ड का 1994 में सभी अस्तियों के साथ नगर निगम में समायोजन हो गया था। जिसके चलते बोर्ड की संपत्तियां, योजनाएं व कर्मचारी सभी नगर निगम के हो गए थे। अब डिनोटिफिकेशन की प्रक्रिया शुरू होते ही यह सवाल उठने लगा है कि स्कीम की भूमि नगर निगम की होगी या फिर उन भूमि स्वामियों की, जिनसे अधिग्रहण किया गया था। नगर निगम के अधिकारी अब नियमों की पड़ताल में जुट गए हैं।

अजय मिश्रा बाबा, महापौर नगर निगम रीवा

अजय मिश्रा ‘बाबा’, महापौर नगर निगम रीवा

स्कीम नंबर छह डिनोटिफाइड कब तक होगी?

शासन की ओर से नगर निगम को कार्रवाई करने के लिए कहा गया है, इसकी प्रक्रिया शुरू करा रहे हैं। जल्दबाजी में कोई गलत निर्णय नहीं लेंगे।

पूर्व भूमि- स्वामियों ने अधिकांश हिस्सा बेच डाला है, अब भूमि किसे लौटाएंगे?

निर्देश में यह स्पष्ट नहीं है, इसीलिए अध्ययन करा रहे हैं। कई ऐसे मामले हैं कि बाद में विवाद की स्थितियां निर्मित होंगी। हमारा प्रयास है कि बाद में कोई समस्या उत्पन्न नहीं हो।

भूमि लौटाने के बदले क्या शर्तें रखेंगे?

यह एमआइसी में तय होगा। पूर्व में विकास शुल्क की दर निर्धारित हुई थी। अब नए सिरे से विकास कार्य होंगे, इसलिए तय करेंगे कि इसका प्रारूप क्या होना चाहिए।

भूमि खरीदकर जिन लोगों ने मकान बनाया है, राहत कैसे देंगे?

पूर्व में लापरवाही हुई है, लोगों को सही जानकारी नहीं दी गई, जिसके चलते वह भूमि खरीदकर मकान बना चुके हैं। ऐसे लोगों का कोई नुकसान नहीं हो, इसीलिए हर बिन्दु पर परीक्षण करवा रहे हैं।

सड़क, पार्क व भूमि पर मकान बन चुके हैं, इसे कैसे हटाएंगे?

पूर्व में विसंगतियों की वजह से ही हजारों परिवार उलझे हुए हैं। हम नियमानुसार, कार्रवाई करेंगे। न तो नगर निगम का नुकसान होगा और न ही वहां पर रहने वाले लोगों का, यही प्रयास कर रहे हैं।

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