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कर्ज और महंगा: ईएमआइ बढ़ेगी, बिना ओटीपी 15,000 तक का ट्रांजेक्शन

लगातार बढ़ रही महंगाई पर लगाम कसने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) ने बुधवार को रेपो रेट 0.50% (50 बेसिस पॉइंट) बढ़ा दी। यह 4.40% से बढ़कर 4.90% हो गई है। रेपो दर में बढ़ोतरी से कर्ज लेना और महंगा हो जाएगा। होम, ऑटो और पर्सनल लोन की ईएमआइ भी बढ़ जाएगी। रेकरिंग पेमेंट ई-मेंडेट की सीमा बढ़ा दी गई है, जिससे बिना ओटीपी के अब 15,000 रुपए तक का ऑटो डेबिट पेमेंट कर सकेंगे।
आरबीआइ के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मॉनिटरी पॉलिसी की बैठक के नतीजों की घोषणा करते हुए रेपो रेट बढ़ाने की जानकारी दी। इससे पहले 4 मई को इसमें 0.40% की बढ़ोतरी की गई थी। यानी 35 दिन में रेपो रेट 0.90% बढ़ चुकी है। रेपो रेट बढ़ने का मतलब है कि रिजर्व बैंक की तरफ से बैंकों को लोन महंगी दर पर मिलेगा। बैंक इस बढ़ोतरी को ग्राहकों तक ट्रांसफर करेंगे। ऐसे में ग्राहकों के लिए कर्ज लेने की दरें महंगी हो जाएंगी। हालांकि इससे उन लोगों को फायदा होगा, जो बैंक एफडी कराते हैं, क्योंकि एफडी की दरें भी बढ़ जाएगी।

बढ़ती महंगाई ने किया मजूबर…
आरबीआइ गवर्नर ने कहा, रूस-यूक्रेन युद्ध से सप्लाई चेन पर पड़े प्रभाव के कारण महंगाई पर लगाम के लिए रेपो रेट बढ़ाई गई है। बॉन्ड यील्ड चार साल में पहली बार 7.5% पर पहुंच गई।

यूपीआइ से क्रेडिट कार्ड भी जुड़ेंगे
आरबीआइ ने क्रेडिट कार्ड को यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआइ) प्लेटफॉर्म से जोड़ने की अनुमति का प्रस्ताव दिया है। शुरुआत में रुपे क्रेडिट कार्ड को यूपीआइ से जोड़ा जाएगा। यह उपयोगकर्ताओं को अतिरिक्त सुविधा प्रदान करेगा और डिजिटल भुगतान का दायरा बढ़ाएगा। फिलहाल यूपीआइ उपयोगकर्ताओं के डेबिट कार्ड के माध्यम से बचत या चालू खातों को जोड़कर लेन-देन की सुविधा प्रदान करता है।

महंगाई 8 साल के उच्चतम स्तर पर
खुदरा मुद्रास्फीति अप्रेल में लगातार सातवें महीने आठ साल के उच्चतम स्तर 7.79% पर पहुंच गई है। इसकी मुख्य वजह यूक्रेन-रूस युद्ध के कारण ईंधन और कई चीजों की कीमतों में बढ़ोतरी है। थोक कीमतों पर आधारित मुद्रास्फीति 13 महीने से दो अंक में बनी हुई है। अप्रेल में यह 15.08% के रेकॉर्ड उच्च स्तर तक पहुंच गई।

सहकारी बैंक से अब ज्यादा लोन
आरबीआइ गर्वनर ने कहा कि सहकारी बैंक अब व्यक्तिगत होम लोन के लिए ज्यादा उधार दे सकेंगे। इससे आवास क्षेत्र में बेहतर ऋण प्रवाह सुनिश्चित होगा। इसके लिए शहरी और ग्रामीण सहकारी बैंकों के व्यक्तिगत आवास ऋण की सीमा को संशोधित किया जा रहा है। शहरी सहकारी बैंकों को घरों तक बैंक से जुड़ी सुविधाएं पहुंचाने की अनुमति भी दी गई है।

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