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महंगी हो जाएंगी ये 35 चीजें, बजट से पहले कर लीजिए इनकी खरीदारी

नई दिल्ली। देश में आर्थिक प्रगति बढ़ाने के लिए मोदी सरकार कई बड़े विकल्पों पर विचार कर रही है। जिसमें सबसे प्रमुख देश में उत्पादन को बढ़ावा देना है। इसके लिए कई चीजों पर मोदी सरकार इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाने की बड़ी तैयारी कर रही है। एक फरवरी को पेश किए जाने वाले बजट में इसकी घोषणा होने की संभावना है।

हालांकि पिछले वर्ष भी मोदी सरकार द्वारा कई चीजों पर आयात शुल्क बढ़ाया गया। मोदी सरकार का मानना है कि इस तरह के उपायों से आत्मनिर्भर भारत मिशन को गति मिलेगी। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार 35 प्रमुख वस्तुओं पर सरकार इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाने की तैयारी में हैं।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए एक फरवरी को आम बजट पेश करेंगी। बजट में कई तरह के सामानों पर आयात शुल्क बढ़ाने की घोषणा की जा सकती है। जानकारों की माने 35 से अधिक वस्तुओं पर इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाई जा सकती है। कई मंत्रालयों से मिली जानकारी के आधार पर सरकार ने ऐसे सामान की सूची भी तैयार कर ली है।

इनमें प्राइवेट जेट्स, हेलीकॉप्टर्स, महंगे इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम्स, प्लास्टिक का सामान, ज्वेलरी, हाई-ग्लॉस पेपर और विटामिन्स प्रमुख रूप से शामिल हैं। इंपोर्ट कम करने और देश में इन वस्तुओं के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए इन पर आयात शुल्क बढ़ाया जा रहा है। मोदी सरकार का मानना है कि इन प्रयासों से आत्मनिर्भर भारत मिशन को गति मिलेगी। पिछले वर्ष भी सरकार ने बजट में कई वस्तुओं पर आयात शुल्क बढ़ाया था।

दिसंबर में कॉमर्स एंड इंडस्ट्री मिनिस्ट्री ने कई मंत्रालयों से ऐसी सामान की लिस्ट बनाने के लिए कहा था जो आवश्यक वस्तुओं की सूची में नहीं आते हैं। सरकार इस लिस्ट में शामिल सामान पर टैरिफ बढ़ाकर इनके इंपोर्ट को कम करना चाहती है। देश के चालू खाते का घाटा यानी सीएडी सितंबर में समाप्त तिमाही में नौ साल के उच्चतम पर पहुंच गया है। सितंबर तिमाही में यह जीडीपी का 4.4 फीसदी था जो उससे पिछली तिमाही में 2.2 फीसदी रहा था। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई तरह के वस्तुओं की कीमतों में गिरावट से स्थिति में सीएडी को लेकर कुछ चिंताएं कम हुई हैं लेकिन मोदी सरकार इस दिशा में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है।

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने दुनिया के एक तिहाई देशों के मंदी की चपेट में आने की चेतावनी दी है। जिसमें अमेरिका के अलावा यूरोप के कई देश शामिल हैं। मंदी का असर भारत पर भी पड़ सकता है। विकसित देशों में मंदी से भारत के आयात पर दबाव रहने की आशंका जताई जा रही है। जानकारों की माने तो अगले वित्त वर्ष में करेंट अकाउंट डेफिसिट जीडीपी का 3.2-3.4 फीसदी रह सकता है। आईसीआरए की चीफ इकनॉमिस्ट आदिति नायर के मुताबिक आयात की तुलना में स्थानीय मांग ज्यादा रहेगी। प्रत्येक माह मर्केंडाइज ट्रेड डेफिसिट 25 अरब डॉलर रह सकता है जो जीडीपी का 3.2-3.4 फीसदी है।

इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाना सरकार की लॉन्ग टर्म योजना का प्रमुख हिस्सा है। सरकार स्थानीय स्तर पर कई चीजों के उत्पादन को बढ़ावा देना चाहती है। मोदी सरकार ने वर्ष 2014 में मेक इन इंडिया प्रोग्राम शुरू किया था। जिसके बाद से कई चीजों के आयात पर टैक्स बढ़ाया गया है। पिछले साल के बजट में इमिटेशन ज्वेलरी, छातों और ईयरफोन पर इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाई गई थी। उससे पहले गोल्ड पर आयात शुल्क बढ़ाया गया था।

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