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मरने के बाद वीडियो कॉल पर आत्मा से करिए ऐसे बात, एक बार में आएगा इतना खर्चा

मौजूदा दौर में विज्ञान काफी तेजी से प्रगति कर रहा है। आज के समय में हर वो संभव लगती दिख रही है जिसके बारे में पहले कल्पना भी शायद ही संभव थी। मृत्यु के बाद की चीजों को लेकर अभी तक रहस्य ही बना हुआ है। कई तरह के मिथ है कि क्या होता और क्या नहीं होता। सबकी अपनी अपनी मान्यताएं। विशेषतौर से आत्मा को लेकर मान्यताएं बिल्कुल ही अलग हैं।

सोचिए अगर कोई कंपनी आपके पास आकर कहें कि वो आपके किसी मृतक रिश्तेदार से वीडियो कॉल पर आपकी बात करवाने में सक्षम है तो आपका रियेक्शन कैसा होगा। पहली बार तो आप उस व्यक्ति के ऊपर हसेंगे या उसे पागल कहेंगे।

एक कंपनी ने ऐसा ही ऑफर निकाला है, जिसमें वह शोक संतप्त परिवारों को परिवार के मृतक परिजन की आत्मा से बात करवाने का दावा कर रही है। अपने दावे में कंपनी कह रही है कि वो कब्र के बाहर उनके सगे संबंधियों को अपने प्रिय रिश्तेदार से वीडियो कॉल पर बात करवाने के एक बार में एक हजार पाउंड यानि लगभग एक लाख रुपये चार्ज करेगी।

दक्षिण कोरिया के प्रमुख आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस विशेषज्ञ जोसेफ मर्फी ने इस तरह की तकनीक बनाने का दावा किया है। अपने दावे में मर्फी ने बताया कि यह तकनीक दोस्तों और परिवार को दुःख से निपटने में मददगार साबित होगा। इस तकनीक में बोफिन वर्चुअव रिएलिटी क्रिएट की जाएगी। यानि मृतक के तरह के वर्चुअल मानव को तैयार किया जाएगा इसके बाद उससे वीडियो कॉल पर बात कराई जाएगी। पर इस तकनीक को काफी विवादित बताया जा रहा है।

जानकारों के मुताबित तकनीक के जरिए मृतक के चेहरे और उसके हाव भाव को इस तरह से बनाया जाएगा कि वह हूबहू मृतक की तरह लगेगा। उसकी आवाज और फेश एक्सप्रेशन को भी हूबहू मृतक की तरह बनाया जाएगा। जिससे वीडियो काल पर बात करते वक्त ऐसा महसूस ही नहीं होगा कि वो वास्तव में जिंदा व्यक्ति से बात नहीं कर रहा है।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एक्सपर्ट जोसेफ मर्फी के मुताबिक यह तकनीक डीपब्रेन आर्टिफिशियल टेक्नोलॉजी है। ये काफी विवादित भी है। जोसेफ के मुताबिक, “हमने पहले ही इसे वास्तव में ध्रुवीकरण करने वाला पाया है”। हालांकि कुछ लोग इसे अवास्तविक मानकर खारिज कर देते हैं, लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं, जिन्हें ये पसंद आ रहा है और वो उनसे वीडियो कॉल पर बात कर अपनी यादों को उनसे साझा करते हैं और कुछ देर के लिए ही सही, मगर अपनी दुखों को भूल जाते हैं।”

उनके मुताबिक टर्मिनल बीमारी से ग्रसित लोगों के लिए यह बेहद कारगर है। यह सॉफ्टवेयर को उनके तौर-तरीकों और आवाज को सीखने की अनुमति देने के लिए कैमरे के सामने कई घंटे बिता सकते हैं। किसी शख्स को मृत्यु से पहले एक वर्चुअल व्यक्ति बनने के लिए करीब 20 हजार पाउंड, यानि लगभग 20 लाख रुपये तक खर्च करने होंगे और एक बार ये प्रक्रिया होने के बाद उस वर्चुअल व्यक्ति से एक हजार पाउंड खर्च कर बात की जा सकती है।

क्रूस बेरेवमेंट असिस्टेंस के एक कार्यकर्ता सू गिल ने इस टेक्नोलॉजी को “विचित्र और भयावह बताया”। उन्होंने कहा कि, “बहुत से लोग, मरने से पहले कोई चिट्ठी लिखते थे और सच कहें तो सबसे अच्छी टेक्नोलॉजी वही है और वो ही काफी भावनात्मक होता है, लेकिन इस टेक्नोलॉजी से ऐसा लगता है, मानो आप शोक ग्रस्त परिवारों को पैसे के लिए शिकार कर रहे हैं।”

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