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Birthday:धीरूभाई अंबानी और रतन टाटा का जन्मदिन: दोनों ने लिया रिस्क और हुए कामयाब, जानिए इनकी तरक्की का सफर

Birthday of Dhirubhai Ambani and Ratan Tata:28 दिसंबर दिन भारत के लिए बेहद खास है क्यों कि 28 दिसंबर को भारत के दो बड़े बिजनेस टायकून्स का जन्मदिन है। रतन टाटा आज अपना 85वां जन्मदिन मना रहे हैं। जबकि रिलायंस गु्रप के फाउंडर धीरूभाई अंबानी का ये 90वां जन्मदिन है। धीरूभाई ने अपने बिजनेस की शुरुआत कपड़े के कारोबार से की थी, जिसके बाद उन्होंने एक ऐसी कंपनी खड़ी की जिसका सफर एनर्जी, रिटेल से लेकर मीडिया-एंटरटेनमेंट और डिजिटल सर्विस में फैल चुका है। वर्तमान में यह कंपनी लोगों की जिंदगी का अहम हिस्सा बन चुकी है।

अपनी विरासत को दिया नया मुकाम
वहीं रतन टाटा की बात करें तो उन्होंने अपनी विरासत को अपने दम पर एक नए मुकाम पर पहुंचाया है। एअर इंडिया एयरलाइंस जो कि 1950 के दशक में टाटा के अंपायर से भारत सरकार के पास जा चुकी थी, उसे उन्होंने वापस अपने एंपायर में लाया है। वहीं विदेशी कंपनी फोर्ड की लग्जरी कार के ब्रांड लैंडरोवर और जगुआर को अपने भी पोर्टफोलियो में जोड़ा। वहीं उन्होंने दुनिया की सबसे बड़ी टी मैन्युफैक्चरर टेटली का भी अधिग्रहण किया। इसके अलावा यूरोप के स्टील उत्पादक कोरस को भी खरीदा।

Dhirubhai Ambani

रिलायंस की ऐसे हुई शुरुआत

धीरुभाई अंबानी ने 1950 के दशक की शुरुआत में अपने चचेरे भाई चम्पकलाल दमानी के साथ मिलकर रिलायंस कमर्शियल कारपोरेशन की शुरुआत की। उन्होंने इस कंपनी के तहत पॉलिएस्टर धागे और मसालों के आयात-निर्यात का व्यापार शुरू किया था। यहीं से रिलायंस कंपनी का जन्म हुआ। लेकिन 1965 में चम्पकलाल ने साझेदारी खत्म कर दी। जबकि धीरुभाई अंबानी अपने सफर पर सक्रिय रहे और फिर कभी भी पीछे मूड़कर नहीं देखा। उन्होंने कपड़ा/टेक्सटाइल के बाद अन्य दूसरे क्षेत्रों में भी सफलता हासिल की। दूरसंचार, ऊर्जा सहित अन्य कई सेक्टर में हाथ आजमाए और रिलायंस का दायरा लगातार बढ़ता ही चला गया।

Ratan Tata

मार्केट में है टाटा समूह का दबदबा

वहीं दूसरी ओर रतन टाटा 1962 में टाटा समूह से जुड़े और इस विरासत को ऊंचाइयों तक पहुंचाया। उन्हें अपनी पहली नौकरी टेल्को (अब टाटा मोटर्स) के शॉप फ्लोर पर मिली। उसके बाद उन्होंने धीरे-धीरे अपनी योग्यता के दम पर टाटा समूह में एक-एक कदम ऊपर चढ़ते गए और आखिरकार 1981 में टाटा इंडस्ट्रीज के चेयरमैन बनाए गए। यह वक्त था जब उन्हें जेआरडी का उत्तराधिकारी चुन लिया गया। उनकी अगुवाई में टाटा समूह ने खूब तरक्की की और इसका रेवेन्यू 100 बिलियन डॉलर के पार निकल गया। उन्होंने नमक और चाय के घरेलू उत्पादों से लेकर एयर इंडिया तक अपनी जड़ें जमा दीं।

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