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मिडिल क्लास के लिए रतन टाटा ने देखा था ये Mini SUV TATA Nano का सपना

टाटा समुह के अध्यक्ष रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 में मुंबई में हुआ था और अब 85 साल के हो गए हैं। नमक से सॉफ्टवेयर तक बनाने वाले टाटा समूह के मुखिया रतन ने साल 2008 में पहली बार टाटा नैनो की झलक दुनिया को दिखाई थी। के बाद साल 2009 में टाटा मोटर्स कंपनी की टाटा नैनो सड़कों पर दिखने लगी। कंपनी ने इस कार की कीमत मात्र एक लाखों रुपए रखी थी। ये कार उन लोगों के लिए थी जो कार खरीदने का सपना तो देखते हैं, लेकिन महंगी होने के कारण उसे खरीद नहीं पाते हैं।

यह कार कुछ वक्त तो सड़कों पर दिखी लेकिन फिर कुछ साल में ये मार्केट से गायब होने लगी और नौबत ये आ गई कि कंपनी ने प्रोडक्शन कम कर दिया। वहीं, BS-IV आने के बाद नैनो कार को बंद करने का फैसला किया गया।टाटा नैनो के नाकाम होने की वजह इसके टैग को माना गया। एक्सपर्ट्स का मानना है कि लोगों ने गरीबों की कार के नाम को हीन भावना से जोड़ कर देखा। यही वजह है कि नैनो कार फ्लॉप हो गयी।

पर लोगों को यह नहीं पता कि रतन टाटा को ऐसी कार बनाने का आईडिया कहां से आया। दरअसल रतन टाटा ने एक बार बताया था कि- मैं डूडल बनाते हुए अकसर सोचता था कि बाइक ही सुरक्षित हो जाए तो सही रहेगा। ऐसा सोचते-सोचते मैंने एक कार का डूडल बनाया, जो एक बग्गी जैसा दिखता था। फिर इसके बाद इन्हें यहां से कार बनाने का आइडिया मिला, और फिर रतन टाटा नैनो कार को लेकर आए। हालांकि रतन टाटा का यह सपना कुछ ही वक्त में टूट कर बिखर गया।

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