क्राइम

86 साल के उम्र में पूर्व विधायक को हुई 10 साल की सजा, 20 साल पुराने रेप केस में अब मिली सजा

एडीजे कोर्ट ने मकराना (नागौर) के पूर्व विधायक भंवरलाल राजपुरोहित को 20 साल पुराने रेप केस में दस साल की सजा सुनाई है. साथ ही उन पर एक लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है. यह रकम पीड़िता को दी जाएगी. फैसला सुनाने के दौरान 86 साल का पूर्व विधायक भंवरलाल राजपुरोहित कोर्ट में ही मौजूद था. बता दें कि जैसे ही फैसला सुनाया गया पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया. इसके बाद उसका मेडिकल करवाकर परबतसर जेल भेज दिया गया. यह मामला मकराना की राजनीति में काफी चर्चा में रहा था, हालांकि रेप केस होने के बाद ही भंवरलाल भाजपा से विधायक चुना गया था.

आपको बता दें कि मनाना गांव की रहने वाली 22 साल की एक महिला ने लिखित शिकायत के जरिए 1 मई 2002 को रिपोर्ट दर्ज करवाई थी. इस रिपोर्ट में कहा गया था कि वह 29 अप्रैल 2002 को दोपहर करीब तीन बजे भंवरलाल राजपुरोहित के कुएं पर गई थी. उस दिन भंवरलाल की पत्नी घर पर नहीं थी. कुएं पर पहुंचने के बाद भंवरलाल ने उसे कमरे के अंदर बुलाया. उसने कहा कि मैं तुम्हारे पति से मुंबई बात करवा देता हूं. अंदर जाने के बाद भंवरलाल ने उसके साथ दुष्कर्म किया. बाद में महिला ने अपने पिता के साथ कोर्ट में शिकायत दी थी. शिकायत (इस्तगासा) के आधार पर पुलिस में मामला दर्ज हुआ. जांच के बाद पुलिस ने भंवरलाल के खिलाफ चालान पेश किया.
इस रिपोर्ट में बताया गया था कि रेप के बाद महिला गर्भवती हो गई थी, जिसका अबाॅर्शन करवाना पड़ा. शुरुआत में तो यह मामला पुलिस ने भी हल्के में ही लिया, लेकिन बाद में इससे मकराना की राजनीति में उबाल आ गया. बीस साल से यह केस मकराना के अपर सेशन न्यायालय (एडीजे कोर्ट) में चल रहा था. इसमें सात गवाहों के बयान हुए. मामले में पीड़िता की ओर से अपर लोक अभियोजक राममनोहर डूडी ने पैरवी की गई थी. सुनवाई के बाद एडीजे कुमकुम ने आरोपी को सजा सुनाई.
आपको बता दें कि भंवरलाल के खिलाफ दुष्कर्म का मामला मई 2002 में दर्ज हुआ था. उस वक्त भंवरलाल किसी पद पर नहीं था. हालाकि, इससे पहले वह प्रधान रह चुका था. इसके करीब डेढ़ साल बाद ही अक्टूबर 2003 में राजस्थान में विधानसभा चुनाव हुए. भाजपा ने भंवरलाल को मकराना से अपना प्रत्याशी बनाया. चुनाव जीतकर भंवरलाल राजपुरोहित विधायक बन गया. इस दौरान कोर्ट में इस मामले की सुनवाई भी चलती रही. हालांकि यह मामला ठंडा पड़ गया और पुलिस ने मामला बंद कर दिया. बाद में कोर्ट ने इसमें संज्ञान लेते हुए वापस जांच के आदेश दिए.
भंवरलाल मकराना पंचायत समिति में चार बार प्रधान रह चुका है. पहली बार वह 20 मई 1971, दूसरी बार 30 जनवरी 1975, तीसरी बार 27 नवंबर 1981 और फिर 18 अक्टूबर 1985 में प्रधान बना था.
भंवलाल पर जब दुष्कर्म के आरोप लगे उस वक्त वह 66 साल का था. अब वह 86 साल का हो चुका है. पिछले कुछ साल से वह राजनीति में भी सक्रिय नहीं है. पांच साल पहले बोरावड़ में दीपावली स्नेह मिलन समारोह में भंवरलाल ने सक्रिय राजनीति से संन्यास की घोषणा की थी. मंगलवार को कोर्ट में सजा सुनाई जानी थी, जहां वह व्हील चेयर पर पहुंचा.
पीड़िता ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि भंवरलाल ने रेप के बाद उसे पांच सौ रुपए देकर चुप रहने को कहा, लेकिन वह पैसे वहीं फेंककर आ गई थी. पीड़िता की मानें तो उसने घर आकर अपने पिता को पूरी बात बताई. इसके बाद दोनों ने पुलिस को रिपोर्ट दी, लेकिन उनका मामला दर्ज नहीं हुआ. जिस पर कोर्ट में इस्तगासा दिया गया. इसी इस्तगासे के आधार पर मामला दर्ज हुआ, लेकिन पीड़िता के लिए न्याय इतना आसान नहीं था.
मामले की जांच कर रहे तत्कालीन पुलिस निरीक्षक तेजपाल सिंह ने चार माह में जांच कर मामले को झूठा बताया और 16 अगस्त 2002 को कोर्ट में एफआर पेश कर दी. 2003 में राजपुरोहित विधायक बन गया, जिसके बाद मामला दबाने की कोशिश हुई. एफआर लगने पर पीड़िता ने वापस कोर्ट की शरण ली. जिस पर कोर्ट ने 21 फरवरी 2006 को प्रसंज्ञान लिया और वापस जांच के आदेश दिए. इसके बाद यह मकराना की कोर्ट में चला. सुनवाई के दौरान पीड़िता, उसके माता- पिता, दो डॉक्टर और जांच अधिकारी सहित एक अन्य के बयान हुए. जिनके आधार पर कोर्ट ने भंवरलाल को दोषी माना.

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