लाइफस्टाइलशिक्षा/नौकरी

smoke cigarettes: एक सिगरेट हमारी जिंदगी के कम कर देती है 11 मिनट, जानिए कैसे धीरे-धीरे खोखला हो जाता है शरीर

आजकल युवाओं में सिगरेट पीने का चलन काफी बढ़ गया है। खुदक को स्टाइलिश और मॉर्डेन दिखाने के चक्कर में युवा स्कूल-कॉलेज में ही सिगरेट का कश लगाने लगते हैं। लेकिन यह शौक उनके लिए काफी घातक है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि, एक सिगरेट हमारी जिंदगी के ग्यारह मिनट कम कर देती। इसके अलावा सिगरेट के कई नुकसान हैं, जिसे आगे एक-एक कर जानेंगे। सिगरेट या बीड़ी के धुएं में सबसे हानिकारक रसायनों में से कुछ निकोटीन, टार, कार्बन मोनोऑक्साइड, हाइड्रोजन साइनाइड, फॉर्मलाडीहाइड, आर्सेनिक, अमोनिया, सीसा, बेंजीन, ब्यूटेन, कैडमियम, हेक्सामाइन, टोल्यूनि आदि होते है। ये रसायन धूम्रपान करने वालों और उनके आसपास वालों के लिए हानिकारक होते हैं। आइए सिगरेट पिने से होने वाले नुकसानों को जानें-

disadvantages of cigarettes

1. प्रजनन क्षमता के लिए
प्रजनन क्षमता में कमी के लिए धुम्रपान काफी हद तक जिम्मेदार है। एक शोध के अनुसार धूम्रपान, भ्रूण के विकास में पुरुष के शुक्राणुओं और कोशिकाओं की संख्या को नुकसान पहुंचाते हैं। महिलाओं के द्वारा धूम्रपान करने से गर्भस्राव या जन्म देने वाले बच्चे में स्वास्थ्य समस्याएं होने की अधिक संभावना होती है। इसके अलावा, धूम्रपान से ओवुलेशन समस्याएं हो सकती है।

2. रुमेटीइड गठिया का ख़तरा
नियमित धूम्रपान करने से रुमेटीइड गठिया का ख़तरा बढ़ जाता है। गैर धूम्रपान करने वालों के मुकाबले धूम्रपान करने वालों के लिए जोखिम लगभग दोगुना है। इसके अतिरिक्त ऑस्टियोपोरोसिस और हड्डी के फ्रैक्रर के लिए धूम्रपान एक प्रमुख कारण है।

3. फेफड़ों का कैंसर
सिगरेट पिने से फेफड़े के कैंसर की संभावना काफी हद तक बढ़ जाती है। एक रिपोर्ट के अनुसार तम्बाकू धूम्रपान और फेफड़े के कैंसर के खतरे के बीच एक मजबूत संबंध है। गैर-धूम्रपान करने वालो पर भी फेफड़ों के कैंसर के विकास का जोखिम है। धूम्रपान करने वाली महिलाएँ को पुरुषों के मुकाबले फेफड़ों के कैंसर का ख़तरा अधिक है।

4. उम्र बढ़ाने की प्रक्रिया करे तेज
धूम्रपान आपकी त्वचा पर समय से पहले झुर्रियाँ, त्वचा की सूजन, फाइन लाइन और एज स्पॉट्स को बढ़ाने में अपना योगदान देता है। सिगरेट में निकोटीन रक्त वाहिकाओं को कम करने का कारण बनता है, जिसका अर्थ है आपकी त्वचा की बाहरी परतों में रक्त प्रवाह कम होना। कम रक्त प्रवाह के साथ, आपकी त्वचा को पर्याप्त ऑक्सीजन और महत्वपूर्ण पोषक तत्व नहीं मिलते हैं।

5. बढ़ाए श्वसन समस्या
धूम्रपान श्वसन संबंधी विकारों जैसे अस्थमा और तपेदिक आदि के विकास में योगदान देने वाला सबसे महत्वपूर्ण कारण है। धुम्रपान से श्वसन में कमी, खांसी और कफ उत्पादन संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो सकतीं हैं। इसके अलावा, धूम्रपान में मौजूद कार्बन मोनोऑक्साइड खून में प्रवेश करता है और आपकी ऑक्सीजन-क्षमता को सीमित करता है। इससे कफ को बढ़ाता है जिससे सांस लेने में कठिनाई होती है।

6. हृदय रोग का खतरा
सिगरेट में निकोटीन और अन्य जहरीले रसायन हृदय रोग और स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ा देते हैं। इसकी वजह से स्ट्रोक पैरालिसिस, आंशिक अंधापन, बोलने की शक्ति और यहां तक कि मौत का कारण भी हो सकती है। धूम्रपान ना करने वालों की तुलना में धूम्रपान करने वालों में स्ट्रोक होने की संभावना तीन गुना अधिक होती है।

7. मधुमेह के खतरे
बीड़ी धूम्रपान टाइप-2 मधुमेह के खतरे से जुड़ा हुआ है। यह ग्लूकोज चयापचय को भी बिगाड़ता है, जो कि टाइप 2 मधुमेह की शुरुआत हो सकती है। इसके अलावा, यह बॉडी मास इंडेक्स स्वतंत्र तंत्र के माध्यम से मधुमेह के खतरे को बढ़ाता है। गर्भावस्था के दौरान धूम्रपान करने वाली महिलाओं को गर्भस्राव संबंधी मधुमेह का खतरा बढ़ जाता है और बच्चे को बाद में मधुमेह का खतरा हो सकता है।

8. आंखों के लिए
धूम्रपान से मोतियाबिंद, ग्लूकोमा, मधुमेह के रेटिनोपैथी और ड्राई आई सिंड्रोम का खतरा बढ़ जाता है। सिगरेट के धुएं में आर्सेनिक, फार्मलाडिहाइड और अमोनिया शामिल हैं। ये रसायन खून में शामिल होकर आंखों के नाजुक ऊतकों तक पहुंच जाते हैं जिससे रेटिना कोशिकाओं की संरचना को नुकसान होता है।

9. करे घाव भरने में देरी
सिगरेट के धुएं में कई यौगिक जैसे निकोटीन, टायर, नाइट्रिक ऑक्साइड, हाइड्रोजन साइनाइड, कार्बन मोनोऑक्साइड और सुगंधित अमाइन, एनोक्सिया, हाइपोक्सिया, व्हेसोकोनस्ट्रक्शन आदि घाव के उपचार को रोकते हैं। धूम्रपान करने वाले में मैक्रोफेज की कमी आती है जो उपचार में देरी का कारण बनता है। धूम्रपान करना लाल रक्त कोशिकाओं, हड्डी की कोशिकाओं और यहां तक कि सफेद रक्त कोशिकाओं को भी नुकसान पहुँचाता है, जो उपचार के लिए जरूरी हैं।

10. डिमेंशिया के खतरे
धूम्रपान करने वाले दोनों पुरुष और महिलाओं में डिमेंशिया या अल्जाइमर जैसे रोग होने की संभावना अधिक होती है। इसमें मानसिक पतन का अनुभव भी कर सकते हैं। सिगरेट में मौजूद निकोटीन मस्तिष्क के लिए हानिकारक है और डिमेंशिया या अल्जाइमर रोग की शुरूआत को बढ़ाता है।

Related Articles

Back to top button