करवा चौथ व्रत रखने से पहले गर्भवती महिलाएं इन बातों का रखें ध्यान, नहीं तो हो सकती है परेशानी
करवा चौथ का व्रत कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है। सुहागिनें इस दिन पति की लंबी उम्र की कामना से निर्जला व्रत रखती हैं। इस व्रत को रात में चांद को अघ्र्य देने के बाद ही खोला जाता है। करवा चौथ का व्रत इस साल 13 अक्टूबर को है।
करवा चौथ व्रत की तैयारियों को लेकर देशभर में महिलाओं में खासा उत्साह है। कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाए जाने वाले इस त्यौहार के दिन महिलाएं पूरे दिन उपवास रखती हैं। शाम को पूजन के पश्चात चांद और पति को छलनी में से देखने के बाद पति के हाथों जल ग्रहण करती हैं।
करवा चौथ का व्रत कुछ कुंवारी कन्याएं भी रखती हैं, ये वो युवतियों होती हैं जिनकी सगाई हो गई हो और शादी में कुछ समय हो। गर्भवती महिलाएं भी पति की मंगलकामना के लिए इस व्रत को करती हैं। लेकिन यह व्रत निर्जला होता है इसमें किसी चीज का सेवन नहीं किया जाता है, यहां पत कि पानी के एक भी घूंट भी नहीं पीया जाता है। ऐसे में गर्भवती महिलाओं की व्रत के साथ अपनी सेहत का भी ध्यान रखना जरूरी है।
गर्भवती महिलाएं व्रत में इन बातों का रखें ध्यान
गर्भवती महिलाओं को व्रत में दिनभर भूखे-प्यासे रहने पर कई प्रकार की दिक्कत हो सकती है चक्कर भी आ सकता है। ऐसे में गर्भवती महिलाओं के लिए जरूरी है कि वो उपवास रखने से पहले अपनी शारीरिक क्षमता को परख लें। यदि आप शारीरिक रूप से कमजोर हैं, तो बेहतर होगा कि आप यह व्रत न रखें। क्यों कि आपके गर्भ में पल रहे बच्चे को भी परेशानी हो सकती है। फिर भी यदि आप व्रत करना ही चाहते हैं तो एक बार इन बातों का जरुर ध्यान रखें।
- डॉक्टर से लें सलाह: हालांकि ऐसी किसी भी रिसर्च में साबित नहीं हुआ है कि गर्भवस्था में महिलाओं का व्रत करना बच्चे के लिए हानिकारक होता है। लेकिन करवाचौथ का व्रत निर्जला होता है, जिसमें पानी तक नहीं पीया जाता है। ऐसे में शरीर में पानी की कमी हो जाती है, जिससे गर्भ में बच्चा असहज हो सकता है और उसे सांस लेने में भी तकलीफ हो सकती है। इस लिए व्रत से पहले एक बार अपने डॉक्टर से सलाह लेना अच्छा रहेगा।
- व्रत के एक दिन पहले ऐसा भोजन लें जो जल्दी न पचे। खाने के बाद एक बड़ा गिलास दूध का अवश्य लें।
- कोशिश करें कि निर्जला उपवास ना करें। बीच-बीच में पानी पीते रहें।
- यदि व्रत के दौरान कमजोरी लगे तो नियमित अंतराल से फलों व जूस का सेवन अवश्य करें, ताकि मां एवं शिशु को ग्लूकोज सहित अन्य आवश्यक तत्वों की कमी ना हो।
- व्रत उपरांत पारण के वक्त सरलता से पचने वाला भोजन करें, अति-गरिष्ठ भोजन से बचें।
- व्रत के दौरान कमजोरी व चक्कर के करण गिरने का भय बना रहता है, इसलिए कोशिश करें के अकेले न रहें, और ऐसा महसूस होने पर तुरंत की बैठ जाएं