Vindhya Bhaskar Dex News। रीवा संसदीय क्षेत्र में चुनाव के लिए गुरुवार से नामांकन प्रक्रिया शुरू हो गई। अभी तक केवल भाजपा व कांग्रेस ने अपने प्रत्याशी उतारे थे।
रीवा में तीसरा प्रमुख दल बसपा ने अभी तक प्रत्याशी नहीं उतारा था। लेकिन अब इंतजार खत्म हुआ। बसपा ने एक बार फिर पटेल वर्ग के कैंडिडेट पर ही विश्वास जताया है। हालांकि बसपा इस बार बड़े क्षत्रिय चेहरे की तलाश में थी, लेकिन यह नहीं हो पाया।
लिहाजा एक बार फिर उसे पटेल वर्ग पर ही दांव लगाना पड़ा। बसपा ने इस बार अधिवक्ता व कई शैक्षणिक संस्थाओं का संचालन करने वाले मास्टर बुद्धसेन पटेल के पुत्र को मैदान में उतारा है।
अभिषेक पटेल पूर्व में 2018 के विधानसभा चुनाव में देवतालाब विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ चुके हैं। इसके पूर्व वह अपना दल से चुनाव लड़ते हैं। अभिषेक पिछले कुछ सालों से संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े हैं और दिल्ली व स्थानीय स्तर के किसान आंदोलनों में सक्रियता के साथ भाग भी लिया है।
इस आंदोलन में जिले भर के काफी संगठनों की टीम उनके साथ काम भी कर चुकी हैं। बता दें कि रीवा संसदीय क्षेत्र से बसपा काफी दिनों से प्रत्याशी की तलाश में जुटी थी। हालांकि पार्टी में काम करने वाले कई नेता भी दावेदार थे।
इनमें पूर्व सांसद बुद्धसेन पटेल जो कांग्रेस छोड़ गत 15 मार्च को कांशीराम की जयंती पर बसपा में वापसी की थी, वे भी टिकट के दावेदार थे। इसके अलावा कलेक्टर रीडर रहे यज्ञसेन पटेल भी दावेदार थे। ऐसा माना जा रहा था कि इन्हीं दो नामों में से एक नाम फाइनल हो सकता है लेकिन बसपा ने चौंकाते हुए अभिषेक पटेल अपना कैंडिडेट बनाया है।
उल्लेखनीय है कि 1989 में अस्तित्व में बसपा ने रीवा संसदीय क्षेत्र से अब तक केवल पटले वर्ग के नेताओं पर ही भरोसा जताया है। हर चुनाव में पटेल कैंडिडेट ही उतारा है। हालांकि तीन बार उसे सफलता भी मिल चुकी है। जिसमें पहले सांसद भीम सिंह पटेल, दूसरे बुद्धसेन पटेल और तीसरे बसपा सांसद देवराज सिंह पटेल रहे।
त्रिकोणीय व रोमांचक होगा मुकाबला
अभिषेक पटेल के मैदान में आने से रीवा संसदीय क्षेत्र का चुनाव अब त्रिकोणीय व रोमांचक होगा। मास्टर बुद्धसेन पटेल की जिले भर में एक अलग पहचान है। वह शिक्षा के क्षेत्र में काफी काम कर चुके हैं। कई संस्थाएं संचालित हैं।
सामाजिक कार्यों में भी सक्रिय रहते हैं जिसका लाभ उन्हें मिल सकता है। इस चुनाव में भाजपा के पटेल वोटों में सेंध लगाने में सफल हो सकते हैं। कांग्रेस प्रत्याशी नीलम मिश्रा भी इस बार मजबूत कैंडिडेट के रूप में मैदान में उतरी हैं। पूर्व जिपं अध्यक्ष के रूप में अभय मिश्रा ने पूरे संसदीय क्षेत्र में अपनी पहुंच बना ली थी, जिसका उन्हें फायदा मिल सकता है। इस तरह रीवा संसदीय क्षेत्र भाजपा के लिए उतना आसान नहीं रहेगा जितना पिछले चुनाव में था।