भोपालमध्य प्रदेश

बाल साहित्य शोध केंद्र में ‘ पुष्प की अभिलाषा ‘ पर कविताओं की प्रस्तुति बीज रूप वरदान हूं , मैं पुष्प हूं …

भोपाल: बाल कल्याण एवं बाल साहित्य शोध केंद्र में माखनलाल चतुर्वेदी की कालजयी रचना ‘ पुष्प की अभिलाषा ‘ के शताब्दी वर्ष के तहत गोष्ठी का आयोजन किया गया । इस मौके पर डॉ . क्षमा पांडे ने पुष्प की अभिलाषा का सस्वर पाठ कर राष्ट्र प्रेम और त्याग की भावना को बताया ।

वहीं , उषा जायसवाल ने कहा कि लोगों का शताब्दी वर्ष तो मनाया जाता है लेकिन पुष्प की अभिलाषा का शताब्दी वर्ष मनाना रचना का महत्व प्रतिपादित करता है । इसी क्रम में मधुलिका सक्सेना ने कविता ‘ पीढ़ियां पलती हैं मेरे अंश से , बीज रूप वरदान हूं मैं पुष्प हूं … ‘ कविता सुनाई । नविता जौहरी ने सूरजमुखी फूल के विशेषताओं को दर्शाने वाली रचना पढ़ी ।

राजकुमारी चौकसे ने एकता से रहने का महत्व बताने वाली कविता फूलों का गुलदस्ता … प्रस्तुत की । कार्यक्रम में आगे डॉ . विनीता राहुरीकर ने ‘ देवताओं के शीश पर चढ़ते फिर भी नहीं इतराते फूल … ‘ रचना पूश की ।

नीलू शुक्ला ने क्षणभंगुर है जीवन इनका फिर भी ना घबराते फूल सदा मुस्कुराते … ‘ कविता पढ़ी । फागुन में होली के समय पलाश के फूलों के सौंदर्य को दर्शाती हुई रचना डॉ . वंदना मिश्रा ने पढ़कर आनंद विभोर किया । इसी क्रम में शेफाली श्रीवास्तव ने रंग – बिरंगा प्यारा फूल में … फूलों का वर्णन कर वाहवाही बटोरी । प्रतिभा श्रीवास्तव ने फूलों सा मुस्कुराने और त्याग की भावना को बताने वाली रोचक कविता पड़ी । अरविंद शर्मा ने फूलों का अगर स्वभाव आएगा तो दोहरा चरित्र छोड़कर सच्चाई पथ अपनाया जाएगा … कविता पढ़ी । इस अवसर पर भविष्य आचारी , भूवी आचारी , अनुभूति त्रिवेदी , सृष्टि पागे , शांभवी सोनी , सोहम सोनी और अभिज्ञा चौकसे ने रंगीन फूलों को कैनवास पर उकेरकर प्रदर्शित किया .

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