मध्य प्रदेशरीवा

BJP का उद्देश्य मदिर बनाना नही बल्कि मस्जिद तोड़ना था : Digvijay Singh

कांग्रेस कभी भी अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का विरोध नहीं किया। भाजपा और विश्व हिंदू परिषद का मकसद मंदिर निर्माण नहीं मस्जिद गिराना था

मध्यप्रदेश रीवा: पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने राम मंदिर पर बड़ा बयान दिया है। दिग्विजय सिंह ने कहा की भाजपा का उद्देश्य मदिर बनाना नही बल्कि मस्जिद तोड़ना था।

रीवा के सर्किट हाउस में आयोजित प्रेसवार्ता के दौरान दिग्विजय सिंह ने कहा की 1857 की लड़ाई में अंग्रजी हुकूमत के खिलाफ हिंदू मुस्लिम साथ खड़े हुए थे। अयोध्या में 1850 से निर्मोही अखाड़ा काबिज था। सब कुछ ठीक चल रहा था। जब भाजपा चुनाव हार रही थी तो मंदिर मस्जिद करना शुरू कर दिया। इनका उद्देश्य मस्जिद तोड़ना था मंदिर बनना नही।

दिग्विजय सिंह ने कहा पोस्टर में जब नारा दिया गया था। राम लला आएंगे मंदिर वहीं बनाएंगे अब न्यायालय के आदेश पर उस भूमि पर मंदिर क्यों नहीं बनाया जा रहा। केवल विवादित भूमि में निर्माण के लिए न्यायालय के फ़ैसले तक इंतज़ार करने के लिए कहा गया था। ग़ैर विवादित भूमि पर भी भूमिपूजन राजीव जी के समय हो गया था नरसिम्हा राव जीने नाम मंदिर निर्माण के लिए ग़ैर विवादित भूमि का अधिग्रहण भी कर दिया था।

दिग्विजय सिंह ने कहा कांग्रेस कभी भी अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का विरोध नहीं किया। भाजपा और विश्व हिंदू परिषद का मकसद मंदिर निर्माण नहीं मस्जिद गिराना था। क्योंकि जब तक मस्जिद नहीं गिरेगी तब तक मुद्दा हिंदू मुसलमान का नहीं बनता। अशांति फैला कर राजनीतिक लाभ लेना उनकी रणनीति है। इसीलिए उनका नारा था। “राम लला हम आयेंगे मंदिर वहीं बनायेंगे”। अब वहाँ क्यों नहीं बनाया? जब उच्चतम न्यायालय ने विवादित भूमि न्यास को दे दी थी।

निर्मोही अखाड़े के लोग जिन्होनें 165 वर्षों तक राम जन्म भूमि की लड़ाई लड़ी जिन्होनें अदालत में लड़ाई लड़ी। मंदिर निर्माण का रास्ता खुल गया। सारी लड़ाई स्वामी स्वरूपानंद जी ने लड़ी थी। उन्हें रमालय ट्रस्ट का अध्यक्ष बनाया गया। लेकिन अब मंदिर निर्माण से दूर कर दिया गया। मोदी जी ने मंदिर निर्माण में राजनैतिक लोगो को शामिल कर दिया है। चंपत राय क्या है। मोहन भागवत क्या प्राण प्रतिष्ठा में शामिल है।

निर्माणाधीन मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा नही होती। पहले मोदी जी खुद यजमान बना गए थे लेकिन जब पत्नी की बात आई तो पीछे हटना पड़ा। निर्मोही अखाड़े के पूजा का अधिकार भी छीन कर वीएचपी के चंपत राय के चयनित स्वयं सेवकों को दे दिया है। ये अधर्मी है धर्म विरोधी है। हमे सनातन विरोधी कहते है मैने नर्मदा परिक्रमा पैदल की है। मंदिर निर्माण का कार्य पूरा होने पर हम जायेंगे। हमे किसी आमंत्रण की जरूरत नही है।

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