मध्य प्रदेशरीवा

Health News: सरकारी अस्पतालों में डॉक्टर नहीं लगा रहे सार्थक ऐप पर हाजिरी

मनमानी पर लगाम लगाने बनाई व्यवस्था, नहीं हुआ पालन

रीवा। डॉक्टरों के समय पर अस्पताल आने-जाने की निगरानी के लिए ‘सार्थक’ ऐप की व्यवस्था 12 माह बाद भी सिर्फ नाम के लिए चल रही है इसकी बड़ी वजह सीएमएचओ, सिविल सर्जन से लेकर बड़े अधिकारियों की ढिलाई है। स्वास्थ्य संचालनालय ने निगरानी की जिम्मेदारी जिलों में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी सीएमएचओ और सिविल सर्जन को दी थी, पर वह यह व्यवस्था लागू नहीं करा पाए हैं।

जिला स्तर पर 12 माह बीत जाने के बाद भी अब तक चिकित्सकों ने हाजरी भरना नहीं शुरू किया है, जबकि चिकित्सक सहित अन्य स्टॉफ इस व्यवस्था के अनुसार काम करने लगे तो उनकी मनमानी पर रोक लग सकती है। जिम्मेदारों ने स्थानीय स्तर पर सख्ती नहीं की। ऐसे में देर से आने-जाने वाले डॉक्टरों को मौका मिल गया।

कुछ डॉक्टर ही सार्थक पोर्टल पर उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं। मप्र चिकित्सा अधिकारी संघ व तृतीय श्रेणी कर्मचारियों के सगंठन भी सार्थक ऐप का शुरू से विरोध कर रहे हैं। इसके पहले स्वास्थ्य विभाग में बायोमैट्रिक से उपस्थिति का प्रयास भी विफल हो गया है। ग्रामीण अंचल पर सबसे ज्यादा मनमानी की जा रही है। आए दिन स्वास्थ्य केन्द्रों में ताला बंद के मामले सामने आ ही जाते हैं। बीच में सीएमएचओ भी निरीक्षण में निकले तो ताला बंद मिला।

लगातार हो रहा विरोध
बता दें कि चिकित्सकों सहित अन्य स्वास्थ्य विभाग के स्टॉफ द्वारा बनाए गए संघों द्वारा शुरुआत से ही इसका विरोध किया जा रहा है, उनका तर्क है कि चिकित्सकों का कोई निर्धारित समय नहीं रहता कि उन्हें कब ड्यूटी करनी पड़ेगी, इसके हिसाब से सार्थक ऐप में वह कैसे हाजरी भर सकेंगे। इसी प्रकार अन्य स्टॉफ भी अलग-अलग तर्क दे रहे हैं।

मरीजों को मिले राहत
बता दें कि स्वास्थ्य विभाग की इस व्यवस्था पर अमल हो जाए तो इसका सबसे ज्यादा लाभ मरीजों को मिलेगा। जिले के शासकीय अस्पतालों में चिकित्सकों की मनमानी से मरीजों को परेशान होना पड़ता है, वह मनमानी अपने समय के अनुसार आते हैं और जब मन हुआ चले भी जाते हैं, इसकी सबसे बड़ी वजह उनकी प्राइवेट सेवाएं हैं। हालांकि जिम्मेदारों का तर्क है कि वह आदेश- निर्देश जारी कर रहे लेकिन चिकित्सक उस पर अमल नहीं कर रहे हैं।

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