अग्निकांड के बाद एमवाय अस्पताल की मर्च्यूरी में सुबह से शाम तक उमड़ता रहा दर्द का सैलाब
इंदौर: मृतक ईश्वर सिंह और नीतू सिसौदिया के परिजन सुबह से ही यहां मौजूद थे। सुबह करीब 6.30 बजे एमवायएच की सूचना के बाद विजय नगर थाने के दो पुलिसकर्मी पहुंचे। उस समय तक घायलों के अलावा दो मृतकों के नाम ही मिले थे। बाद में तीन और मृतकों की पहचान आशीष, आकांक्षा और गौरव के रूप में हुई।
हालांकि इसमें से भी केवल आशीष का छोटा भाई वासु राठौर ही एमवाय पहुंचा था। आकांक्षा और गौरव के परिजन को तो इसकी जानकारी तक नहीं थी। दो मृतकों की पहचान नहीं हो पाई थी। सुबह लगभग 10.42 बजे विजयनगर थाने से एक एसआइ एमवाय अस्पताल पहुंचे। उन्होंने पोस्टमॉर्टम के लिए कागजी कार्रवाई शुरू करवाई। केवल ईश्वर और नीतू के परिजन के ही मौजूद रहने के कारण उनकी कार्रवाई पूरी हो पाई। इसके बाद लगभग एक बजे उनके शव रवाना किए।
तय नहीं कर पा रहे थे समीर की लाश है या नहीं
दोपहर सवा दो बजे के लगभग दो अज्ञात की पहचान के लिए दो और परिवार के लोग पहुंचे थे। इनमें से एक की पहचान देवेंद्र सालवे और दूसरे की पहचान समीर तोमर के रूप में की गई। ग्वालियर निवासी समीर के परिजन वीरेंद्र कुमार शर्मा ने कहा कि शव देखकर तय नहीं कर पा रहे हैं कि यह समीर ही है।
गौरव के यहां आया था भाई देवेंद्र
बैतुल निवासी देवेंद्र सालवे की बहन प्रार्थना खुद को संभाल भी नहीं पा रही थी। वह रोती रही और दोस्त उसे संभालते रहे। बहन बिलखते हुए कहने लगी, मुझे मेरा भाई वापस लाकर दे दो। मैं उसके बिना नहीं रह पाऊंगी। वह मेरे लिए ही इंदौर आया था। दोस्तों ने बताया कि 1-2 दिन में वह यहां से वापस जाने वाले थे।
चादर में लपेटकर ले गए शव और घायलों को
विजय नगर टीआइ तहजीब काजी के मुताबिक, मौके पर पहुंचे तो बिल्डिंग धधक रही थी। बिल्डिंग से कूदे घायलों को अस्पताल पहुंचाया। फायर ब्रिगेड के वाहनों को सड़क पर पार्क गाड़ियों के कारण मौके तक पहुंचने में दिक्कत आई। जैसे-तैसे रास्ता बनाया और आग बुझाई। इसके बाद पुलिस व फायर ब्रिगेड के कर्मचारी अंदर घुसे। 2-3 लोग लड़खड़ाते हुए बाहर आए। तल मंजिल के कमरे से दंपती को बाहर निकाला। दम घुटने से उनकी हालत खराब थी। ऊपर टॉवर तक पहुंचे तो वहां एक व्यक्ति गिरा मिला। सांस नहीं चल रही थी। आसपास के घरों से चादर बुलाकर उसे चादर में लपेटकर नीचे उतारा। उसके नीचे के फ्लोर पर एक युवती व एक युवक मिलेे, उन्हें भी चादर में लपेटकर उतारा और अस्पताल पहुंचाया। अस्पताल पहुंचने पर सात लोगों की मौत हो गई।
वरिष्ठ अधिकारी पहुंचे
पुलिस कमिश्नर हरिनारायणाचारी मिश्र, डीसीपी जोन 2 संपत उपाध्याय, एडिशनल डीसीपी राजेश व्यास, एडीएम पवन जैन, एसडीएम अंशुल खरे भी मौके पर पहुंचे। एफएसएल विशेषज्ञ डॉ. बीएल मंडलोई, बिजली कंपनी के कार्यपालन यंत्री योगेश अठनेरे, सहायक यंत्री उमेश सिंह व शंभु सिंह, पीडब्ल्यूडी की एसडीओ चेतना की टीम ने तकनीकी जांच की। बिल्डिंग मालिक पटेल परिवार के घर में लगे सीसीटीवी कैमरे के डीवीआर को पुलिस ने सुबह ही जब्त कर लिया था। बिल्डिंग इंसाफ पटेल की है, जिनका घर सामने ही है।
अग्निकांड वाली बिल्डिंग के सामने ईश्वर और नीतू सिसौदिया का घर है। वहां निर्माण कार्य चल रहा था और इसी के चलते ईश्वर और नीतू बिल्डिंग में किराये से रह रहे थे। वे सिर्फ रात में सोने के लिए जाते थे।
हादसे वाली रात भी दोनों सोने के लिए गए थे। ईश्वर सिंह और उनकी पत्नी के शव जब एम्बुलेंस से वापस स्वर्ण बाग स्थित उनके घर पहुंचे तो परिजन बिलख पड़े। बेटे-बहू को खोने के बाद मां की आंखें पथरा गईं। बहन विलाप करने लगीं। भाई शव देख बदहवास हो गया। जैसे ही अर्थियां उठी तो स्वर्णबाग में महिलाओं की रुदन गूंजने लगा। क्षेत्र की हर आंख नम थी।
घायलों का इलाज
विनोद सोलंकी : विदिशा निवासी 30 वर्षीय विनोद ओला में ड्राइवर हैं और आशीष के साथ कमरा शेयर करते थे। आग लगने पर वे कमरे से भागकर छत की ओर दौड़े। इस दौरान आग की चपेट में आ गए। उनके पैर और हाथ जल गए हैं। छत से पास के मकान पर कूदकर जान बचाई। एमवायएच की बर्न यूनिट में भर्ती हैं।
मुनीरा मलिक : उज्जैन की रहने वाली 25 साल की मुनीरा एमवायएच के बर्न यूनिट में इलाज करा रही हैं। वह कॉल सेंटर में काम करती हैं। उज्जैन से बीसीए की पढ़ाई भी कर रही हैं। आग लगने के समय वह पहली मंजिल पर थीं। आग भड़की तो जैसे-तैसे कमरे से निकलकर बालकनी तक पहुंची। यहां पास के मकान में रहने वालों ने उन्हें अपनी बालकनी में खींच लिया।
सोनाली पंवार : 21 साल की सोनाली मूलत: नागदा की रहने वाली हैं। सोनाली इंदौर में एक कॉल सेंटर में काम करती हैं। मकान की पहली मंजिल पर रहने वाली सोनाली खिड़की तोड़कर बाहर निकली थीं। हालांकि वह आग की चपेट में नहीं आईं, लेकिन धुएं से स्वास्थ्य पर असर पड़ा है। एमवायएच में भर्ती हैं।
अरशद खान : 22 वर्षीय अरशद खान पहली मंजिल पर रहते हैं। खिड़की तोड़कर बाहर निकले। ये भी आग से तो बच गए, लेकिन धुएं से उन्हें सांस लेने में परेशानी होने लगी। एमवायएच में भर्ती हैं।
तुषार प्रजापति : आशीष के साथ 30 वर्षीय तुषार एक ही कमरे में रहते थे, लेकिन शुक्रवार रात वह छत पर सोए थे। जब विनोद वहां आया तो आग की जानकारी लगी। इसके बाद वे पास की छत पर कूदे, लेकिन गिरने के कारण उसके पैर और पीठ में चोट आई है। एमवायएच में इलाज जारी है।