इंदौरमध्य प्रदेश

एकतरफा प्यार में सिरफिरे आशिक की करतूत

इंदौर : आरोपी संजय पहले इसी भवन में रहता था। वहां रहने वाली युवती से दोस्ती हुई। 6 माह पहले विवाद होने पर चला गया। युवती की शादी कहीं और तय हुई तो उसे परेशान करने लगा। मंगेतर से भी उलझा। हादसे से कुछ घंटे पहले उसने युवती को सबक सिखाने की धमकी दी और रात में दोपहिया वाहन में आग लगा दी। विजयनगर पुलिस ने संजय पर हत्या के मामले में केस दर्ज किया है। उस पर 30 हजार का इनाम घोषित किया गया है।

आग में मृत लोगों में ईश्वरसिंह सिसौदिया व उनकी पत्नी नीतू भी हैं। जहां आग लगी उसके सामने सिसौदिया परिवार का मकान है। मकान में निर्माण चल रहा है, जिसके कारण 2-3 महीने से वे सामने पटेल परिवार के मकान में किराए के कमरे में रह रहे थे। वे रात में सोने के लिए आते थे। शरीर पर झुलसने के निशान नहीं हैं, उन्हें लोगों ने बाहर निकालकर पानी भी पिलाया, लेकिन अस्पताल में मौत हो गई। भाई भेरूसिंह ने बताया, रात में करीब 10 बजे भैया-भाभी सामने वाले कमरे में चले गए। देर रात अचानक चीख पुकार से नींद खुली। बाहर आए तो देखा आग बढ़ रही थी। भाई-भाभी तल मंजिल के कमरे में थे। उन्हें बचाने गए तो कमरे के सामने बहुत सी गाड़ियां खड़ी थी। अंदर जाना मुश्किल था। हमने और आसपास के लोगों ने बोरिंग शुरू कर पानी डालना शुरू किया। जब आग कम हुई तो मैं सीधे भाई और भाभी के कमरे में पहुंचा। वहां सब ओर धुआं था। मैं अंधेरे में दोनों को ढूंढ़ रहा था कि अचानक मेरे पैर के नीचे कुछ लगा। देखा तो पैर भाई के ऊपर था। हमने भैया-भाभी को निकाला। उन्हें लेकर निजी अस्पताल भागे लेकिन डॉक्टर्स ने मृत घोषित कर दिया।

जाको राखे साइयां

मकान मालिक ने बचाई मेरी जान…

घायल मुनीरा ने बताया, रात में 3.30 बजे जब मेरा दम घुटने लगा तो नींद खुली। कमरे में लपटें उठ रही थीं। मैं बालकनी तक पहुंची। पास के मकान की बालकनी पर मकान मालिक पटेल थे। उन्होंने मुझे पास की बालकनी में आने को कहा, मैं पहुंची तो खींच लिया।

ईश्वर परिजन को यह दु:ख सहन करने की शक्ति दे। मृतकों के परिजन को 4-4 लाख रुपए दिए जाएंगे। घटना की जांच के आदेश दिए हैं। लापरवाही पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।शिवराज सिंह चौहान, मुख्यमंत्री

तुषार बोला दरवाजा नहीं टूटा तो छत से कूदा
घायल तुषार ने बताया, आंकाक्षा (मृत) का कुछ दिन पहले जन्मदिन था। शुक्रवार रात हमने उसकी पार्टी की। केक काटने के बाद रात दो बजे मैं छत पर आ गया। कमरे के पीछे के हिस्से में आशीष और आकांक्षा थे और आगे विनोद सो रहा था। तीन बजे के लगभग सीढियों के पास आग लग गई। विनोद दौड़ते हुए ऊपर आया। मैंने दरवाजा खोला तो साथ में आग की लपटें भी निकल रही थीं। नीचे जाने की जगह नहीं दिखी तो मैंने, विनोद और विनित ने पास की छत पर कूदने की कोशिश की। इसमें मैं गिर गया। मेरी पीठ और पैर में चोट आई है।

आग देख नींद खुली और छत की ओर भागा
घायल विनोद सोलंकी ने बताया, मैं दूसरी मंजिल पर अपने कमरे में सो रहा था। रात में अचानक धुएं के कारण दम घुटने लगा। आग दिखी तो मैं कमरे से बाहर आया। बाहर की ओर भागा जहां सब ओर लपटें थीं। मैं सीधा छत की ओर भागा। नीचे से आग की लपटें ऊपर तक आ रही थी। गर्मी और धुएं में कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था। मैं जैसे तैसे सीढ़ियों से छत पर पहुंचा। दरवाजा बंद था। मैंने लात मारकर खोलने की कोशिश की, लेकिन वह नहीं खुला। तभी तुषार ने दरवाजा खोला तब तक मेरे कपड़े जल गए थे। मैं वैसे ही सीधे पास की छत पर कूदा, लेकिन नीचे गिर पड़ा।

जहां हादसा हुआ उसी बिल्डिंग के सामने भेरूसिंह रहते हैं। उन्होंने बताया, उनके घर के ऊपरी कमरे में जहां भाई और भाभी रहते थे वहां छत का काम चल रहा है। इसलिए एक माह पहले ही कमरा किराये पर लिया था। रात में लगभग 10 बजे वे दोनों सामने वाले कमरे में चले गए। देर रात अचानक चीख पुकार से हमारी नींद खुली। बाहर आए तो देखा आग बढ़ रही थी। भाई-भाभी तल मंजिल के कमरे में थे। उन्हें बचाने गए तो कमरे के सामने बहुत सी गाड़ियां खड़ी थी। उनके कारण मैन गेट पर जाना मुश्किल था। हमने फायर बिग्रेड को भी फोन लगाया और पानी डालकर आग बुझाने की कोशिश की। हमने और आसपास के लोगों ने बोरिंग शुरू कर पानी डालना शुरू किया। जब आग कम हुई तो मैं सीधे भाई और भाभी के कमरे में पहुंचा। वहां सब ओर धुआं था। मैं अंधेरे में दोनों को ढूंढ़ रहा था कि अचानक मेरे पैर के नीचे कुछ लगा। देखा तो पैर भाई के ऊपर था। मैंने आवाज लगाकर लोगों को अंदर बुलाया। हमने भैया-भाभी को निकाला। उन्हें लेकर निजी अस्पताल भागे लेकिन डॉक्टर्स ने एमवायएच ले जाने का कह दिया। वहां गए तो डॉक्टर्स ने बोला कि दोनों नहीं रहे। हमारा तो पूरा घर बर्बाद हो गया। मेरा भाई ही हमारे घर का सहारा था। पूरे घर का दारोमदार उस पर था।

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