मध्य प्रदेश

माँ ने तिलक लगा कर घर से किया था विदा , तिरंगे में लिपटकर घर लौटा 22 साल का बेटा

मध्यप्रदेश के रतलाम का एक लाल देश की सेवा करते हुए शहीद हो गया। रतलाम के मावता गांव के निवासी लोकेश कुमावत इंफाल में उग्रवादियों के साथ हुई गोलीबारी में शहीद हो गए हैं। रिपोर्ट की माने तो लोकेश का पार्थिव शरीर शुक्रवार को गांव पहुंच चुका है।लोकेश की उम्र महेश 22 साल थी। उनके शहीद होने की सूचना यूनिट के मेजर ने परिजनों को दी। इसके बाद से ही गांव में गमगीन माहौल है।

रिपोर्ट की मानें तो लोकेश कुमावत साल 2019 में ही सेना में शामिल हुए थे। उन्होंने हैदराबाद में ट्रेनिंग ली जिसके बाद उन्हें मणिपुर में पहली पोस्टिंग मिली। मणिपुर में वह इंफाल में पदस्थ थे। कहा जा रहा है कि लोकेश कुमावत कुछ महीने पहले ही छुट्टी पर घर आए हुए थे तब गांव वालों ने उनका धूमधाम से स्वागत किया था जिसके कुछ वीडियो और तस्वीरें भी खूब वायरल हुए थे। लेकिन अब गांव के सपूत के शहीद होने से पूरा गांव शोक में डूबा हुआ है।

बता दें, लोकेश कुमावत के शहीद होने पर प्रदेश के राज्यपाल मंगू भाई पटेल ने भी शोक व्यक्त किया है। श्री पटेल ने कहा कि, “ईश्वर से प्रार्थना है कि वीर सपूत की दिवंगत आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान एवं परिजनों को यह दु:ख सहने की शक्ति प्रदान करें।

ॐ शांति!” वहीं लोकेश के परिजन इंदौर एयरपोर्ट पर पार्थिव शरीर लेने पहुंचे थे। कहा जा रहा है कि लोकेश के परिवार में उसके माता-पिता सहित एक छोटा भाई विशाल है। लोकेश के माता-पिता खेती का काम करते हैं। कहा जा रहा है कि, लोकेश की मां अस्वस्थ है जिसके चलते उन्हें लोकेश की अंतिम विदाई का समाचार भी नहीं दिया गया। शहीद के घर पर आसपास के ग्रामीणों की भीड़ जमा हो गई है। देश भक्ति के नारों के साथ शहीद लोकेश कुमावत को अंतिम विदाई दी गई।

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि, रतलाम के कई जवान है जो देश की सेवा में जुटे हुए हैं। जी हां.. रतलाम के सिर्फ गुणावद गांव से ही 18 जवान बीएसएफ और सीआरपीएफ में अपनी सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। पिछले महीने ही रतलाम के गुणावद गांव के ही सपूत कन्हैया ड्यूटी के दौरान हुए हादसे में शहीद हो गए।

इसके बाद गुणावद में ही पूरे सैन्य सम्मान के साथ जवान का अंतिम संस्कार किया गया था। रिपोर्ट के अनुसार कन्हैया लाल सीएमपी यूनिट में सिक्किम में तैनात थे, इसी दौरान उन्हें इलेक्ट्रिक शॉक लग गया था।

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