भोपालमध्य प्रदेश

प्रदेश के 28 हजार डॉक्टरों की डॉक्टरी पर खतरा, निरस्त हो सकते हैं पंजीयन

प्रदेश के करीब 28 हजार से ज्यादा डॉक्टरों की डॉक्टरी पर खतरा मंडरा रहा है, इन डॉक्टरों के रजिस्ट्रेशन रद्द हो सकते हैं। मप्र मेेडिकल काउंसिल री रजिस्ट्रेशन न कराने वाले डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई करने का विचार कर रही है। हालांकि इसके पहले डॉक्टरों को री रजिस्ट्रेशन का एक मौका और दिया जाएगा। री-रजिस्ट्रेशन के लिए अंतिम तिथि 15 दिन आगे बढ़ाई जा रही है। यही नहीं बाद में इस पर शुल्क लेने पर विचार किया जा रहा है। इसके बावजूद जो डॉक्टर री रजिस्ट्रेशन नहीं करवाएंगे उनके रजिस्ट्रेशन निरस्त किए जा सकते हैं।

दरअसल, काउंसिल ने मप्र में डॉक्टरों की असल संख्या जानने के लिए री रजिस्ट्रेशन कराने के निर्देश जारी किए थे। अब तक करीब 17000 डॉक्टरों ने ही री-रजिस्ट्रेशन कराया है। वहीं पुराने दस्तावेजों के मुताबिक मप्र में रजिस्टर्ड डॉक्टरों की संख्या 45 हजार से 57 हजार तक आंकी जाती है। हालांकि कई डॉक्टरों का निधन हो गया तो कई दूसरे राज्य या देश चले गए। वहीं छत्तीसगढ़ राज्य अलग होने के बाद कई डॉक्टर वहां चले गए लेकिन किसी का रजिस्ट्रेशन समाप्त नहीं हुआ। यही कारण है कि काउंसिल प्रदेश में डॉक्टरों की असल संख्या जानने के लिए री रजिस्ट्रेशन करा रही है।

बिना एनओसी नहीं जा सकते बाहर

काउंसिल से जुडे़ कर्मचारियों की मानें तो मप्र में रजिस्टर्ड कोई भी डॉक्टर जब बाहर जाता है तो उन्हें मप्र मेडिकल काउंसिल से एनओसी लेनी होती है। इन एनओसी के माध्यम से अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रदेश में कितने डॉक्टर मौजूद हैं लेकिन काउंसिल के पास यह रिकॉर्ड नहीं है। यही कारण है कि काउंसिल अब री रजिस्ट्रेशन के निर्देश दे रही है।

अब यह होे रही तैयारी
काउंसिल से मिली जानकारी के मुताबिक डॉक्टरों को री- रजिस्ट्रेशन के लिए एक मौका और दिया जाएगा। इसके बाद रजिस्ट्रेशन के लिए शुल्क भी लिया जाएगा। अभी री रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया निशुल्क है। इन सबके बावजूद री-रजिस्ट्रेशन नहीं होते हैं तो काउंसिल को री-रजिस्ट्रेशन न कराने वाले डॉक्टरों के पंजीयन निरस्त करने के पहले अधिसूचना जारी करनी होगी।
जिन्होंने री-रजिस्ट्रेशन कराया उन्हें नहीं मिला सर्टिफिकेट: एक ओर काउंसिल डॉक्टरों पर री-रजिस्ट्रेशन का दवाब बना रहा है, वहीं री-रजिस्ट्रेशन करा चुके डॉक्टर काउंसिल के कामकाज पर उंगली उठा रहे हैं। डॉक्टरों का आरोप है कि उन्हें री- रजिस्ट्रेशन कराए महीना बीत चुका है लेकिन न तो कोई सर्टिफिकेट मिला न ही अन्य दस्तावेज। ऐसे में उन्हें पता ही नहीं कि उनका री-रजिस्ट्रेशन हुआ है की नहीं।

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