पंचायतों में चुनाव खर्च की सीमा नहीं, नगरीय निकायों में शिकंज
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भोपाल. पंचायत चुनाव में प्रत्याशी जमकर पैसे खर्च कर सकते हैं। सरकार ने पंचायतों में खर्च की कोई सीमा तय नहीं की है। इससे आयोग भी प्रत्याशियों के चुनावी खर्च पर सीधे तौर पर नियंत्रण नहीं कर सकता है। हालांकि ये चुनाव दलगत नहीं होते हैं। दूसरी ओर निकाय चुनाव में पार्षद और महापौर के लिए खर्च की राशि तय कर दी गई है। जिला जनपद सदस्य से लेकर पंच पद के प्रत्याशी चुनाव प्रचार, झंडे, बैनर, रैली, मतदाताओं और समर्थकों पर जमकर खर्च कर सकते हैं। प्रत्याशियों को इस संबंध में कलेक्टरों और निर्वाचन अधिकारियों को लेखा-जोखा भी नहीं देना पड़ेगा। सरपंच से लेकर जिला पंचायत के चुनाव अब महत्वपूर्ण हो गए हैं। जिला पंचायत सदस्य का क्षेत्र में विधायकों से कम प्रभाव नहीं होता है। उनके क्षेत्र में विकास कार्यों के लिए राशि विधायकों के लगभग बराबर ही दी जाती है। इन चुनावों को जीतने के लिए प्रत्याशी लाखों, करोड़ों खर्च करते हैं। इस बार पंचायतों के तीनों चरणों के नामांकन एक साथ भरे जा रहे हैं, जबकि मतदान अलग-अलग तारीखों में होंगे। ऐसे में दूसरे और तीसरे चरण के प्रत्याशियों को चुनाव में जमकर खर्च करने का मौका मिलेगा। हालांकि प्रत्याशी मतदाताओं को प्रलोभन, पैसा या सामग्री देता है तो उस पर चुनाव आचार संहिता के तहत कार्रवाई होगी। शराब वितरण पर पुलिस की नजर रहती है।
भारत निर्वाचन आयोग ने विधानसभा चुनाव की खर्च सीमा 30.80 और लोकसभा में 77 लाख रुपए तय की है। इसके अलावा महंगाई को देखते हुए आयोग खर्च की राशि को समय-समय पर रिवाइज भी करता है। यहां तक कि राज्य सरकार ने पार्षद-महापौर के चुनावों के लिए भी खर्च की सीमा तय कर रखी है। पार्षदों के खर्च की सीमा ढाई लाख से लेकर 75 हजार तक होगी। वहीं महापौर के लिए 35 लाख तक रखी है।
ये भी हैं निर्देश
● प्रचार में राजनीतिक दल, संस्था, व्यक्ति बिना अनुमति तीन से अधिक गाड़ियों का इस्तेमाल नहीं करेंगे।
● लाउड स्पीकर के लिए अनुमति लेनी होगी।
● आपत्तिजनक नारे नहीं लगाएंगे।
● सभा, रैली, जुलूस बिना अनुमति नहीं होंगे।
● शैक्षणिक संस्थान, शासकीय कार्यालय परिसरों, रेस्ट हाउस में सभा, चुनावी कार्यक्रम नहीं होंगे।
● शस्त्र-लाठी नहीं रख सकेंगे।