भोपालमध्य प्रदेश

MP Cabinet Expansion: कद्दावर नेताओं को नहीं मिला स्थान, विधायक के रूप में ही काम करेंगे

शिवराज सिंह के करीबी समेत नौ बार के विधायक गोपाल भार्गव का भी पत्ता कटा; जयंत मलैया, भूपचंद हसले जैसे चर्चित चेहरे भी हो गए नदारद

MP Cabinet Expansion: मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के मंत्रिमंडल के मंत्रियों का शपथ ग्रहण संपन्न हो गया है। राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने 28 विधायकों को मंत्री पद की शपथ दिलाई। राज्यपाल को भेजी गई सूची में कई पूर्व मंत्री व दिग्गज विधायकों के नाम कट गए हैं। इनमें वे कद्दावर नेता जो मंत्रिमंडल में स्थान भी नहीं बना पाए, इनमें से कुछ तो भावी मुख्यमंत्री के रूप में देख रहे थे। गोपाल भार्गव ने सीएम बनने के लिए माहौल भी बनाया था वहीं ओबीसी वर्ग से भूपेंद्र सिंह भी लाइन में थे। हालांकि इनके सपने चकनाचूर हो गए।

बताया गया कि मुख्यमंत्री मोहन यादव की कैबिनेट में शिवराज सरकार में मंत्री रहे 10 चेहरों को बाहर कर दिया गया है। इनमें शिवराज सरकार में प्रभावशाली मंत्री रहे गोपाल सिंह भार्गव, भूपेंद्र सिंह, पूर्व विस अध्यक्ष गिरीश गौतम, सिंधिया समर्थक डॉ. प्रभुराम चौधरी, बृजेंद्र सिंह यादव, पूर्व सीएम वीरेंद्र सकलेचा के बेटे ओमप्रकाश सकलेचा, आदिवासी नेता बिसाहूलाल सिंह, मीना सिंह, सिख समाज का प्रतिनिधित्व करने वाले हरदीप सिंह डंग और ऊषा ठाकुर जैसे नाम शामिल हैं।

वहीं मंत्री बनने वाले दूर के विधायकों को रात में और पास के एमएलए को सोमवार सुबह 9 बजे के बाद सूचना दे दी गई है। इसके बाद मंत्री बनने वाले सभी विधायक भोपाल रवाना हो गए थे। इधर पूर्व सांसद रीति पाठक, पूर्व विस अध्यक्ष गिरीश गौतम, संजय पाठक, दिव्यराज सिंह, विक्रम सिंह, रामेश्वर शर्मा, मालिनी गौड़, उषा ठाकुर जैसे चर्चित नामों को मोहन मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली है। इन्हें मंत्री पद से वंचित रहना पड़ा। इनके समर्थक कई दिनों से सोशल मीडिया पर इन्हें मंत्री बनाने की मांग कर रहे थे। वहीं भार्गव प्रोटेम स्पीकर बने थे।

पूर्व सांसद रीति पाठक को जगह नहीं मिली

पूर्व सांसद रीति पाठक को जगह नहीं मिली

भाजपा ने जिन सांसदों को विधानसभा चुनाव में उतारा था। उनमें प्रहलाद पटेल, उदय राव सिंह, राकेश सिंह, रीति पाठक, नरेंद्र सिंह तोमर जीते थे। माना जा रहा था कि इन्हें मंत्रिमंडल में शामिल किया जाएगा। इनमें रीति पाठक को इसमें शामिल नहीं किया गया।

सबसे सीनियर विधायक मायूस

गोपाल भार्गव

मध्य प्रदेश के सबसे सीनियर विधायक और वर्तमान विधानसभा के प्रोटेम स्पीकर गोपाल भार्गव को भी इस बार निराशा हाथ लगी है, हालाकि जब उन्हें प्रोटेम स्पीकर का पद दिया गया था तभी से माना जा रहा था कि उनका मंत्रिमंडल में शामिल हो पाना मुश्किल नजर आ रहा है, ठीक वैसा हीं हुआ है।

पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह का भी कटा पत्ता

भूपेंद्र सिंह

खुरई विधानसभा से विधायक भूपेंद्र सिंह को भी मंत्री-मंडल में शामिल नहीं किया गया है। भूपेंद्र सिंह पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान सरकार में गृह, परिवहन और नगरीय विकास एवं आवास मंत्री रह चुके हैं।

खनिज मंत्री रहते चहेतों पर कृपा के कारण इमेज प्रभावित

बृजेंद्र प्रताप सिंह पन्ना से विधायक

बृजेंद्र प्रताप सिंह पन्ना से विधायक और पिछली सरकार में खनिज मंत्री थे। चार बार के विधायक रहे। खनिज मंत्री रहते रिश्तेदार और चहेते लोगों के खिलाफ कई शिकायतें संगठन तक पहुंची थी, जिस कारण उनकी इमेज प्रभावित हुई। सामान्य क्षत्रिय समाज से आते हैं, इस कारण जातिगत समीकरण भी इस बार इनके पक्ष में नहीं रहे।

शिवराज के करीबी होने का नुकसान भी उठाना पड़ा। मानपुर विधानसभा से पांचवीं बार की विधायक मीना सिंह पिछली सरकार में मंत्री थीं। आदिवासी एवं महिला कोटे से मौका मिला था। इस बार पार्टी ने उनकी बजाय मंडला से पूर्व राज्यसभा सांसद संपतिया उइके को मंत्री बनाया। मीना सिंह पर भ्रष्टाचार के आरोप थे, इसलिए आदिवासी कोटे से दूसरा चेहरा चुना गया।

वहीं सुवासरा से चार बार के विधायक हरदीप सिंह डंग को पिछली बार मंत्री बनने का मौका मिला था। मालवा-निमाड़ से सीएम, डिप्टी सीएम के अलावा 7 विधायक मंत्री बन चुके हैं। डंग शिवराज के नजदीकी रहे, संगठन से तालमेल नहीं बन पा रहा था, जिस कारण भी बाहर रहना पड़ा।

ओमप्रकाश सखलेचा परफॉर्मेंस और क्षेत्रीय समीकरण में पिछड़े
जावद से पांचवीं बार विधायक ओमप्रकाश सखलेचा पूर्व सीएम वीरेंद्र सखलेचा के बेटे हैं। पिछली सरकार में मंत्री थे। जैन समाज से आते हैं। मालवा में पहले ही सबसे अधिक प्रतिनिधित्व हो चुका था। शिवराज कैबिनेट में एमएसएमई मंत्री रहते हुए इनका परफॉर्मेंस भी अच्छा नहीं रहा।
वहीं बिसाहूलाल सिंह बड़े आदिवासी नेता हैं। 7वीं बार विधायक बने। उम्र 73 साल हो चुकी है, यही मंत्रिमंडल से बाहर होने की वजह बनी। पूर्व में महिलाओं पर उनके विवादित बयानों से पार्टी को मुश्किलों का सामना करना पड़ा था। आदिवासी कोटे से 4 मंत्री बनाने के बाद जगह भी नहीं बन रही थी।

जातीय समीकरण के चलते बाहर हुए
बृजेंद्र मुंगावली विधानसभा सीट से लगातार तीसरी बार जीते। सिंधिया समर्थक हैं। पिछली बार राज्यमंत्री बनाए गए थे। 5वीं पास बृजेंद्र यादव जातीय समीकरण के चलते बाहर हो गए। वे ओबीसी की यादव जाति से हैं। सीएम मोहन यादव के बाद कृष्णा गौर भी यादव समाज से ही आती हैं। ऐसे में तीसरा यादव एडजस्ट करना मुश्किल हो रहा था। वहीं कई दिग्गज विधायक भी मंत्री बनने के लिए पूरा जोर लगा रहे थे, लेकिन उनका मंत्री बनने का सपना पूरा नहीं हो पाया।

डॉ. प्रभुराम चौधरीः तबादलों से सुर्खियों में रहे
सांची से विधायक डॉ. प्रभुराम चौधरी सिंधिया समर्थक हैं। पिछली बार कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे। उनके विभाग से संबंधित कई शिकायतें चर्चा में थी। उनके स्वास्थ्य मंत्री रहते तबादलों की खूब चर्चा हुई। इनके बंगले के बाहर पर्चे लगाए गए थे- बिकाऊ लाल चौधरी…। परफार्मेंस भी उल्लेखनीय नहीं रहा। अब आगे फिलहाल कोई बड़ी जिम्मेदारी मिलने की उम्मीद नहीं।

मोहन कैबिनेट में शामिल हैं ये 28 नाम
कैबिनेट मंत्री
प्रद्युम्न सिंह तोमर
तुलसी सिलावट
एंदल सिंह कंसाना
नारायण सिंह कुशवाहा
विजय शाह
राकेश सिंह
प्रह्लाद पटेल
राकेश शुक्ला
चैतन्य कश्यप
कैलाश विजयवर्गीय
करण सिंह वर्मा
संपतिया उईके
उदय प्रताप सिंह
निर्मला भूरिया
विश्वास सारंग
गोविंद सिंह राजपूत
इंदर सिंह परमार
नागर सिंह चौहान

राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार)
कृष्णा गौर
धर्मेंद्र भाव सिंह लोधी
दिलीप जायसवाल
गौतम टेटवाल
लेखन पटेल
नारायण पवार

राज्य मंत्री
राधा सिंह
प्रतिमा बागरी
दिलीप अहिरवार
नरेन्द्र शिवाजी पटेल

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