रीवा

रीवा में अवैध वसूली के घेरे में आये RTO उडऩदस्ता समेत 4 लोग

कलेक्टर के निर्देश पर एसडीएम वैशाली की रतहरा बाईपास में दबिश

रीवा। जिला कलेक्टर के निर्देश पर एसडीएम हुजूर सुश्री वैशाली जैन द्वारा बुधवार को रतहरा बाईपास का औचक निरीक्षण किया गया जहां गुजरने वाले भार वाहनों से अवैध वसूली करते हुए चार लोग मिले जिनके विरुद्ध कार्यवाही के लिए मामला सिटी कोतवाली पुलिस को सौंप दिया गया है।

अवैध वसूली के लिये जिस स्कार्पियो वाहन का इस्तेमाल किया गया था उसे भी पुलिस के हवाले कर दिया गया है। सफेद रंग के स्कार्पियो वाहन जिसकी नंबर प्लेट पर वाहन क्र. 17 सीडी 3999 के साथ-साथ आरटीओ संभागीय परिवहन सुरक्षा स्कॉड रीवा संभाग रीवा लिखा हुआ है। एसडीएम के निरीक्षण के वक्त मौके पर जो चार व्यक्ति कथित अवैध वसूली में रत रहे हैं उनमें से एक वर्दी में था और तीन गैर वर्दी में थे।

आरटीओ उडऩदस्ते को बाईपास में खड़ा कर वाहनों से वसूली करते पाये गये लोगों से दो रसीदी कट्टी की जप्ती भी होने की खबर है। बताया गया है कि कलेक्टर रीवा को रतहरा बाईपास में वाहनों से अवैध वसूली किये जाने की शिकायत प्राप्त हुई थी उसी आधार पर उन्होंने एसडीएम सुश्री वैशाली जैन को जांच करने के निर्देश दिये। आज सायं एसडीएम हुजूर की राजस्व अधिकारियों एवं पुलिस बल के साथ दबिश हो गई। जिन्होंने एसडीएम के तेवर भांप लिये वे पहले ही रफूचक्कर हो गये परंतु जिनके लिये राजमर्रा का विषय था वे जमे रहे।

एसडीएम सुश्री जैन द्वारा मौके पर मौजूद वाहन चालकों आदि का स्टेटमेंट्स भी लिया गया। ट्रक ड्रायवरों द्वारा माहवारी टोकन सिस्टम के मार्फत अवैध वसूली का वृतांत उन्हें बताया और सुनाया गया। जिन लोगों को वाहन समेत पुलिस को सौंपा गया है उनकी वैधता एवं अवैधता का परीक्षण पुलिस को करना है। गौरतलब है कि लंबे अंतराल से देखा जा रहा है कि आरटीओ आफिस से लेकर उडऩदस्ते तथा चेकपोस्टों में प्रायवेट लोग नियमित स्टाफ की भांति रहते हैं। इनके लिये किसकी सहमति है यह पृथक से जांच का विषय है।

शिकायत कोई नई बात नहीं
शहर के बाहर से गुजरने वाले हाइवे पर ट्रकों, लंबे रूट की बसों सहित अन्य वाहनों से लट्ठ लेकर वसूली की जाती है, ऐसी शिकायतें कोई नई बात नहीं है। अगर कुछ नया देखने-सुनने को मिला है तो वह है कलेक्टर के निर्देश पर एसडीएम की दबिश। वर्ना कहां- किसी को वाहनों से होने वाली अवैध वसूली दिखाई देती है? एसडीएम हुजूर के साथ दो नायब तहसीलदार भी उनकी टीम में शामिल थे।

सुर्खियों में खनिज अधिकारी की कार्यवाही
जिले के खनिज अधिकारी की रात्रिकालीन कार्यवाहियां भी सुर्खियां बटोर रही हैं। खनिज अधिकारी ने शासकीय वाहन चालक के स्थान पर प्रायवेट चालक को सेवा में ले रखा है। हो सकता है कि उन्हें सरकारी से ज्यादा प्रायवेट वाहन चालक पर भरोसा हो? बताते हैं कि उन्होंने सतना से चालक आयातित किया है। खनिज विभाग की कमान इन दिनों महिला अधिकारी के हाथों में है। जिनका रात्रिकालीन 10 से 2 बजे तक हांका चलता है।

खनिज के अवैध परिवहन तथा ओव्हरलोडिंग के नाम पर इनके द्वारा कार्यवाही कहीं की जाय परंतु अधिकतर वाहन विश्वविद्यालय थाने में ही खड़े कराये जाते हैं। चर्चा है कि रात्रिकालीन धरपकड़ दौरान अवैधानिक करार वाहन सुबह होने तक वैधता को प्राप्त कर जाते हैं। उन्हें वैधानिकता का प्रमाण पत्र भी राहत देकर प्रदाय कर दिया जाता है। सैकड़ों वाहनों पर कार्यवाही का प्रपंच रचा जा चुका है। कहा-सुना जा रहा है कि जिन वाहनों के मालिक संपर्क साधने में कामयाब हो जाते हैं उनको राहत मिलने के आसार गारंटी में तदील हो जाते हैं। खनिज अधिकारी की कार्यवाही जुबानी-जमा खर्च तक ही सीमित रहती है। सौदा समानजनक न होने पर ही कार्यवाही सरकारी रिकॉर्ड में उतरती है।

लाखों का होता है हिसाब-किताब
बताया जाता है कि विभागीय सारा कामकाज ऑनलाइन होने लगा है, टीपी तक ऑनलाइन रहता है जिन्हें खनिज परिवहन वाहनों पर कार्यवाही से पूर्व ऑनलाइन देखा जा सकता है। लेकिन यहां का सिस्टम जरा दूजे किस्म का प्रचलन में है। पहले वाहन को पकड़कर थाने में खड़ा करा दिया जाता है उसके बाद आगे की कार्यवाही में वार्ता का दौर शुरू होता है। वाहनों की चेकिंग, धरपकड़, निरीक्षण-परीक्षण सारे काम खनिज अधिकारी मैडम स्वत: करती हैं मानो उनके अतिरिक्त किसी को पावर ही न हो? चर्चा है कि प्रतिवाहन लाखों का हिसाब-किताब होता है।

वाहन उनके ही रिलीज हो पाते हैं जो दोनों रूप से मजबूत सोर्स वाले होते हैं। या तो खनिज अधिकारी की मंशानुरूप उनकी खिदमत में पेश हो जायें या फिर किसी पावरफुल नेता की सिफारिश पहुंच जाये? अब देखना है कि रात्रिकालीन अवैध तथा सुबह वैधता का इंसाफ करने वाली मैडम का यह खेला कब तक चलता है?

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